मणिपुर हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मांग राज्य सरकार से रिपोर्ट

नई दिल्ली। मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से राज्य में जातीय हिंसा को रोकने के लिए किए गए उपायों पर विस्तृत स्थिति रिपोर्ट मांगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने सरकार से बेघर और हिंसा प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास शिविर बनाने, बलों की तैनाती और कानून व्यवस्था की दिशा में उठाए गए कदमों की सूची देने को कहा।
कोर्ट ने मणिपुर सरकार से 10 जुलाई तक रिपोर्ट सौंपने को कहा, जब मामले की अगली सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट मणिपुर हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर याचिका भी शामिल थी। जिसमें अल्पसंख्यक कुकी आदिवासियों के लिए सेना सुरक्षा और उन पर कथित रूप सेहमला करने वाले समूहों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।
केंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य में स्थिति में धीरे-धीरे ही सही, सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि सिविल पुलिस के अलावा मणिपुर राइफल्स, सीएपीएफ की कंपनियां, सेना की 114 टुकडिय़ां और मणिपुर कमांडो मौजूद हैं. उन्होंने कोर्ट को आगे बताया कि राज्य में कफ्र्यू अब 24 घंटे से घटाकर पांच घंटे कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि कुकी समूहों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस को मामले को सांप्रदायिक पहलू नहीं देना चाहिए और कहा कि असली इंसानों के साथ व्यवहार किया जा रहा है। कॉलिन गोंसाल्वेस ने तर्क दिया कि आतंकवादी एक समाचार कार्यक्रम में आए और कहा कि वे कुकियों को नष्ट कर देंगे लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि कुकियों के खिलाफ हिंसा राज्य द्वारा प्रायोजित थी।

 

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