सिद्धारमैया ने कांग्रेस सरकार का पहला बजट किया पेश, गारंटियों को लागू करने की तैयारी
बेंगलुरु। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया शुक्रवार यानी 7 जुलाई को राज्य की कांग्रेस सरकार का पहला बजट पेश किया। यह राज्य विधानसभा में सिद्धारमैया का 14वां बजट होगा, जो दिवंगत मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े का रिकॉर्ड तोड़ देगा। दिवंगत सीएम रामकृष्ण हेगड़े ने अपने पूरे राजनीतिक करियर में 13 बजट पेश किए थे।
सीएम सिद्धारमैया ने राज्य का बजट पेश किया है, जिसका कुल व्यय 3,27,747 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इसमें राजस्व व्यय 2,50,933 करोड़ रुपये, पूंजीगत व्यय 54,374 करोड़ रुपये और ऋण चुकौती 22,441 करोड़ रुपये शामिल है। उनके द्वारा पेश किए गए पहला बजट 12,616 करोड़ रुपये था, जबकि उनके 13वां बजट 2,09,181 करोड़ रुपये था।
2023-23 के बजट में शिक्षा के लिए 37,587 करोड़ रुपये और महिला एवं बाल विकास के लिए 24,166 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो यह कुल बजट आवंटन का क्रमश: 11त्न और 7त्न है। वहीं, कुल बजट का 4त्न यानी 14,950 करोड़ रुपये स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के लिए आवंटित किए गए हैं।
सीएमओ ने कहा कि इस बजट में संसाधन जुटाने और कांग्रेस पार्टी के चुनाव घोषणापत्र में वादा की गई सभी पांच गारंटियों को लागू करने पर जोर दिया गया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 3.27 लाख करोड़ रुपये से अधिक के परिव्यय के साथ राज्य का बजट पेश किया।
चुनाव के दौरान घोषणापत्र में किए गए 5 चुनावी वादों को पूरा करते हुए कर्नाटक सरकार प्रत्येक परिवार को प्रति माह 4,000 रुपये से 5,000 रुपये की औसत अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। 5 पोल गारंटी के माध्यम से, लगभग 52,000 करोड़ रुपये सालाना खर्च किए जाएंगे और 1.3 करोड़ परिवारों को लाभ होने की उम्मीद है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि कांग्रेस सरकार देश को बीजेपी के खिलाफ संदेश देना चाहती है। उन्होंने जीएसटी हिस्सेदारी और राज्य को चावल बेचने में केंद्र के कथित असहयोग के मामले में सिद्धारमैया द्वारा भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला करने का संकेत दिया।
राज्य सरकार के पास एट्टिनाहोल, मेकेदातु, अपर कृष्णा, अपर भद्रा, कलासा बंदुरी और अलमट्टी जैसी प्रमुख सिंचाई और विकास परियोजनाओं के लिए गारंटी और आरक्षित निधि के लिए संसाधन जुटाने की अनिवार्यता है। इसके साथ ही, सिद्धारमैया के सामने बेंगलुरु के विकास के लिए उचित फंड सुनिश्चित करने की भी चुनौती है।
बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) ने यातायात समस्याओं को कम करने के लिए 17 फ्लाईओवर बनाने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, लेकिन नागरिक एजेंसियों ने अभी तक ठेकेदारों को 7,000 करोड़ रुपये के लंबित बिल जारी नहीं किया है। राज्य सरकार को बेंगलुरु में भीड़भाड़ कम करने के उद्देश्य से उपनगरीय रेल परियोजना और नए मेट्रो मार्गों के लिए पर्याप्त धन भी उपलब्ध कराना होगा।
मुख्यमंत्री अपने 14वें बजट को पेश करने के लिए पिछले 25 दिनों से वित्त विभाग के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं। 1995-96 से 2018-19 तक के बजटों में कृषि, उद्योग, सेवा क्षेत्र और कौशल विकास के लिए बड़ी मात्रा में धन आवंटित किया गया है।
सबसे चुनौतीपूर्ण माने जा रहे 14वें बजट में पिछले एक सप्ताह में दिये गये मुख्यमंत्री के बयानों से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि पांच गारंटी से सभी जाति और वर्ग के लोगों की कठिनाइयों में पर्याप्त राहत मिलेगी। अब तक के 13वें बजट में राजस्व प्राप्तियां और किए गए व्यय सभी में हर साल वृद्धि हुई है। उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में, सिद्धारमैया ने सार्वजनिक खरीद अधिनियम, 1991 में कर्नाटक पारदर्शिता का मसौदा तैयार किया और लागू किया था।
सीएमओ के बयान में कहा गया है कि इसी तरह, कर्नाटक राजकोषीय उत्तरदायित्व अधिनियम 2002 ने सरकार की राजकोषीय प्रक्रियाओं को सरल बनाया है। अब तक 13 बजटों की प्रस्तुति के दौरान राज्यों को कर लगाने का अधिकार था। अब केंद्रीय जीएसटी द्वारा राज्यों के इस अधिकार पर अंकुश लगा दिया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने अन्ना भाग्य योजना के लिए चावल उपलब्ध कराने से इनकार करके सिद्धारमैया के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा कर दी है।
सीएमओ की ओर से जारी बयान में कहा गया, जीएसटी और केंद्र से असहयोग के बीच, मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि पांच गारंटी योजनाएं निश्चित रूप से इसी वित्तीय वर्ष में लागू की जाएंगी। पांच गारंटी योजनाओं के लाभार्थी साबित कर रहे हैं कि सरकार एक पार्टी या एक धर्म तक सीमित नहीं है।