योगी सरकार का बड़ा भ्रष्टाचार उजागर, 95 करोड़ की सड़क सात महीने में बही

महाकुंभ के समय सबसे चर्चित रोड जिन रास्तों से होकर लोग अमृत स्नान कर अपने घर को वापस गए... वह गंगा पथ बाढ़ के पानी में बह गया...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों….. योगी बाबा जबसे सत्ता में आए हैं….. तभी से प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की बात करते चले आ रहे हैं….. लेकिन योगी सरकार में ही भ्रष्टाचार के बड़े- बड़े मामले हर दिन उजागर हो रहे हैं…… और योगी के जिम्मेदार अधिकारी जनता के रूपये को पानी की तरह बहा रहे है….. अभी सात महीने पहले प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन किया गया था…… जिसकी भव्यता का प्रचार करने में योगी सरकार ने करोड़ो रूपये पानी की तरह बहा दिए……. और करोड़ों की लागत से श्रद्धालुओं के आवागमन के लिए सड़क का निर्माण कराया गया और सरकार द्वारा ढ़िंढोरा पीटा गया….. कि महाकुंभ में आने के लिए श्रद्धालुओं को किसी करह की कोई असुविधा नहीं होगी…….. लेकिन महाकुंभ के दौरान जो भी हुआ वो किसी से छुपा नहीं है……

आपको बता दें कि प्रयागराज एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र हैं…… जहां हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है……… इस शहर को संगम नगरी के रूप में जाना जाता है…….. जहां गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों का मिलन होता है……. बता दें कि महाकुंभ 2025 के दौरान योगी सरकार की तैयारियां जोरों पर थीं……. और इसी के तहत गंगा रिवर फ्रंट रोड का निर्माण किया गया था……. यह सड़क फाफामऊ से संगम तक की यात्रा को सुगम बनाने के लिए बनाई गई थी……. ताकि श्रद्धालु आसानी से अमृत स्नान कर सकें…….

बता दें कि करीब 95 करोड़ रुपये की लागत से बनी 15 किलोमीटर लंबी गंगा रिवर फ्रंट इंटरलॉकिंग सड़क महज सात महीनों में ही गंगा की बाढ़ में बह गई……. सड़क के साथ-साथ इसके किनारे बनी आरसीसी दीवारें…… और पत्थरों के जाल भी पानी के तेज बहाव में नष्ट हो गए……. जिससे योगी सरकार के भ्रष्टाचार की पोल खुल गई……. और लोक निर्माण विभाग, नगर निगम और प्रयागराज विकास प्राधिकरण जैसे विभागों पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए…..

गंगा रिवर फ्रंट रोड का निर्माण प्रयागराज की धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था……… यह सड़क फाफामऊ से संगम तक की यात्रा को आसान बनाने के लिए बनाई गई थी……… जो महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण मार्ग था…… इस 15 किलोमीटर लंबी इंटरलॉकिंग सड़क को बनाने में करीब 95 करोड़ रुपये की लागत आई थी…….. इसके किनारे आरसीसी से दीवारें बनाई गई थीं…… और सड़क को मजबूती प्रदान करने के लिए बड़े-बड़े पत्थरों को स्टील वायर के जाल में बांधकर रखा गया था…….

वहीं इस परियोजना का उद्घाटन बड़े जोर-शोर से हुआ था…….. अधिकारियों और नेताओं ने इसे प्रयागराज की नई पहचान बताया…… और दावा किया कि यह सड़क न केवल श्रद्धालुओं के लिए सुविधाजनक होगी…….. बल्कि शहर के पर्यटन को भी बढ़ावा देगी……. यह सड़क महाकुंभ के दौरान संगम तक पहुंचने का प्रमुख मार्ग थी……. और इसे शहर की बुनियादी ढांचे की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में खूब बखान किया गया……..

बता दें कि जुलाई में गंगा और यमुना नदियों में जलस्तर बढ़ गया…… और प्रयागराज में बाढ़ आ गई…… गंगा का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया……. वहीं बाढ़ का पानी न केवल निचले इलाकों में घुस गया…….. बल्कि गंगा रिवर फ्रंट रोड को भी भारी नुकसान पहुंचाया…….. सड़क के कई हिस्से पूरी तरह बह गए……. इंटरलॉकिंग ईंटें उखड़ गईं, और किनारे की आरसीसी दीवारें ढह गईं…….. बता दें कि जैसे ही गंगा का पानी सड़क पर चढ़ा…….. इसकी कमजोर नींव उजागर हो गई……. जगह-जगह सड़क टूटने लगी……. और कुछ हिस्सों में तो पूरी सड़क ही गायब हो गई…….. सुनौटी घाट भी पूरी तरह पानी में डूब गया…….. और इसके साथ ही रिवर फ्रंट रोड का एक बड़ा हिस्सा भी नष्ट हो गया……

वहीं अब सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या करोड़ों रुपये खर्च करके बनाई गई सड़क को इस तरह बह जाना ‘प्राकृतिक आपदा’ का मामला है….. या फिर इसके पीछे पीडब्ल्यूडी, नगर निगम व पीडीए जैसे बड़े विभागों मानक की अनदेखी कर निर्माण में लापरवाही……. भ्रष्टाचार और तकनीकी खामियों को नज़र अंदाज किया गया….. बता दें कि 4 माह बाद प्रयागराज प्रशासन के सामने एक बार फिर धार्मिक आस्था का बड़ा आयोजन माघ मेला करने की बड़ी चुनौती है……. इस बीच प्रशासन ने अस्थायी रूप से वैकल्पिक रास्तों से आवागमन चालू करने की कोशिश कर रही है…….

 

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