किडनी को बेहतर बनाएंगे ये पांच योगासन
यूरिक एसिड भी कम करने में सहायक

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
शरीर प्राकृतिक तरीके से यूरिक एसिड बनाता है, जब भोजन में पाए जाने वाले प्यूरीन को तोडऩे से बनता है। कुछ स्तर तक यूरिक एसिड की मात्रा ठीक है, लेकिन इसका स्तर बढ़ जाए तो यह जोड़ों में दर्द, सूजन और गाउट जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। यूरिक एसिड रक्त में घुलकर किडनी के माध्यम से पेशाब के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है। यूरिक एसिड का उच्च स्तर इंसुलिन के कामकाज को प्रभावित करता है और मधुमेह का कारण बन सकता है। यूरिक एसिड के स्तर को प्राकृतिक तरीके से कम करने के साथ ही किडनी की कार्यक्षमता बढ़ाने और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए योग फायदेमंद हो सकता है। कुछ योग आसन अतिरिक्त यूरिक एसिड को बाहर निकालने, किडनी में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।
भुजंगासन
ये आसन किडने के स्वास्थ्य के लिए गेम चेंजर की तरह है। यह पेट के अंगों को उत्तेजित करता है और किडनी में बेहतर रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देता है, जिससे किडनी को बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिलती है। भुजंगासन के अभ्यास के लिए पेट के बल लेटकर अपनी हथेलियों को कंधों के नीचे रखें। सांस लें और अपनी छाती को ऊपर उठाएं। कोहनी को थोड़ा मोडक़र रखें। गहरी सांस लेते हुए 15-20 सेकंड तक इस मुद्रा में रहें। भुजंगासन करते समय गहरी सांस लेते रहें और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
सेतुबंधासन
ब्रिज पोज किडनी के कार्य को बेहतर बनाने और तनाव को कम करने के लिए बहुत बढिय़ा है। किडनी और स्ट्रेस, ये दोनों ही यूरिक एसिड के स्तर को संतुलित रखने में मदद करते हैं। सेतुबंधासन के अभ्यास के लिए अपने घुटनों को मोडक़र और पैरों को कूल्हे की चौड़ाई से अलग करके अपनी पीठ के बल लेट जाएं। अब पैरों को जमीन पर दबाएं और अपने कूल्हों को छत की ओर उठाएं। 20-30 सेकंड तक इसी स्थिति में रुकें।
धनुरासन
धनुरासन गुर्दे की मालिश करने, उनके कार्य को उत्तेजित करने और डिटॉक्स को बढ़ावा देने के लिए एकदम सही है। साथ ही, यह रीढ़ को मजबूत करता है और पीठ दर्द से राहत देता है। इस आसन के अभ्यास के लिए पेट के बल लेटें और अपने घुटनों को मोड़ें। पीछे की ओर से अपने टखनों को पकड़ें। सांस लें और छाती और जांघों को जमीन से ऊपर उठाएं। गहरी सांस लेते हुए 15-20 सेकंड तक रुकें।
पवनमुक्तासन
पवनमुक्तासन पेट की चर्बी को कम करके शरीर को लचीला बनाने में मदद करता है। पवनमुक्तासन को अंग्रेजी में विंड रीलिविंग पोज के नाम से जाना जाता है। क्या आपको कभी पेट फूला हुआ या सुस्ती महसूस होती है? पवनमुक्तासन फंसी हुई गैसों को बाहर निकालने में मदद करता है, पाचन में सुधार करता है और डिटॉक्सिफिकेशन को बढ़ावा देता है। ये सभी यूरिक एसिड के स्तर को संतुलित करने में योगदान देते हैं। पवनमुक्तासन के अभ्यास के लिए पीठ के बल लेटकर पैरों को जोड़ें। फिर हाथ को शरीर के दोनों तरफ रखते हुए सांस छोड़े और घुटनों को पेट की तरफ मोड़ें। घुटनों को छाती तक ले जाकर सिर को घुटनों तक ले जाएं। अपने हाथों से पैरों को पकडक़र जितना हो सके, अपने पास लेकर आएं। इस मुद्रा में कुछ देर रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं।
उत्तानासन
यह सरल आसन गुर्दे में रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है, विषाक्त पदार्थों को हटाने में सहायता करता है और यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रण में रखता है। इसके अभ्यास के लिए सीधे खड़े होकर धीरे-धीरे अपने कूल्हों से आगे की ओर झुकें। अपने हाथों से फर्श को छूएं। सिर को आराम देते हुए गहरी सांस लें। इस मुद्रा को 20-30 सेकंड तक बनाए रखें। इसके अलावाइस आसन की मदद से पीठ, हिप्स और टखनों के दर्द को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही शरीर अच्छे से स्ट्रेच भी होता है। इस योगासन की मदद से आप दिमाग को शांत कर सकते हैं और तनाव से दूर रह सकते हैं। सिर दर्द और अनिद्रा की समस्या में भी आप इस आसन को कर सकते है।


