बच्चों को ऐसे सिखाएं अच्छी आदतें

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
बच्चे अगर बदमाशी न करें तो उनका बचपन अधूरा ही रह जाएगा। इसलिए उन्हें रोकें नहीं लेकिन यह जरूर बताएं कि कब उनकी बदमाशी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बच्चों को डांटकर या उन पर चिल्लाकर इसका समाधान न ढूंढ़ें बल्कि दूसरे तरीके अपनाकर उन्हें बेहतर तरीके से समझाया जा सकता है। तो आइए जानें कि बिना पनिशमेंट दिए कैसे सिखाएं अच्छी आदतें। बच्चे जब बदमाशी करते हैं तो सारा पेशन्स जवाब दे देता है। गुस्से से हम अपना आपा भी खो देते हैं और बच्चे पर हाथ भी उठा देते हैं जो कि पूरी तरह गलत है। बच्चों को सजा देने से वे और भी आक्रामक हो सकते हैं या फिर हमारी डांट-मार के डर से हमसे बातें छुपाने लगते हैं और डरपोक बन सकते हैं।

देर रात तक जगना

बच्चा अगर रात में नहीं सो रहा है और बदमाशी करता है, तो उसे डांट कर सुलाने की जगह क्रिएटिव तरीके का इस्तेमाल करें। बच्चे को एक लाइन में सिंपल तरीके से समझाएं कि तुमने मिसबिहेव किया है इसलिए तुम्हें सीधा बेड पर जाना है। यह कोई पनिशमेंट नहीं है बल्कि तुम्हारे दिमाग को शांत करने की तकनीक है, क्योंकि तुम्हारा दिमाग थोड़ा थक गया है और अब वो रात भर सो कर जब सुबह उठेगा तभी रिलैक्स होगा। इस तरह वे जल्दी सोना सीखेंगे।

तेज गुस्सा

अगर बच्चे को बहुत तेज गुस्सा आता है, तो उसे आंखें दिखाने की जगह गले लगाएं या फिर फौरन 10 मिनट का ब्रेक लें। न बच्चे को लज्जित महसूस कराएं, न उन्हें डांटें, न मारें, सीधा अपनी बात बोलें कि हमें दस मिनट का ब्रेक लेना चाहिए और कमरे से बाहर चले जाएं। जाने से पहले कमरे में कोई बुक या टॉय दिखे तो उसे रखते हुए जाएं जिसमें बच्चा व्यस्त हो जाए और आप खुद को शांत कर सकें। इससे बच्चा अपनी भावनाएं हैंडल करना सीखेगा। हां, ये उम्र के अनुसार ही करें। अधिक छोटे बच्चे सिर्फ गोद में ही रहना चाहते हैं।

मजेदार नियम बनाएं

अगर बच्चा होमवर्क करने की जगह समय बरबाद कर रहा है, तो एक मजेदार नियम बनाएं जिसमें बच्चे को ये बोलें कि जो होमवर्क जितना देर से करेगा उतना टाइम उसके फेवरेट काम में से काट दिया जाएगा। फिर चाहे वो साइक्लिंग हो, पार्क जाना हो, आर्ट एंड क्राफ्ट करना हो या वीडियो गेम खेलना हो। इससे बच्चे समय से अपने होमवर्क को खत्म करने के लिए सीरियस होंगे।

ऐसे दें सजा

जिम्मेदारी का आभास कराने के लिए उन्हें बोलें कि जो मदद नहीं करेगा वो गेम नहीं खेल पाएगा। इसे बच्चे सजा की तरह नहीं बल्कि एक गेम समझ कर खेलेंगे और जल्दी-जल्दी अपनी जिम्मेदारियां पूरी करेंगे। इस तरह वे जिम्मेदार बनेंगे। अगर दो भाई-बहन आपस में लड़ रहे हैं तो उनकी सुलह कराने में आपकी हालत खराब हो सकती है। ऐसे में शांति से बोलें कि अगर आप लोग लड़ेंगे तो अगले 30 घंटे आप दोनों को एक दूसरे के साथ ही बिताना पड़ेगा, यही नियम है। इससे बच्चे एक समय के बाद लड़ाई भूल कर खुद ही सुलह कर लेते हैं और आपको परेशान नहीं करते हैं।

Related Articles

Back to top button