प्लेन क्रैश जांच रिपेार्ट पर देश में मचा बवाल

- प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में मिली गंभीर तकनीकी खामियां
- विपक्ष पहले ही सरकार पर विमान कंपनी को बचाने का लगा चुका है आरोप
- पायलट एसोसिएशन ने जताई नाराजगी, जांच समिति में शामिल करने की मांग
- पायलट को फ्यूल कंट्रोल ऑफ बोलकर कंफर्म करना होता है जो इस मामले में ऑडियो में नहीं है
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। अहमदाबाद प्लेन क्रैश पर आई विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो की प्रारंभिक रिपोर्ट ने पूरे देश में तूफान खड़ा कर दिया है। विपक्ष, मारे गये लोगों के परिजनो के बाद अब पायलट एसोसिएशन ने भी जांच रिपोर्ट पर गंभीर सवाल उठाते हुए एसोसिएशन को जांच कमेटी में शाामिल करने की मांग की है। वीडियो ब्लागर, एक्टिीविस्ट और समाजिक लोग पहले ही संदेह जता चुके हैं कि जांच रिपेार्ट में विमान बनाने वाली कंपनी को बचाया जाने की कोशिश होगी। सूमेचे विपक्ष ने प्रारंभिक रिपोर्ट के आने के बाद कहा है कि पायलट पर आरोप लगाने का कोई औचित्य नहीं है।
फ्यूल कटऑफ थ्योरी की निंदा
भारतीय वाणिज्यिक पायलट संघ ने पायलट के द्वारा विमान का फ्यूल कटऑफ करने वाली थ्योरी की कड़ी निंदा की है। संघ का कहना है कि जांच पूरी हुए बिना पायलट पर इस तरह से इल्जाम लगाना सही नहीं है। पायलट की आत्महत्या का यह आरोप पूरी तरह से निराधार है। आईसीपीए के अनुसार, हादसे के बाद मीडिया और आमजन के बीच जिस तरह की बातें चल रही हैं उससे हम बेहद दुखी हैं। पायलट के द्वारा आत्महत्या का यह आरोपी बकवास और निराधार है। इस तरह के दावों का कोई आधार नहीं है। प्रारंभिक जांच और अधूरे आंकड़ों के आधार पर ऐसे इल्जाम लगाना न सिर्फ गैर-जिम्मेदाराना हरकत है बल्कि उनके परिवार के प्रति भी असंवेदनशीलता को दर्शाता हैं।
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण खुद को बचाने की कोशिश कर रहा है
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि हमारे देश के पायलट कड़ी मेहनत, लगन और पढ़ाई करते हैं, फिर उन्हें पहचान मिलती है। उन्होंने कहा कि पहले से इस बात की चर्चा है कि विमान के मालिकाना हक वाली कंपनी ने एक खास स्विच में समस्या का बार-बार जिक्र किया। आरोप है कि जानकारी होने के बावजूद उन्होंने निगरानी और उसे ठीक करने की अनदेखी की लेकिन ऐसा लगता है कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण इस हादसे में मारे गए दो पायलटों पर सारी जिम्मेदारी डालकर खुद को जिम्मेदारी से मुक्त करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि सारा दोष और जिम्मेदारी पायलटों के कंधों पर डाल दी जा रही है इसकी उचित जांच होनी चाहिए। विमान कंपनी बोइंग और बड़ी कंपनियों के सभी विशेषज्ञों को बुलाकर और सारी जानकारी का विश्लेषण करने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाना चाहिए।
कैप्टन सी.एस. रंधावा ने जांच रिपोर्ट पर उठाये सवाल
विमानन विशेषज्ञ कैप्टन सी.एस. रंधावा ने कहा कि रिपोर्ट में असली तकनीकी वजहें पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं। उन्होंने टेक आफ की पूरी प्रक्रिया को बताते हुए कहा कि एएआईबी की रिपोर्ट में जो बातें सामने आई हैं वह कई सवाल खड़े करती हैं। टेकऑफ के बाद विमान सामान्य ढंग से उड़ान भर रहा था। रिपोर्ट में स्पीड, लिफ्ट-ऑफ और गियर-अप जैसे तमाम चरणों की टाइमिंग दी गई है, लेकिन असली तकनीकी वजहें पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं।
