महाराष्ट्र के रण में सस्पेंस बरकरार, बीजेपी की इस बार होगी बड़ी हार !
देश में उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे सबसे बड़े लोकसभा सीटों वाले राज्य महाराष्ट्र को साधने के लिए सभी पार्टियों ने कमर कस ली है... देखिए कार रिपोर्ट...
4पीएम न्यूज नेटवर्कः लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां पूरी तैयारी के साथ जुटी हुई है…. और जनता को साधने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है… और सभी पार्टियां चुनाव जीतने के लिए पूरी तैयारी के साथ जुटी हुई है…. बता दें कि देश में उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे सबसे बड़े लोकसभा सीटों वाले राज्य महाराष्ट्र को साधने के लिए सभी पार्टियों ने कमर कस ली है… बता दें कि चार सौ पार के लक्ष्य को लेकर लोकसभा चुनाव में उतरी बीजेपी के लिए महाराष्ट्र का रण बहुत मुश्किल लग रहा है… जिसका मुख्य कारण बीजेपी के नेताओं की नाराजगी है… जिसके चलते बीजेपी के तमाम नेताओं ने पार्टी को अलविदा कह दिया है…. और बागी हो गए जिसको देखते हुए महाराष्ट्र में जीत सुनिश्चित करना बीजेपी के लिए चुनौती साबित हो रही है…
बीजेपी के घोषणा पत्र पर सियासत
आपको बता दें कि बीजेपी ने हाल ही में घोषणा पत्र जारी किया है… जिसका बीजेपी ने न्याय पत्र नाम दिया है…. वहीं बीजेपी ने न्याय पत्र में महंगाई, रोजगार, किसी का भी जिक्र नहीं किया गया है… सिर्फ मोदी ने जनता से अभी तक दो हजार चौबीस तक का समय मांगा गया था काला धन वापस लाने के लिए कि… हमें दो हजार चौबीस तक मौका दो हम विदेशों ने भारत का इतना काला धन लेकर आएंगे की देश के सभी लोगों को पंद्रह-पंद्रह लाख रुपये मिल जाएंगे… लेकिन यह मौका भी बीजेपी के हाथ से निकल गया और खुद इलेक्टोरल बॉन्ड जिसको चुनावी चंदे के नाम से भी जाना जाते है के माध्यम से बीजेपी ने काले धन का भंडारण कर लिया… और जनता आज भी आस में है कि मोदी सबके खाते में पंद्रह लाख कब भेजेंगे…. वहीं मोदी के वादे के मुताबिक आज तक कालाधन तो वापस नहीं आया लेकिन मोदी जी काले धन को सफेद करने में माहिर हो गए… और ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स के माध्यम से सभी काले धन को सफेद कर लिया…
2022 में उद्धव की गिरी थी सरकार
वहीं महाराष्ट्र में बीजेपी ने दो पार्टियों को साथ लाकर उद्धव धाकरे कि सरकार गिरकर अपनी सरकार खड़ी कर ली… लेकिन उसका परिणाम जनता के सामने है…. महाराष्ट्र की जनता सीएम शिंदे के खाम से खुश ही नहीं है… और इस लोकसभा चुनाव में बड़ा खेला होने वाला है… बीजेपी कभी भी जमीनी हकीकत और जमीनी मुद्दे पर बात नहीं करती है… पीएम मोदी हमेशा जुमला करते हुए दिख रहें है… अब जनता को पीएम मोदी की बातों पर भरोसा ही नहीं रह गया है… वहीं विपक्ष भी बीजेपी को पूरी तरह बेनकाब करने में जुटा हुआ है… जिसको देखते हुए बीजेपी में खलबली मची हुई है… और लोकसभा चुनाव में अपनी नाक बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है,…. वहीं बीजेपी के नेता,विधायक, सांसद से विकास के बारे में बात की जाए तो सभी राममंदिर का निर्माण ही सबसे बड़ा विकास बता रहे है… वहीं राम मंदिर के निर्माण से गरीब जनता को क्या लाभ मिला है… सबकी आस्था भगवान राम में है… लेकिन धर्म के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए….
अटल विहारी ने कही थी बड़ी बात
आपको बता दें कि पूर्व प्रधाममंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने संसद में कहा था कि कभी भी धर्म के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए… और पार्टियां बनेगी, बिगड़ेगी सत्ता आएगी जाएगी लेकिन देश में कभी भी क्या चल रहा है… किसी को पता नहीं होना चाहिए… और धर्म मजहब की राजनीति नहीं होनी चाहिए… वहीं ऐसे नीतियों पर चलने वाली बीजेपी वाजपेई जी की बात तो करती है…. लेकिन उनकी विचारधारा को क्यों भूल गई… और सत्ता की चाह में एक के बाद एक झूठे वादे दावे करके जनता को गुमराह करने का काम कर रही है…. बीजेपी ने देश के एक बड़े क्षेत्रफल के लोगों का ब्रेम वास कर दिया है… जिसके चलके उनकों बीजेपी की झूठ दिखाई ही नहीं दे रही है… लेकिन जनता अब जाग चुकी है… और जनता इस बार देश से बीजेपी का सफाया करने के लिए तैयार है… और इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी का सफाया निश्चित है….
