केंद्र के धोखा देने से बिगड़े हालात: उमर

- बोले- लद्दाख और जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने में देरी ठीक नहीं
- सीएम का तंज- कल तक वांगचुक में कोई दोष नहीं था
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
श्रीनगर। लद्दाख में हुए हिंसा केबाद वहां पर सियासी वार-पलटवार रू कने का नाम नहीं ले रहा है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने को केंद्र पर अपने वादों को पूरा न कर लद्दाख व जम्मू-कश्मीर दोनों के साथ विश्वासघात करने और राज्य का दर्जा बहाल करने में देरी कर अविश्वास बढ़ाने का आरोप लगाया। उमर ने वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका हरिंदर बावेजा की नवीनतम पुस्तक ‘दे विल शूट यू, मैडम माई लाइफ थ्रू कॉन्फ्लिक्ट’ के विमोचन के अवसर पर कहा कि सरकार पहले जम्मू-कश्मीर और अब लद्दाख के लिए अपनी रूपरेखा पर अमल करने में विफल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि लद्दाख को ‘असंभव’ आश्वासन देकर गुमराह किया गया।
अब्दुल्ला ने बताया, जब आप चाहते थे कि वे (लद्दाख) हिल काउंसिल चुनावों में हिस्सा लें, तो आपने उन्हें छठी अनुसूची देने का वादा कर दिया। सभी जानते थे कि लद्दाख को छठी अनुसूची देना लगभग असंभव था। एक तरफ चीन और दूसरी तरफ पाकिस्तान से सीमा साझा करने वाले इस क्षेत्र के लिए भारी सुरक्षा बलों की आवश्यकता होती है, जिसे छठी अनुसूची असंभव बना देती है। फिर भी, आपने चुनावी भागीदारी दिलाने के वादे किए। मुख्यमंत्री ने लद्दाखी नेताओं, खासकर जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के प्रति रुख में अचानक आए बदलाव की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, एक सज्जन (वांगचुक), जो कल तक प्रधानमंत्री की पर्यावरण योद्धा के रूप में प्रशंसा कर रहे थे और 2019 में लद्दाखियों के सपनों को पूरा करने के लिए उन्हें (मोदी को) केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद दे रहे थे… तब किसी ने उनमें कोई दोष नहीं पाया। आज, अचानक हमें एक पाकिस्तानी कनेक्शन मिल गया। दो दिन पहले, ऐसा कुछ नहीं था। कहां से आया यह? अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर की राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग पर केंद्र सरकार पर अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया।
भाजपा के झूठे वादे ने भड़काया लद्दाख आंदोलन : तारिक
जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष तारिक कर्रा ने कहा कि भाजपा की झूठी उम्मीदों और केंद्र सरकार की बेरुखी ने लद्दाख में हो रहे आंदोलन को जन्म दिया है। भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा किया था, जिसे पूरा नहीं किया गया। तारिक ने बताया यदि भाजपा ने अपने वादे निभाए होते तो आज की यह स्थिति नहीं होती। भाजपा केंद्र सरकार की गलतियों और वादाखिलाफी को छुपाने के लिए कांग्रेस पर आरोप लगा रही है। लद्दाख में राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन में 24 सितंबर को हिंसा भडक़ गई थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए। इस दौरान जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया। तारिक कर्रा ने कहा कि कांग्रेस आंदोलन के दौरान हुई आगजनी और गोलीबारी की कड़ी निंदा करती है और मृतकों के परिवारों के प्रति सहानुभूति प्रकट करती है। सरकार अगर सोचती है कि सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी से आंदोलन थमेगा तो वह गलतफहमी में है। उन्होंने यह भी कहा कि लद्दाख एक संवेदनशील क्षेत्र है, जो दो तरफ से पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मन देशों से घिरा है। चीन पहले से ही लद्दाख के कुछ इलाकों में घुसपैठ कर चुका है। ऐसे में केंद्र सरकार को सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि राजनीति। तारिक कर्रा ने बताया कि जो लोग अब केंद्र सरकार और स्थानीय प्रशासन के खिलाफ विरोध कर रहे हैं, वे वही लोग हैं जिनका भाजपा ने पहले इस क्षेत्र में दुरुपयोग किया था।
पाकिस्तान कनेक्शन पूरी तरह झूठा : गीतांजलि अंगमो
श्रीनगर। लेह हिंसा के लिए सुरक्षा बलों को जिम्मेदार ठहराते हुए, सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने उनके पाकिस्तान कनेक्शन आरोपों का कड़ा खंडन किया है। उन्होंने बताया कि वांगचुक का विरोध गांधीवादी था, जिसे 24 सितंबर को सीआरपीएफ की कार्रवाई ने हिंसक बना दिया, वहीं पुलिस इसे आत्मरक्षा बताती है। अंगमो ने एनएसए के तहत गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए उनके पाकिस्तान दौरे को जलवायु-केंद्रित बताया। जोधपुर जेल में बंद वांगचुक की पत्नी ने लेह में हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शनों के हिंसक होने के लिए सुरक्षा बलों को जिम्मेदार ठहराया है। अंगमो ने कहा कि वांगचुक वर्षों से सर्वाधिक गांधीवादी तरीके से विरोध कर रहे थे, लेकिन 24 सितंबर को केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल की कार्रवाई के कारण स्थिति बिगड़ गई, जिसके परिणामस्वरूप चार लोगों की मौत हुई। हालांकि, पुलिस का कहना है कि भीड़ के हिंसक होने और स्थानीय भाजपा कार्यालय में आग लगाने के बाद उन्होंने आत्मरक्षा में कार्रवाई की थी। अंगमो ने बताया कि वांगचुक को को कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार कर जोधपुर जेल भेज दिया गया, लेकिन उन्हें नजरबंदी आदेश नहीं दिखाए गए हैं। वांगचुक की पत्नी ने उन पर कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाए जाने पर सवाल उठाया, जिसके तहत उन्हें बिना किसी मुकदमे के 12 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि वांगचुक निश्चित रूप से किसी भी सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा नहीं हैं।



