शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय: राज्यपाल तक पहुंचा महिला अधिकारी के उत्पीडऩ का मामला, हड़कंप

महिला अधिकारी ने विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर और तीन अधिकारियों पर लगाया आरोप

शिकायत से बौखलाया विश्वविद्यालय प्रशासन पीडि़ता के खिलाफ ही कार्रवाई की कर रहा तैयारी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। डॉ. शंकुतला मिश्रा राष्टï्रीय पुनर्वास विश्व विद्यालय में बेहद सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां की एक महिला अधिकारी ने एक प्रोफेसर और तीन उच्च अधिकारियों पर यौन उत्पीडऩ और मानसिक प्रताडऩा का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाने के बाद अब राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मुलाकात कर मामले की शिकायत की है। साथ ही राज्यपाल से न्याय की गुहार लगायी है। महिला अधिकारी की शिकायत के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन बौखला गया है और अब पीडि़ता के खिलाफ ही कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
महिला अधिकारी ने राज्यपाल को दिए पत्र में विश्वविद्यालय के कुलसचिव अमित कुमार सिंह, परीक्षा नियंत्रक अमित कुमार राय, उप कुलसचिव एके सिंह और प्रोफेसर हिमांशु शेखर झा पर यौन उत्पीडऩ और मानसिक उत्पीडऩ का आरोप लगाया है। महिला अधिकारी पूर्व में इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा चुकी हैं। इसके अलावा शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, उत्तरप्रदेश महिला आयोग, दिव्यांग अधिकारिता विभाग को भी शिकायत पत्र भेजा है और निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। महिला अधिकारी का आरोप है कि उसे पिछले तीन वर्ष से प्रताडि़त किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब चीजें असहनीय हो गईं तो उन्होंने कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ की रोकथाम अधिनियम के तहत आतंरिक शिकायत समिति के माध्यम से जांच का अनुरोध जुलाई में किया था और एक शिकायत पत्र विश्वविद्यालय प्रशासन को दिया। विश्वविद्यालय ने यह मामला पुरानी समिति को सौंप दिया जिसका पूरा कार्यकाल खत्म हो चुका था। इसका उन्होंने विरोध किया लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक भी न सुनी। इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जिसके निर्देश के बाद एक नई आतंरिक शिकायत समिति का गठन हुआ लेकिन कमेटी में छ: में से पांच या बॉस थे या आरोपी के मित्र थे। इसका मैंने विरोध किया लेकिन मेरी एक भी न सुनी गयी। वहीं जिन चारों लोगों पर महिला अधिकारी ने आरोप लगाया है, उन्होंने इसे गलत बताया है। हालांकि, उन्होंने कोई भी आधिकारिक बयान देने से मना कर दिया है और कहा कि इस संबंध में कुलपति राणा कृष्ण पल सिंह से मिलें।

क्या कहना है पीडि़ता का

महिला अफसर का कहना है कि जांच समिति ने मुझे इतना समय भी नहीं दिया कि आरोपियों के जवाबों पर जिरह कर सकूं। नवंबर में जांच समिति ने आरोपियों को क्लीन चिट दे दी। इसके बाद मैंने कुलपति से इस पर पुनर्विचार की अपील की लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने मेरे कार्यस्थल का सीसीटीवी फुटेज देने से भी इंकार कर दिया। ये फुटेज मामले से पर्दा हटा देंगे। उन्होंने कहा कि मेरी शिकायत के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने मेरे पीएचडी दाखिले को गलत ठहराया जबकि कई वर्षों से वह फीस जमाकर रही थी। उसके बाद उनकी नौकरी को लेकर सवाल खड़े किए जबकि कुलसचिव न्यायालय में लिखकर दे चुके हैं कि नियुक्ति में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। अब वे आवास आवंटन को लेकर मेरे खिलाफ जांच बैठाई है। उन्होंने जब राज्यपाल के पास अपनी बात रखी है तभी से विश्वविद्यालय प्रशासन बौखलाया हुआ है और कार्रवाई की बात कर रहा है।

क्या कहना है कुलपति का

कुलपति प्रो. राणा कृष्ण पाल सिंह का कहना है कि जांच समिति माननीय न्यायालय के निर्देशों पर गठित की गई थी और संबंधित कार्यवाही वीडियो ग्राफी के साथ नियमों के मुताबिक हुई है। शिकायतकर्ता जांच के दौरान लगाए गए आरोपों को साबित नहीं कर सकीं। उनके पास विश्वविद्यालय से ऊपर जांच समिति के निर्णय के खिलाफ अपील करने का पूरा हक है और विश्वविद्यालय प्रशासन उनका पूरा समर्थन करेगा। उन्होंने जवाबी आरोप लगाते हुए कहा कि शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप एक जांच को पटरी से उतारने का प्रयास प्रतीत होता है जिसमें पिछली सरकार में की गई गलत नियुक्तियों की जांच की जा रही है। इसमें शिकायतकर्ता का भी नाम है।

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