तेल कंपनियों की सुनियोजित वसूली!

  • कच्चे तेल के दाम गिरे लेकिन नहीं कम हुए पेट्रोल के भाव
  • उल्टे गैस के सिलेंडर के बढ़ गये दाम
  • विपक्ष बोला- जब जनता को राहत की सबसे ज्यादा थी जरूरत, सरकार ने की मुनाफे की सबसे बड़ी वसूली

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। एक समय था जब कच्चे तेल की कीमतों में इजाफे की खबर से लोग अपनी टंकियां फुल करा लेते थे। लेकिन अब कच्चे तेल की कीमतों में कमी के बाद भी पेट्रोल/डीजल के प्राइस कम नहीं हो रहे क्योंकि सरकार ने तेल पर उत्पादन शुल्क बढ़ा दिया जिससे आम जनता को कच्चे तेल की घटी कीमतों का लाभ नहीं मिला। यही नहीं तेल कंपनियों ने घरेलू गैस सिलेंडर की कीमतों में इजाफे का एलान कर दिया है। 8 अप्रैल यानि कि आज से प्रत्येक घरेलू सिलेंडर चाहे वह उज्जवला योजना वाला ही क्यों न हो पर 50 रूपेय प्रति सिलेंडर की दर से भाव बढ़ा दिये गये हैं।

रसोई गैस के दामों में भी बढ़ोत्तरी

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने घोषणा की है कि सब्सिडी वाले और गैर-सब्सिडी वाले दोनों उपभोक्ताओं के लिए 14.2 किलोग्राम वाले एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 50 रुपए प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी की जा रही है। यह बढ़ोतरी 8 अप्रैल यानि कि आज से लागू हो जाएगी। यह मूल्य वृद्धि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के लाभार्थियों के साथ-साथ दूसरे उपभोक्ताओं पर भी लागू होगी। बढ़ोत्तरी के बाद योजना वाले सिलेंडर 500 रुपए से बढ़कर 550 रुपए प्रति सिलेंडर हो जाएंगे। तो दूसरे उपभोक्ताओं के लिए यह कीमत 803 रुपए से बढ़कर 853 रुपए हो जाएगी।

सरकार के खजाने में आएंगे 32,000 करोड़

देश में हर साल 16,000 करोड़ लीटर पेट्रोल और डीजल की खपत होती है। इसलिए, उत्पाद शुल्क में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी से सरकार को 32,000 करोड़ रुपये तक का फायदा हो सकता है।

बढ़ गया उत्पाद शुल्क

सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले टैक्स में भी बढ़ोतरी की है। इसे उत्पाद शुल्क कहते हैं। यह 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ाया गया है। इससे सरकार को लगभग 32,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई होगी। लेकिन, इसका असर पेट्रोल और डीजल के दामों पर नहीं पड़ेगा। कारण है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें गिर गई हैं। इससे पेट्रोलियम कंपनियों को फायदा होगा और वे इस बढ़े हुए टैक्स को खुद ही भर लेंगी।

बाजार की मजबूरी या फिर…जरूरी

अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चा तेल 130 अमेरिकन डालर से घटकर 65 अमेरिकन डालर प्रति बैरल तक आ चुका है लेकिन फिर भी भारत में पेट्रोल की कीमतें 90 रुपये से 100 रुपये प्रति लीटर पर ही टिकी हैं। कच्चे तेल के दामों में भारी गिरावट के बाद भी भारत में पेट्रोल सस्ता नहीं हुआ। क्या यह बाजार की मजबूरी है या फिर सरकारी खजाने को टैक्स के जरिये भरने की राजनीतिक प्राथमिकताओं का पर्दाफाश है। जो कुछ भी हो विपक्ष ने सरकार के इस कदम की जोरदार आलोचना की है। अर्थशास्त्रियों की नजर में घरेलू गैस सिलेंडर के भाव बडऩे से खाने पीने की चीजें और महंगी हो जाएगीं वहीं यदि सरकार कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट का फायदा आम जनता तक पहुंचने देती तो बेहतर होता।

सीएनजी 1 रुपये प्रति किलो महंगी

सरकार ने प्राकृतिक गैस की कीमतें भी बढ़ा दी हैं। इसके बाद दिल्ली और आसपास के शहरों में सीएनजी 1 रुपये प्रति किलोग्राम महंगी हो गई है। दिल्ली में गैस बेचने वाली कंपनी इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (ढ्ढत्ररु) ने सोशल मीडिया पर बताया कि अब दिल्ली में सीएनजी 75.09 रुपये प्रति किलोग्राम मिलेगी।

घटनी चाहिए कीमतें : सपकाल

कांग्रेस नेता हर्षवर्धन सपकाल ने बड़ी कीमतों का विरोध किया है। उन्होंने प्रेस कांफ्रेस कर कहा कि जब जनता को राहत की सबसे ज़रूरत थी, सरकार ने मुनाफे की सबसे बड़ी वसूली की। उनके मुताबिक पेट्रोल और डीजल की कीमतें क्रमश: 51 रुपये और 41 रुपये प्रति लीटर तक कम की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल है फिर भी देश की जनता को अत्यधिक करों के जरिए लूटा जा रहा है।कांग्रेस नेता ने ईंधन पर लगाए गए करों और उपकर का ब्यौरा देने वाले श्वेत पत्र की मांग की। उन्होंने सवाल किया कि यूपीए शासन के दौरान ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के बारे में ट्वीट करने वाले लोग अब चुप क्यों हैं।

Related Articles

Back to top button