दिल्ली दंगों की आरोपी गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 नवंबर) को दिल्ली दंगा साजिश मामले में आरोपियों में से एक गुलफिशा फातिमा (Gulfisha Fatima) की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है...

4PM न्यूज़ नेटवर्क: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 नवंबर) को दिल्ली दंगा साजिश मामले में आरोपियों में से एक गुलफिशा फातिमा (Gulfisha Fatima) की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने गुलफिशा फातिमा द्वारा 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश को लेकर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967 (UAPA) के तहत मामले में जमानत की मांग करते हुए दायर रिट याचिका पर विचार करने से इनकार किया है। इस मामले में  न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि वह फातिमा की लंबित जमानत याचिका पर अगली सुनवाई की तारीख पर सुनवाई करे, जब तक कि मामले को स्थगित करने के लिए असाधारण परिस्थितियां न हों।

गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार: SC

शीर्ष अदालत ने कहा कि हम मौजूदा याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। हम उच्च न्यायालय से अनुरोध करते हैं कि वह अगली तारीख पर जमानत याचिका पर विचार करे, क्योंकि यह बताया गया है कि वह चार साल से जेल में है। उच्च न्यायालय जमानत याचिका पर अगली तारीख पर सुनवाई करे, जब तक कि असाधारण परिस्थितियां न हों।

जस्टिस त्रिवेदी ने कहा कि सह-आरोपी शरजील इमाम द्वारा दायर समान रिट याचिका का निपटारा किया जाता है, जिसमें हाईकोर्ट से जमानत याचिका पर जल्द फैसला करने का अनुरोध किया जाता है। याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले और इस पीठ द्वारा तय मामले में अंतर है। सिब्बल ने बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई की अगली तारीख 25 नवंबर है। उन्होंने कहा,”मैं यहां जमानत चाहता हूं।” सिब्बल ने मुकदमे में देरी और याचिकाकर्ता के लंबे समय तक जेल में रहने का हवाला देते हुए जमानत के लिए दबाव डाला। 

पीठ ने सुझाव दिया कि हाईकोर्ट से मामले की सुनवाई करने का अनुरोध किया जा सकता है तो सिब्बल ने कहा कि यह फिर से चलेगा, जब बोर्ड इस पर पहुंचता है तो मामला स्थगित हो जाता है। किसी को 4 साल और 7 महीने जेल में रखने का क्या मतलब है? वह एक महिला है, जिसकी उम्र 31 साल है। मुकदमा शुरू होने का कोई सवाल ही नहीं है।”

महत्वपूर्ण बिंदु

  • दिल्ली दंगों के मामलों में दो आरोपियों ने पीठ के समक्ष अपनी जमानत याचिका वापस ले ली थी।
  • इनमें जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और सलीम मलिक शामिल हैं।

 

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