बिहार में हार देखकर मोदी ने मैदान छोड़ा, राजनीतिक हलचल तेज, NDA पर बढ़ा दबाव

बिहार चुनाव के ठीक एक दिन पहले पीएम मोदी की रैली अचानक जल्दी खत्म होने से सियासी हलचल तेज हो गई है... विपक्ष का दावा है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों बिहार में एक सौ इक्कीस सीटों के रूझान देखकर क्या इतना डर गए हैं कि चुनाव प्रचार के खत्म होने के एक दिन पहले ही मैदान छोड़कर भाग खड़े हुए हैं.. क्या मोदी को पचा चल गया है कि अब एनडीए सत्ता में नहीं आने वाली है.. रैलियों में लोग नहीं आ रहे हैं… कुर्सियां खाली पड़ी रहती है.. बिहार में मोदी का जादू खत्म हो चुका है.. पहले चरण के मतदान के बाद ही एनडीए को अपनी हार दिखाई देने लगी है.. जिसको देखते हुए मोदी ने ने मैदान छोड़ना ही उचित समझा है..

आपको बता दें कि मोदी जी इतना डर गए है… घबरा गए है.. मैच के आखिरी ओवर की आखिरी बाल तक मोदी मैदान में डटे रहते है.. और बीजेपी की आदत है कि वह आखिरी मूमेंट तक मैदान में डटी रहती है,.. लेकिन मोदी जी ने तो जनता को अचानक हैरान कर दिया… बता दें कि दोस्तों मोदी मोदी ने कल बिहार में दो रैलियां की.. और सिर्फ पटना में एक रोड- शो किया.. जिसमें भी नीतीश कुमार ने मोदी की गाड़ी में चढ़ने से मना कर दिया… जिससे मोदी की जमकर किरकिरी हुई.. दोस्तों हम इस खबर में बात करेंगे कि क्या मोदी को पता चल चुका है कि हमारे हाथ से बिहार निकल चुका है.. क्या सहयोदी दलों ने बीजेपी और मोदी से दूरी बना लिया है.. क्या नीतीश आने वाले दिनों में पलटी मारेंगे…

दोस्तों बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के ठीक एक दिन पहले.. राजनीतिक हलचल तेज हो गई है.. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा चुनावी मैदान में आखिरी गेंद तक लड़ने वाले क्रिकेटर के रूप में मशहूर हैं… इस बार अचानक शांत हो गए हैं.. पहले चरण के एक सौ इक्कीस सीटों पर छह नवंबर को हुई.. वोटिंग के बाद रुझान साफ दिख रहे हैं.. कि महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस) की लहर तेज है.. जबकि एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) की सांसें फूल रही हैं.. क्या मोदी जी को अब लग गया है कि बिहार की कुर्सी हाथ से फिसल रही है.. रैलियों में खाली कुर्सियां, सहयोगी दलों की दूरी.. और नीतीश कुमार का रोड शो से मना करना.. ये सब संकेत दे रहे हैं कि एनडीए का डबल इंजन अब सिंगल ब्रेकडाउन मोड में आ गया है..

बिहार चुनाव हमेशा से ही सत्ता की नहीं.. बल्कि समाज के बदलाव की लड़ाई रहा है.. 2020 में एनडीए ने एक सौ पच्चीस सीटें जीतकर नीतीश कुमार को चौथी बार मुख्यमंत्री बनाया था.. लेकिन 2025 में सवाल वही है.. क्या ‘डबल इंजन’ फिर दौड़ेगा.. या महागठबंधन की ‘लालटेन’ जल उठेगी.. इस बार चुनाव दो चरणों में हो रहे हैं.. पहले चरण का मतदान छह नवंबर को एक सौ इक्कीस सीटों पर हुआ.. जहां वोटर टर्नआउट चौसठ दशमलव छह छह  फीसदी से पैंसठ दशमलव जीरो आठ फीसदी तक पहुंचा.. जो 2020 के छप्पन दशमलव एक फीसदी से करीब आठ से नौ फीसदी ज्यादा है.. वहीं ये रिकॉर्ड वोटिंग किसके लिए फायदेमंद है.. बता दें एनडीए के समर्थक कहते हैं कि ये सुशासन का स्टैंप है.. लेकिन विपक्षी नेता तेजस्वी यादव और राहुल गांधी इसे गुस्से का वोट बता रहे हैं..

