सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अडाणी मामले में कमेटी गठित की

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अडानी- हिंडनबर्ग मामले में बड़ा फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने इस पूरे मामले में जांच कमेटी बनाने का फैसला सुनाया। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि भारतीय निवेशकों की संरक्षण के लिए जांच जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज जस्टिस अभय मनोहर सप्रे के नेतृत्व में कमेटी गठित की।
सुप्रीम कोर्ट पहले ही साफ कर चुका था कि कोर्ट अपनी तरफ से कमेटी बनाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अभय मनोहर सप्रे के नेतृत्व में कमेटी बनाई। कमेटी के अन्य सदस्य है। ओपी भट्ट, जस्टिस जेपी देवधर, केवी कामथ, नंदन निलकेनी, शेखर सुंदरेशन शामिल होंगे।
वहीं, न्यायालय ने केंद्र, वित्तीय सांविधिक निकायों, सेबी चेयरपर्सन को समिति को जांच में पूरा सहयोग देने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने 17 फरवरी को फैसला सुरक्षित रखते हुए प्रस्तावित विशेषज्ञ पैनल पर केंद्र के सुझाव को सीलबंद लिफाफे में स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा तथा न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा था कि वह निवेशकों के संरक्षण के लिए पूरी पारदर्शिता चाहती है।
उसने प्रस्तावित समिति के कामकाज पर किसी सेवारत न्यायाधीश के निगरानी रखने की संभावना को भी खारिज कर दिया था। इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत में अब तक चार जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। वकील एम। एल। शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाले मुकेश कुमार ने ये याचिकाएं दायर की हैं।
बता दें कि हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी ग्रुप के खिलाफ कई आरोप लगाए जाने के बाद, समूह के शेयरों की कीमतों में काफी गिरावट आई है। हालांकि, ग्रुप ने उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों को खारिज किया है।

 

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