मध्य प्रदेश के भोपाल में सौतेले पिता को मिला न्याय
भोपाल में सात साल पुराने एक रेप मामले में महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया गया है। इस केस की पीड़िता ने सुसाइड कर लिया था, जिसके बाद उसके पिता को आरोपी बनाकर जेल में डाल दिया गया था।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भोपाल में सात साल पुराने एक रेप मामले में महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया गया है। इस केस की पीड़िता ने सुसाइड कर लिया था, जिसके बाद उसके पिता को आरोपी बनाकर जेल में डाल दिया गया था। हालांकि, अब अदालत को ऐसे सबूत मिले हैं, जो इस पूरे मामले की कहानी को पलट देते हैं। जांच के दौरान सामने आए नए तथ्यों के आधार पर पिता को बेकसूर साबित किया गया और उसे रिहा कर दिया गया। इस फैसले ने न केवल पीड़िता के पिता को न्याय दिलाया है, बल्कि मामले की गंभीरता और न्याय प्रणाली की प्रक्रियाओं पर भी सवाल खड़ा किया है। आगे की कानूनी कार्रवाई और संबंधित मामले की जांच जारी रहेगी।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक सौतेले पिता को न्याय मिला है। उन्हें अपनी बेटी के साथ रेप के आरोप में 13 महीने जेल में बिताने के बाद आखिरकार अदालत ने बरी कर दिया है। अदालती फैसले में कहा गया है कि आरोपियों ने खुद को बचाने के लिए मृतका के सौतेले पिता के खिलाफ झूठे बयान दिए थे। इसके अलावा, कोर्ट ने इस मामले की जांच में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों
के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं। साथ ही, मामले की दोबारा जांच करने का आदेश दिया गया है। इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि न्याय की प्रक्रिया में जब तक सही तथ्यों का खुलासा नहीं होता, तब तक निर्दोष लोग दंडित हो सकते हैं।
मामला 7 साल पुराना है. 14 जून 2018 को भोपाल के अयोध्या नगर थाना क्षेत्र की रहने वाली एक 17 साल की नाबालिग लड़की ने सुसाइड कर लिया था. मृतिका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके साथ गैंगरेप की पुष्टि हुई थी. इस दौरान उसकी जेब में चार लोगों के नाम की पर्ची भी मिली थी. अयोध्या नगर थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी महेंद्र सिंह कुल्हारा ने उन युवकों पर कार्रवाई करने के बजाय 20 मई 2019 को एफआईआर दर्ज की और 9 नवंबर 2019 को पिता को गिरफ्तार कर लिया. इस मामले में वो करीब 13 महीने तक जेल में रहा.
जबकि, नाबालिग के पोस्टमार्टम के दौरान उसके कपड़ों में एक पर्ची मिली थी जिसमें बोदनी, मुबीन, राजू और यादव चार लोगों के नाम ओर मोबाइल नंबर लिखे थे. डीएनए रिपोर्ट में भी चार लोगों से गैंगरेप की पुष्टि हुई थी. पर्ची मिलने के बाद भी पुलिस ने इन्हें आरोपी नहीं बनाया और पड़ोसियों के बयान को आधार पर सौतेले पिता को आरोपी बना दिया. कोर्ट में पेश किए चालान में पुलिस ने कहा कि पड़ोसियों के बयान के आधार पर ही सौतेले पिता को आरोपी बनाया था. वहीं, कोर्ट ने फैसले में कहा है कि खुद को बचाने के लिए आरोपियों ने पिता के खिलाफ ही बयान दिए थे.
डीजीपी को कोर्ट ने दिया आदेश
पुलिस को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा- घटना से 3-4 दिन पहले मासूम इन्हीं गवाहों के घर पर थी, आत्महत्या से पहले वहीं से घर लौटी थी. यह संभव है कि गवाह खुद को बचाने के लिए पिता पर झूठा आरोप लगा रहे हों. विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) कुमुदिनी पटेल ने फैसला सुनाते हुए मृतिका के सौतेले पिता को बरी कर दिया. साथ गंभीर मामले में लापरवाही करने पर टीआई के खिलाफ कार्रवाई और मामले की दोबारा जांच के कराने के लिए डीजीपी को आदेश दिए हैं.
कारोबार भी हो गया खत्म
आपको बता दें,कि अपनी बेटी से रेप के झूठे आरोप में करीब 13 महीने तक जेल में रहने वाले पिता का कहना है कि पुलिस ने उनकी जिंदगी बर्बाद कर दी. जबकि, वह घटना के समय वहां था ही नहीं. वो करौंद स्थित निर्माणाधीन बिल्डिंग में काम कर रहा था. बेटी की मौत की खबर मिली, तब वह घर पहुंचा था. उसके बाद दिल्ली चला गया था. पुलिस ने बुलाकर आरोपी बना दिया और जेल भेज दिया. उसका फर्नीचर का कारोबार था जो जेल जाने की वजह से पूरा खत्म हो गया.