शंकराचार्य सदानंद सरस्वती की बड़ी मांग, जम्मू-कश्मीर में लगे राष्ट्रपति शासन
हलगाम आतंकी हमले को लेकर जहां पूरा पाकिस्तान पर कड़े एक्शन का इंतजार रहा है... इस मुद्दे पर द्वारका शारदापीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 23 अप्रैल 2025 को हुआ आतंकी हमला न केवल एक त्रासदी है…… बल्कि केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी की कश्मीर नीति पर एक गंभीर सवालिया निशान है…… इस हमले में 26 लोगों की जान गई……. जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे…… और यह घटना कश्मीर घाटी में सुरक्षा व्यवस्था की बदहाली को उजागर करती है…… द्वारका शारदापीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने इस हमले को “टू नेशन थ्योरी का ट्रेलर” करार देते हुए जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की मांग की है…… और उन्होंने केंद्र सरकार से कश्मीर का प्रशासन पूरी तरह अपने हाथ में लेने……. और स्थिति सामान्य होने तक राष्ट्रपति शासन लागू करने का आह्वान किया है……… शंकराचार्य का यह बयान बीजेपी के लिए एक तीखा हमला है…….. जो कश्मीर में अपनी “सख्त” नीतियों……. और अनुच्छेद 370 हटाने के बाद “शांति” स्थापित करने के दावों को लेकर हमेशा गर्व करता रहा है…….
बता दें कि बीजेपी ने 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद दावा किया था….. कि यह कश्मीर में स्थायी शांति…… और विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा…… गृह मंत्री अमित शाह ने कई बार संसद और सार्वजनिक मंचों पर कहा कि कश्मीर अब आतंकवाद से मुक्त होकर पर्यटन…… और समृद्धि की ओर बढ़ रहा है……. लेकिन पहलगाम हमले ने इन दावों की पोल खोल दी है…….. इस हमले में आतंकियों ने पर्यटकों को धर्म के आधार पर निशाना बनाया……. जो न केवल कश्मीरियत पर हमला है…….. बल्कि बीजेपी की कथित “सुरक्षा नीति” की विफलता का जीता-जागता सबूत है……. शंकराचार्य ने ठीक ही कहा कि यह घटना “अभूतपूर्व” है……. और यह जम्मू-कश्मीर प्रशासन के साथ-साथ केंद्र सरकार की नाकामी को दर्शाती है…….
बीजेपी ने कश्मीर में अपनी सत्ता को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए…….. जिनमें स्थानीय नेताओं को हाशिए पर धकेलना……. प्रशासनिक नियंत्रण को केंद्रीकृत करना……. और सुरक्षा बलों को असीमित अधिकार देना शामिल है…….. लेकिन यह हमला साबित करता है कि इन नीतियों ने न तो आतंकवाद को खत्म किया……. और न ही कश्मीरियों के बीच विश्वास जीता…… शंकराचार्य ने यह भी आरोप लगाया कि कश्मीर प्रशासन ने केंद्र सरकार का सहयोग नहीं किया……… और यह सवाल उठता है कि बीजेपी……… जो केंद्र में सत्ता में है…….. आखिर क्यों इस प्रशासनिक अक्षमता को नियंत्रित नहीं कर पाई……
शंकराचार्य ने पहलगाम हमले को “टू नेशन थ्योरी का ट्रेलर” बताते हुए पाकिस्तान के सेनाप्रमुख जनरल आसिम मुनीर के उस बयान का हवाला दिया……… जिसमें उन्होंने 16 अप्रैल 2025 को इस्लामाबाद में टू नेशन थ्योरी का बचाव किया था……. मुनीर ने कश्मीर को पाकिस्तान के “गले की नस” बताया……. और हिंदुओं व मुसलमानों को अलग-अलग सभ्यताएं करार दिया……. शंकराचार्य का कहना है कि पहलगाम में हुआ हमला उसी विचारधारा का प्रैक्टिकल प्रदर्शन है…….. यह हमला न केवल पाकिस्तान की साजिश को उजागर करता है…….. बल्कि बीजेपी की उस नीति पर भी सवाल उठाता है……. जो कश्मीर को एकीकृत करने के बजाय धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देती रही है…….
बीजेपी ने हमेशा “टू नेशन थ्योरी” को खारिज करने का दावा किया है…….. लेकिन कश्मीर में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच बढ़ती खाई को रोकने में वह पूरी तरह विफल रही है…….. पहलगाम हमले में आतंकियों ने पर्यटकों को चुन-चुनकर निशाना बनाया…….. और यह बीजेपी की उस नीति की हार है…….. जो कश्मीर में सामाजिक समरसता की बात करती है……. शंकराचार्य ने हिंदुओं से एकजुट होने की अपील की……… लेकिन यह अपील बीजेपी के लिए एक चेतावनी भी है कि……. उनकी नीतियां न केवल कश्मीर को अशांत कर रही हैं……. बल्कि देश में सांप्रदायिक तनाव को भी हवा दे सकती हैं…….
शंकराचार्य की राष्ट्रपति शासन की मांग बीजेपी के लिए एक बड़ा राजनीतिक झटका है……. यह मांग न केवल कश्मीर में बीजेपी की विफलता को उजागर करती है……. बल्कि यह भी संकेत देती है कि पार्टी की कश्मीर नीति पर अब उसके अपने समर्थक वर्ग में भी विश्वास कम हो रहा है……. शंकराचार्य जैसे प्रभावशाली धार्मिक नेता का यह बयान बीजेपी के हिंदुत्ववादी वोट बैंक को भी असहज कर सकता है……. जो पार्टी को कश्मीर में “हिंदू हितों” की रक्षक मानता रहा है…..
