सत्ता पक्ष के नेताओं में अब उत्साह नहीं!

छठे चरण में उदासीनता लोग चाहते हैं बदलाव

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। छठे चरण के सियासी जंग में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई दिग्गजों की साख दांव पर लगी है। हालांकि नतीजे 10 मार्च को आएंगे मगर योगी, लल्लू, मौर्य के लिए यह चुनाव जीतना इतना आसान नहीं होगा। सपा लड़ती हुई नजर आती है लेकिन बसपा मौन है। ये बातें निकलकर सामने आई वरिष्ठï पत्रकार अशोक वानखेड़े, अजय शुक्ला, किसान नेता आनंद राय, डॉ. लक्ष्मण यादव, विकास जैन और अभिषेक कुमार के साथ एक लंबी परिचर्चा में।
विकास जैन ने कहा छठे चरण में ईवीएम में कैद मतदान किसके पक्ष में गिरा ये कहना बहुत मुश्किल है। गोरखपुर में ब्राह्मण और ठाकुर का विवाद पुरजोर है। आनंद राय ने कहा कि गोरखपुर में 9 सीटें है। सदर सीट से योगी की जीत में कोई संशय नहीं है। मसला योगी की जीत के मार्जिन का है। अखिलेश ने जो जातिए गुलदस्ता पेश किया है वो वहीं प्रयोग है जो आरएसएस ने 2017 में पेश किया था। डॉ. लक्ष्मण यादव ने कहा पूरब में सबसे ज्यादा जोर भाजपा और उनकी अनुसांगिक मीडिया घरानों और बुद्धीजीवियों के द्वारा जिस बात पर दिया गया वो लाभार्थी चेतना का है क्योंकि इसमें जो लाभार्थियों का समूह उन्हीं जातियों के भीतर आते हैं जिसकी मदद से 2017 में भाजपा ने सरकार बनाई थी। अजय शुक्ला ने कहा कि छठें चरण में भी सपा की स्थिति मजबूत हुई है। लेकिन जिस तरह से ईवीएम की मशीनें खराब हो रही है ये अपने आप में मायने रखता है। अशोक वानखेड़े ने कहा कि छठे चरण में उदासीनता है। लोग सत्ता में बदलाव चाहते है। सत्ता पक्ष के नेताओं में अब उत्साह नहीं रहा। बातें दोहराई जा रही नया कुछ नहीं है।

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