को-पायलट की तरफ होता है स्विच
फ्यूल कंट्रोल स्विच की पोजिशनिंग को देखें तो वह को-पायलट की साइड में होता है और गलती से बंद नहीं हो सकता। उसे ऑफ करने के लिए दो चरणों में कार्रवाई करनी होती है, पहले उसे अनलॉक करना, फिर उसे पुश करके नीचे लाना। यह मैन्युअल एक्शन होता है, जो बिना पायलट के इरादे के हो ही नहीं सकता, जब तक कि कोई इलेक्ट्रिकल फॉल्ट न हो। रंधावा ने कहा कि बोइंग कंपनी ने इन स्विच को इस तरह डिजाइन किया है कि वे सिर्फ तीन स्थितियों में बंद होते हैं, जब पायलट खुद बंद करे (कमांड के साथ), जब इंजन में आग लगे या जब इंजन को हटाया जाना हो। अगर पायलट स्विच को ऑफ करता है, तो उसे फ्यूल कंट्रोल ऑफ बोलकर कंफर्म करना होता है, जो इस मामले में ऑडियो में नहीं है। यह भी चिंता का विषय है। रिपोर्ट में एयर इंडिया या बोइंग के सिस्टम डिजाइन पर कोई टिप्पणी नहीं है। हमें विस्तृत तकनीकी रिपोर्ट का इंतजार करना होगा। इलेक्ट्रिकल सर्किट, ईईसी फॉल्ट लॉग्स और ब्लैक बॉक्स के डाटा की बारीकी से जांच के बाद ही असली वजह सामने आएगी। इसमें 8 महीने से लेकर 3 साल तक समय लग सकता है।
बिना इरादे के बंद ही नहीं हो सकता फ्यूल कंट्रोल स्विच
रांधवा के मुताबिक एयरक्राफ्ट में इलेक्ट्रॉनिक इंजन कंट्रोल (ईईसी) सिस्टम होता है, जो इंजन के हर पहलू को मॉनिटर करता है। अगर उसमें किसी सिग्नल से यह महसूस होता है कि इंजन में कोई गंभीर गड़बड़ी है, तो यह सिस्टम अपने आप फ्यूल सप्लाई काट सकता है और इंजन को शटडाउन कर सकता है। यह भी रिपोर्ट में स्पष्ट नहीं है कि दोनों इंजन एकसाथ कैसे बंद हुए। रैट (रैम एयर टर्बाइन) का जिक्र रिपोर्ट में सिर्फ सतही तौर पर किया गया है, जबकि इसका एक्टिव होना, इस बात का संकेत देता है कि विमान पूरी तरह से पावर लॉस की स्थिति में आ चुका था।
लैंङ्क्षडग गियर लॉक हो जाते हैं
रांधवा ने बताया कि विमान जब हवा में उठता है तो उसके लैंडिंग गियर लॉक हो जाते हैं और तभी फ्लाइट ग्राउंड मोड से एयर मोड में ट्रांजिशन करता है। इसी दौरान अगर कोई पावर इंटरप्शन होता है, तो उससे इंजन और इलेक्ट्रिकल सिस्टम पर असर पड़ सकता है। रिपोर्ट में ‘फ्यूल कंट्रोल स्विच’ के ‘कट-ऑफ’ में ट्रांजिशन की बात की गई है। लेकिन, यह नहीं बताया गया कि वह स्विच किसने या कैसे ऑफ किया। कॉकपिट की ऑडियो रिकॉर्डिंग में यह सुना गया कि पायलट्स आपस में कह रहे थे कि उन्होंने स्विच को नहीं छुआ। इसका मतलब यह हो सकता है कि या तो किसी इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी के कारण स्विच एक्टिवेट हुआ या इंजन कंट्रोल यूनिट (ईईसी) ने स्वत: इसे बंद कर दिया।
एएलपीए इंडिया ने की जांच में शामिल होने की मांग
एअरलाइन पायलट एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने प्लेन क्रैश जांच में शामिल होने की मांग की है। एएलपीए इंडिया 800 एअरलाइंस और हेलीकॉप्टर कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती है। साथ ही यह संस्था इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एअरलाइन पायलट्स एसोसिएशन से जुड़ी है। वहीं दुनिया के 100 देशों के 1 लाख से ज्यादा पायलट संस्था के सदस्य हैं।