आपको बता दें कि राष्ट्रपति शासन की मांग का मतलब है कि जम्मू-कश्मीर का वर्तमान प्रशासन……. जो अप्रत्यक्ष रूप से केंद्र सरकार के अधीन है……. इस संकट से निपटने में असमर्थ है……. बीजेपी ने 2019 के बाद से कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाकर पूर्ण नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था…….. लेकिन पहलगाम हमला साबित करता है कि यह नियंत्रण केवल कागजी है……. शंकराचार्य ने यह भी कहा कि कश्मीर प्रशासन “हिंदू आबादी” को बसने से रोकता है……. और यह आरोप बीजेपी के लिए और भी शर्मनाक है……. क्योंकि पार्टी ने हमेशा कश्मीरी पंडितों की वापसी…… और हिंदुओं के लिए कश्मीर में सुरक्षित माहौल बनाने का वादा किया था…….
वहीं पहलगाम हमले ने बीजेपी की सुरक्षा नीति को पूरी तरह बेनकाब कर दिया है……. हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने स्वीकार किया कि आतंकियों के तार पाकिस्तान से जुड़े हैं……. और यह हमला लश्कर-ए-तैयबा के सहयोगी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट ने किया……. यह वही संगठन है, जिसे पाकिस्तान की आईएसआई से समर्थन मिलता है…….. बीजेपी सरकार ने 2019 के बाद से कई बार दावा किया कि उसने सीमा पार से आतंकवाद को खत्म कर दिया है……. लेकिन यह हमला साबित करता है कि पाकिस्तान अभी भी कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है……
वहीं हमले की टाइमिंग भी बीजेपी के लिए सवाल खड़े करती है……. यह हमला तब हुआ, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत के दौरे पर थे……. सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इस हमले का उद्देश्य कश्मीर में अशांति का माहौल दिखाकर भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को धूमिल करना था……… लेकिन सवाल यह है कि बीजेपी सरकार, जो खुफिया तंत्र को मजबूत करने का दावा करती है……… इस साजिश को पहले क्यों नहीं भांप पाई……. क्या यह खुफिया तंत्र की विफलता नहीं है…… जिसके लिए गृह मंत्रालय और केंद्र सरकार जिम्मेदार हैं……
बता दें कि बीजेपी ने कश्मीर को हमेशा अपनी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बनाया है……. अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला हो या कश्मीरी पंडितों की वापसी का वादा…… इन सभी मुद्दों को पार्टी ने अपने हिंदुत्ववादी एजेंडे के लिए इस्तेमाल किया……. लेकिन हकीकत यह है कि कश्मीर में न तो शांति स्थापित हुई और न ही विकास का कोई ठोस परिणाम दिखा……. पहलगाम हमले के बाद कश्मीर में पर्यटन उद्योग पर गहरी चोट पड़ी है…… जो स्थानीय अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा है……. बीजेपी ने कश्मीर को पर्यटन हब बनाने की बात कही थी……. लेकिन इस हमले ने साबित कर दिया कि पर्यटकों के लिए कश्मीर अभी भी असुरक्षित है…….
शंकराचार्य ने यह भी कहा कि कश्मीर प्रशासन और पाकिस्तान दोनों नहीं चाहते कि कश्मीर में हिंदू आबादी बढ़े……. यह बयान बीजेपी के लिए एक बड़ा सवाल है……. क्योंकि पार्टी ने हमेशा कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास को अपनी उपलब्धि के रूप में पेश किया…… लेकिन हकीकत यह है कि कश्मीरी पंडित अभी भी घाटी में सुरक्षित महसूस नहीं करते……. और पहलगाम जैसे हमले उनके डर को और बढ़ाते हैं…… बीजेपी ने कश्मीरी पंडितों के लिए क्या किया……. क्या उनकी सुरक्षा और पुनर्वास के लिए कोई ठोस योजना लागू की गई……. या यह सब केवल चुनावी जुमला था…….
पहलगाम हमले के बाद पूरे देश में गुस्से का माहौल है…… भोपाल में मुस्लिम समुदाय ने प्रदर्शन कर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की मांग की…….. तो कश्मीर में स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए……. बीजेपी कार्यकर्ताओं ने भी पाकिस्तान के झंडे जलाए……. लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या यह गुस्सा केवल दिखावटी है…… बीजेपी ने हमले के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित करने और पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने का आदेश देने जैसे कदम उठाए…… लेकिन ये कदम आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के बजाय केवल तात्कालिक प्रतिक्रिया हैं……
बता दें कि शंकराचार्य ने सही कहा कि यह घटना सांप्रदायिक तनाव……. और गृहयुद्ध की स्थिति पैदा कर सकती थी……. बीजेपी, जो हमेशा “सबका साथ, सबका विकास” का नारा देती है…….. इस तनाव को रोकने में पूरी तरह नाकाम रही है…….. पार्टी की नीतियां कश्मीर में धार्मिक आधार पर विभाजन को और गहरा कर रही हैं……. और यह हमला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है……



