‘अग्निवीर योजना बंद कर दो’, जवान की मौत पर सेना के बयान से नाराज भगवंत मान

नई दिल्ली। पंजबा के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा जो फौज में जाने का जिगरा रखता है वो कभी खुदकुशी नहीं करता. खुदकुशी करना कायरों का काम है. अब फौज बहाने लगा रही है कि खुदकुशी की है. अमृतपाल 7 बहनों का भाई था. उसके ऊपर परिवार की ज़िमेदारी थी. सीएम ने कहा यह मामला हम केंद्र सरकार तक लेकर जाएंगे. उन्होंने कहा, मैं खुद कुछ दिनों में दिल्ली जा कर यह मामला उठाऊंगा.
पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा पंजाब सरकार अमृतलाल सिंह को शहीद का दर्जा देगी. गांव में उनके नाम का स्टेडियम बनाया जाएगा. उनकी प्रतिमा भी गांव में लगाई जाएगी. सीएम ने कड़े शब्दों में कहा की अगर जवानों के साथ इस तरह का रवैया रहेगा तो अग्निविर योजना बंद कर देनी चाहिए. मान ने कहा कि अग्निवीर योजना के तहत जिनकी भर्ती हुई है या तो उनको रेगुलर किया जाए या उन्हें निकाल दिया जाए. वो वापिस आकर परिवार का पेट तो पाल सकते हैं. अब तो वो कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि उनको कोई सहूलत ही नहीं दी जाती.
अग्निवीर की चार साल के लिए होती है भर्ती
एक अमृतपाल सिंह नाम के सेना के जवान की मौत हो गई थी, जिसे सेना खुदकुशी बताया था. इस बयान से सीएम मान नाराज हैं. भारत सरकार ने सशस्त्र बलों में सैनिकों की भर्ती की पूर्व प्रक्रिया के स्थान पर 2022 में अग्निपथ योजना की घोषणा की थी. योजना के मुताबिक, अग्निवीर कहे जाने वाले सैनिकों की भर्ती चार साल के लिए की जाती है, जिसके बाद उन्हें नियमित कैडर में शामिल होने का मौका मिलता है.
अमृतपाल सिंह को नहीं दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर
भारतीय सेना ने रविवार (15 अक्टूबर) को कहा कि अमृतपाल सिंह ने संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली और उनके अंतिम संस्कार में कोई गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया, क्योंकि इस तरह की जानबूझकर चोटों के कारण होने वाली मौतों को इस तरह का सम्मान नहीं दिया जाता है. सेना ने आगे कहा कि वे इस आधार पर सैनिकों के बीच अंतर नहीं करते हैं कि वे अग्निपथ योजना के लागू होने से पहले या बाद में बल में शामिल हुए थे. भारतीय सेना को सिंह के अंतिम संस्कार में सैन्य सम्मान नहीं देने के आरोपों का सामना करना पड़ा, क्योंकि वह एक अग्निवीर सैनिक थे.

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