सवालों के घेरे में अयोध्या के उपनिदेशक सूचना

गोपनीय कागज सार्वजनिक होने से पत्रकारों में भारी रोष

 ओम प्रकाश सिंह
अयोध्या। समाज के दुख दर्द से सरकार को अवगत कराने वाले रामनगरी के पत्रकारों पर सरकारी साजिश ने मुकदमा दर्ज करवा दिया है। उपनिदेशक सूचना मुरलीधर सिंह, प्रेस क्लब सिविल लाइन अयोध्या के प्रशासक बनना चाहते है। इसी के चलते अयोध्या धाम में एक करोड़ की लागत से बना अंतरराष्टï्रीय मीडिया सेंटर लोकार्पण के साल भर बाद भी देशभर के पत्रकारों के लिए संचालित नहीं हो पा रहा है।
आपराधिक किस्म के एक पत्रकार को मोहरा बनाकर उप सूचना निदेशक लगातार प्रेस क्लब से जुड़े पत्रकारों के खिलाफ साजिश रचता रहा है। कई शिकायतों पर जांच हुई तो रिपोर्ट को तत्कालीन जिलाधिकारी अनुज ओझा ने रिपोर्ट को अस्वीकार करते हुए शासन को अलग से पत्र भेजा और उप सूचना निदेशक को फटकार भी लगाई थी। इसके बाद उप सूचना निदेशक ने गोपनीय पत्रावली में से जांच रिपोर्ट अपने एक अपराधी व्यक्ति को दे दिया और उसी की फोटो कॉपी पर यह तूफान खड़ा किया गया है। फोटोकॉपी की कोई लीगल वैल्यू नहीं है। प्रेस क्लब की स्थापना 1994 में हुई है। बता दें कि उप सूचना निदेशक मुरलीधर सिंह की योजना विवाद पैदा कर स्वयं प्रशासक बनने की है। प्रेस क्लब के पदाधिकारी ने उपनिदेशक सूचना से सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्रमाणित जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने की मांग किया था तो गोपनीय रिपोर्ट बता कर नहीं दिया गया था। सवाल यह उठता है जांच रिपोर्ट फोटोस्टेट होकर आखिर सार्वजनिक कैसे हुई। इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी उप सूचना निदेशक मुरलीधर की हो रही है, जिसकी जांच भी किया जाना आवश्यक है। उनके द्वारा गोपनीय कागजों को सार्वजनिक किया जाना स्वयं में अपराध है। इन सारे कारनामों से अयोध्या जनपद के पत्रकारों में भारी रोष है। जिसको लेकर देश के प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री योगी को उत्तर प्रदेश एसोसिएशन आफ जर्नलिस्ट्स ने शिकायत पत्र भेजकर जांच कराने की मांग किया है।

 

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