महाभारत काल से चली आ रही परंपरा, गढ़मुक्तेश्वर में गंगा तट तक हुआ दीपदान
महाभारत युद्ध के बाद दिवंगतों की आत्मा की शांति के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गढ़ के गंगा घाट पर दीपदान किया था। तब से यह परंपरा आज तक जारी है।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाभारत युद्ध के बाद दिवंगतों की आत्मा की शांति के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गढ़ के गंगा घाट पर दीपदान किया था। तब से यह परंपरा आज तक जारी है।
यूपी के हापुड जिले के गढ़मुक्तेश्वर में महाभारत काल से चली आ रही दीपदान की प्रथा अभी भी चली आ रही है. चतुर्दशी पर यहां हजारों की संख्या में लोग पहुंचे. इस दौरान गंगा घाट पर भारी भीड़ रही.
लाखों लोग अपने दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए हापुड़ के गढ़ गंगा में कार्तिक गंगा स्नान से एक दिन पूर्व दीपदान करने के लिए यहां दूर-दूर से पहुंचे. अपने पूर्वजों को यादकर लोगों की आंखें नम हो गईं.
यहां अपने मृत पूर्वजों की याद में दीपदान कर लोगों की आंखें भी भर आती हैं. इस परंपरा को निर्वाह करते समय गंगा घाट ऐसा प्रतीत हो रहा था, जैसे आकाश से तारे धरती पर उतर आए हों. गंगा घाट पर पहुंचकर यहां लोगों ने सालों से चली आ रही परंपरा का निर्वाहन किया.
दीयों की रोशनी से गंगा घाट जगमगा उठा. अलग-अलग राज्यों से लाखों श्रद्धालु गढ़ गंगा में स्नान कर अपने दिवंगत परिजनों के नाम से दीपदान करने पहुंचे. हाथों में दिये लिए और अपने पूर्वजों को यादकर लोगों की आंखें नम हो गईं.
महाभारत के युद्ध में मारे गए हजारों सैनिक और असंख्य योद्धाओं की आत्मा की शांति के लिए भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों की मौजूदगी में सर्वप्रथम चतुर्दशी को दीपदान किया था.
गंगा घाट पर दीपदान की परंपरा हजारों साल से चली आ रही है. वर्तमान में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस गंगा के मेले को राजकीय दर्जा भी प्रदान कर दिया है. मेले को लेकर गंगा घाट पर खास इंतजाम किए गए थे.
यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु दीपदान के लिए घाट पर पहुंचकर सूर्यास्त होते ही दीपदान किया. देर रात तक दीपदान का सिलसिला जारी रहा. गंगा घाट पर हजारों की संख्या में मौजूद रहे. मेले आए लोगों को किसी तरह की अव्यवस्था का सामना न करना पड़े, जिसको लेकर खास इंतजाम किए गए.
घाट पर पिंडदान की सामग्री तिगरी गंगा, गढ़ मेले के साथ ब्रजघाट में दीपदान को उमड़ने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ के साथ गंगा घाटों पर विशेष इंतजाम रहे. घाटों पर दीपदान की सामग्री लेकर ब्राह्मण मौजूद रहे. जिससे लोगों को जरूरी सामग्री आसानी से मिल गई.