रिपोर्ट्स बताती हैं कि चंपारण, मिथिलांचल जैसे इलाकों में.. जहां 2020 में एनडीए ने दबदबा बनाया था.. इस बार युवा और महिलाओं का झुकाव महागठबंधन की ओर है.. बेरोजगारी, महंगाई और अपराध के मुद्दे हावी हैं.. बिहार में बेरोजगारी दर सात फीसदी से ऊपर है.. जबकि 2020 में चालीस फीसदी थी.. लेकिन युवा कहते हैं कि नौकरी के नाम पर सिर्फ जुमले मिले है.. एक सर्वे के मुताबिक, पहले चरण में अट्ठारह लाख अतिरिक्त वोटरों ने हिस्सा लिया.. ज्यादातर EBC, SC/ST और मुस्लिम-यादव वोट बैंक से थे..

कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी बड़ा दावा करते हुए कहा कि बिहार में NDA के लिए कोई माहौल नहीं है.. मोदी की सभाओं में आने वाली भीड़ में कोई उत्साह नहीं है.. सूत्रों के मुताबिक मोदी जी की रैलियों में नजदीकी जिलों से बसों में लोग भेजे जा रहे हैं.. दस हजार रुपये देकर वोट खरीदने की कोशिश हो रही है.. लेकिन जनता जाग चुकी है.. NDA की हार तय है.. पहले चरण में बेगूसराय.. और रघोपुर जैसी सीटों पर हाई टर्नआउट ने एनडीए को चिंतित किया है.. तेजस्वी यादव ने कहा कि ये वोट बेरोजगारी और महंगाई के खिलाफ है.. वहीं, अमित शाह का दावा है कि नौ की नौ सीटें NDA की है… लेकिन ग्राउंड पर कार्यकर्ता मानते हैं कि मुश्किलें बढ़ रही हैं.. कुल मिलाकर ये वोटिंग एनडीए के लिए विकास राज का प्रमाण नहीं.. बल्कि जंगल राज से तंग जनता का विद्रोह लग रही है..

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनावी शेर कहा जाता है.. 2014 से अब तक उन्होंने सैकड़ों रैलियां की… जहां भीड़ उमड़ती रही.. लेकिन बिहार 2025 में कुछ बदला-बदला सा है.. कल यानी आठ नवंबर को मोदी जी ने पटना में सिर्फ एक रोड शो किया.. और दो रैलियां की.. वहीं प्रचार का आखिरी दिन होने के बावजूद, कोई बड़ा धमाका नहीं हुआ.. विपक्ष का दावा है कि मोदी जी डर गए हैं, हार की आशंका से मैदान छोड़ भागे हैं.. मोदी की रैली में भीड़ नहीं आ रही है.. कुर्सियां खाली पड़ी रहती है.. जिसते चलते मोदी ने एक दिन पहले ही बिहार को अलविदा कह दिया..

जानकारी के अनुसार बीजेपी के अंदरूनी सर्वे भी लीक हो रहे हैं… इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक पहले चरण के बाद एनडीए को मिलेजुले परिणाम मिले हैं.. जबकि महागठबंधन मजबूत स्थिति में है.. मोदी ने औरंगाबाद-भभुआ में रैलियां कीं.. जहां उन्होंने जंगल राज पर हमला बोला.. लेकिन भीड़ का रिस्पॉन्स काफी ठंडा रहा.. प्रियंका गांधी ने X पर लिखा कि 20 साल से NDA सरकार.. फिर महिलाओं को पैसे पहले क्यों नहीं दिए.. आज क्यों? बिहार में अपराध बेलगाम, महंगाई हद से ज्यादा..