शिवसेना ने छः बार जीत दर्ज की
वहीं महाराष्ट्र के औरंगाबाद लोकसभा सीट पर दो हजार उन्नीस लोकसभा चुनाव जैसी स्थिति इस बार भी पैदा हुई… जहां पिछले चुनाव में AIMIM ने अविभाजित शिवसेना को हराकर उससे उसका गढ़ छीन लिया था…. हालांकि औरंगाबाद जिले का नाम बदलकर छत्रपति सांभाजीनगर कर दिया गया है…. लेकिन निर्वाचन आयोग के रिकॉर्ड में लोकसभा सीट का नाम औरंगाबाद ही है…. बता दें यह सीट मराठवाड़ा क्षेत्र में आता है…. और औरंगाबाद सीट को अविभाजित शिवसेना ने उन्नीस सौ नवासी के बाद छह बार जीता है…. लेकिन पांच साल पहले बाल ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी को तब झटका लगा जब इसके अनुभवी नेता चंद्रकांत खैरे को AIMIM के इम्तियाज जलील ने चार हजार पांच सौ से भी कम वोटों के अंतर से हरा दिया था…. जिसके बाद से औरंगाबाद सीट का समीकरण बदला हुआ नजर आ रहा है… कभी शिवसेना का गढ़ रही औरंगाबाद सीट को पहली बार किसी दूसरी पार्टी ने जीता था…
एमआईएमआईएम और सिवसेना के बीच होगा मुकाबला
बता गें कि औरंगाबाद सीट पर तेरह मई को मतदान कराया जाएगा… वहीं इस सीट पर एकबार फिर एआईएमआईएम और विभाजित शिवसेना के गुट शिवसेना-यूबीटी के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा…. एआईएमआईएम ने जलील को दोबारा टिकट दिया है…. हालांकि हो हजार उन्नीस और दो हजार चौबीस के बीच महाराष्ट्र की राजनीति में बहुत कुछ बदल गया है…. और जून दो हजार बाइस में शिवसेना को विभाजन का सामना करना पड़ा… और शिवसेना के दो फाड़ हो गए है… जिसके बाद पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना गुट को नई पहचान मिली… और उसे नया चुनाव चिह्न भी मिल गया है…. वहीं खैरे, ठाकरे गुट के साथ हैं….
शिवसेना ने लगातार जीत दर्ज की
आपको बता दें कि औरंगाबाद महाराष्ट्र का औद्योगिक केंद्र है…. महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर भी है….. इस निर्वाचन क्षेत्र में ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के कन्नड़, गंगापुर, वैजापुर और शहरी विधानसभा क्षेत्र के मध्य, पश्चिम और पूर्व औरंगाबाद शामिल हैं…. लोकसभा क्षेत्र में तीस लाख बावन हजार सात सौ चौबीस मतदाता हैं…. जिनमें सोलह लाख एक सौ उनहत्तर पुरुष, चौदह लाख बावन हजार चार सौ पंद्रह महिलाएं हैं…. जबकि थर्ड जेंडर के एक सौ चालीस मतदाता शामिल हैं…. औरंगाबाद शुरुआत में कांग्रेस का गढ़ था… और इसने यहां आजादी के बाद के कई चुनाव जीते…. हालांकि उन्नीस सौ अस्सी के दशक के अंत में और नब्बे के दशक में शिवसेना ने यहां एंट्री की… और फिर यहां की बड़ी पार्टी बन गई…. जिसके बाद से शिवसेना यहां से लगातार चुनाव जीतती रही है… लेकिन दो हजार उन्नीस के चुनाव में शिवसेना का रिकार्ड टूट गया है… एमआईएमआईएम ने यहां से जीत दर्ज की…
शिवसेना का दबदबा कायम
आपको बता दें कि यह सीट मुंबई के बाद अविभाजित शिवसेना का दूसरा गढ़ थी…. यही वजह थी कि इसकी छह विधानसभा सीट दो हजार उन्नीस के चुनाव में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन ने जीता था….. वहीं कांग्रेस के सुरेश चंद्र यहां के पहले सांसद थे…. जबकि स्वतंत्रता सेनानी स्वामी रामानंद औरंगाबाद के दूसरे सांसद थे… जो कि कांग्रेस नेता था…. आपको बता दें कि यह सीट उन्नीस सौ इकहत्तर तक कांग्रेस के पास रही… हालांकि उन्नीस सौ सतहत्तर में जनता पार्टी के बापूसाहेब ने कांग्रेस के प्रत्याशी को हरा दिया था….. इसके बाद उन्नीस सौ चौरासी में इंडियन कांग्रेस (सोशलिस्ट) के प्रत्याशी ने यहां से जीत हासिल की…. उसके बाद उन्नीस सौ नवासी में शिवसेना ने पहली बार यहां जीत हासिल की…. जिसके बाद से यह सिलसिला लगातार जारी रहा है… और दो हजार उन्नीस के चुनाव में शिवसेना का यह सिलसिला टूटा और यह सीट एमआईएमआईएम के खाते में चली गई…
बीजेपी के मिल रही कांटे की टक्कर
वहीं महाराष्ट्र में इस बार का चुनाव इतना आसान नहीं है… सभी पार्टियां पूरी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में जुटी है… और इस बार का लोकसभा चुनाव कांटे की टक्कर का होने वाला है… और बीजेपी समेत समेत महाराष्ट्र की सभी पार्टियां पूरी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में जुटी हुई है…. वहीं इस बार महाराष्ट्र की जनता किसका ताजपोशी करेगी यह आने वाला वक्त तय करेगा…