आपको बता दें मोदी का जादू खत्म होने का कारण साफ है.. बिहार के युवा प्रवासी मजदूर अब दिल्ली-मुंबई से लौटे हैं.. और कह रहे हैं कि विकास के नाम पर सिर्फ सड़कें बनीं, नौकरियां नहीं मिल रही है.. एक रिपोर्ट में कहा गया कि शहरी सीटों पर सुशील मोदी की कमी खल रही है.. जो आखिरी समय में वोट स्विंग कर देते थे.. मोदी की कुल 11 रैलियां प्लान थीं.. लेकिन सिर्फ सात रैलियां हुईं.. बाकी काट दी गई.. जिसे शेड्यूल चेंज का बहाना बताया गया..

एनडीए का डबल इंजन नीतीश कुमार और मोदी पर टिका था… लेकिन आठ नवंबर को पटना रोड शो में नीतीश ने मोदी की गाड़ी में चढ़ने से साफ मना कर दिया… ये तस्वीरें वायरल हो गईं.. मोदी अकेले आगे, नीतीश पीछे अपनी अलग गाड़ी में चल रहे थे.. जिस पर विपक्ष हंस रहा है.. कि मोदी की खूब किरकिरी हुई.. गठबंधन टूटने की कगार पर है.. वहीं नीतीश की JDU पहले ही NDA में असहज दिख रही है.. 2022 में उन्होंने महागठबंधन से NDA में पलटी मारी थी.. अब दावा किया जा रहा है कि दूसरे चरण के बाद फिर कुछ बड़ा हो सकता है…

वहीं अब सहयोगी दल जैसे चिराग पासवान की LJP भी दूरी बना रही है.. चिराग कहते हैं कि  दूसरे फेज में मार्जिन बढ़ेगा.. लेकिन ग्राउंड पर उनके कार्यकर्ता शिकायत कर रहे हैं कि बीजेपी सीटें काट रही है.. एक रिपोर्ट में कहा गया कि JVC पोल में NDA को एक सौ बीस से एक सौ चालीस सीटें मिल सकती हैं.. लेकिन Dainik Bhaskar का अनुमान है कि सिर्फ छिहत्तर से अठहत्तर सीट ही एनडीए को मिलेगी.. क्या नीतीश जी पलटी मारेंगे… इतिहास गवाह है कि 2015, 2017, 2022 में उन्होंने तीन बार गठबंधन बदला… वहीं अब हार की छाया में महागठबंधन के दरवाजे खुल सकते हैं..

आपको बता दें कांग्रेस नेता राहुल गांधी हमेशा से वोट चोरी का आरोप लगा रहे है.. और कहते है कि मोदी-शाह वोट चोरी कर जीतते हैं… CCTV वोट धांधली की खबरें भी आ रही हैं.. जहां पैंसठ लाख वोट कटने का आरोप लगा है.. सहयोगी दलों की ये दूरी एनडीए के लिए घातक साबित हो रही है… महागठबंधन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में जोरदार प्रचार कर रहा है… पहले चरण में तेजस्वी ने परिवार संग वोट डाला और कहा कि बिहार बदलेगा.. वहीं तेजस्वी का मुख्य फोकस दस लाख नौकरियां, MSP गारंटी, महिलाओं को तैंतीस फीसदी आरक्षण पर है…

राहुल गांधी ने बेगूसराय में कहा कि संविधान की लड़ाई है.. BJP ने वोट काटे, लेकिन जनता जागेगी.. प्रियंका गांधी ने महिलाओं से अपील की… कि अपराध से डरेंगी नहीं.. वोट से डराएंगी.. बता दें कि NDA के संकल्प पत्र में दस लाख रोजगार, मुफ्त बिजली का वादा किया गया है… लेकिन जनता पूछ रही है कि बीस साल से आप क्या कर रहे थे.. बीस साल बीत जाने के बाद अब चुनाव के समय में जनता की याद आई है..

 

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