कब्ज की समस्या से राहत देंगे ये योगासन
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
सही से पेट साफ न होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे आहार में फाइबर की कमी, पानी की कमी होना, जिससे पाचन तंत्र सही से काम नहीं करता और पेट साफ नहीं हो पाता। असंतुलित आहार, शारीरिक सक्रियता की कमी, तनाव व चिंता, पाचन तंत्र संबंधित समस्याएं पेट साफ न होने के सामान्य कारण हो सकते हैं। वहीं अगर आप का सही से पेट साफ नहीं हो पा रहा है, तो कब्ज, पेट में दर्द, सूजन, त्वचा की समस्याएं, उच्च रक्तचाप, मूड स्विंग्स, कमजोरी और थकान जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इस समस्याओं से बचने के लिए पर्याप्त पानी पीएं, व्यायाम करें और कुछ योगासनों का नियमित अभ्यास जीवनशैली में शामिल करें।
पवनमुक्तासन
जैसा नाम से ही पता चलता है, यह आसन शरीर से गैस को बाहर निकालने में मदद करता है। कब्ज के साथ-साथ, यह योगासन अपच/ मन्दाग्नि सहित कई पाचन संबंधी विकार को भी दूर करने में मदद कर सकता है। यह अम्लपित्त जिसे एसिड रिफ्लक्स भी कहते हैं, से राहत दिलाने में भी मदद करता है, जो की अपच के कारण ही होता है। इस आसन में पीठ के बल लेट कर एक पैर को मोडक़र छाती के पास लाएं और हाथों से पकड़ लें। दूसरे पैर से भी यही प्रक्रिया दोहराएं। इसे नियमित रूप से करने से गैस और कब्ज की समस्या कम हो सकती है। इस आसन को करने से पेट के अंग जैसे के स्वादुपिंड, आमाशय और यकृत इत्यादि अंग सक्रीय होते हैं। महिलाओं में मासिक कम आना या मासिक के समय पेट दर्द की समस्या के लिए लाभकारी हैं। पेट की बड़ी हुई चर्बी और मोटापे को कम करता हैं।
त्रिकोणासन
इस आसन से पाचन प्रणाली ठीक होती हैं। गर्दन, पीठ, कमर और पैर के स्नायु मजबूत होते हैं। शरीर का संतुलन ठीक होता हैं। इसे करने के लिए सीधे खड़े होकर पैर को फैलाएं और दोनों हाथों को फैलाकर एक हाथ से पैर को छुएं। यह आसन पेट के अंगों को स्ट्रेच करता है और पाचन को सुधारता है।
सुप्त बद्धकोणासन
सुप्त बद्धकोणासन की मदद से कब्ज को दूर करना बहुत आसान है। यह बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि, इस बात को एनसीबीआई ने प्रमाणित किया है। एनसीबीआई के अनुसार, इस योगासन की मदद से इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम कम हो जाता है जिससे कब्ज की समस्या का भी अंत हो जाता है। आइये जानते हैं कब्ज दूर करने के लिए आपको सुप्त बद्धकोणासन किस तरह से करना चाहिए।
भुजंगासन
लीवर और किडनी हमारे शरीर के पाचन क्रिया को सही तरीके से कार्य करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है, ऐसे में लिवर और किडनी को स्वस्थ बनाए रखने में भुजंगासन अहम भूमिका निभा सकते हैं। भुजंगासन शरीर में रक्त संचार को बढ़ाकर कई अंगों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है, जिनमें किडनी और लिवर भी शामिल हैं इस आधार पर भुजंगासन को किडनी और लिवर के स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी प्रभावी माना जा सकता है। इस आसन को करने के लिए पेट के बल लेटकर, हाथों को कंधों के पास रखें और धीरे-धीरे शरीर के ऊपरी हिस्से को ऊपर उठाएं।
वज्रासन
खाना खाने के बाद गैस-एसिडिटी होना आम समस्या है, जो कि कमजोर डायजेशन का लक्षण है, जबकि वज्रासन आपको पाचन तंत्र को बढिय़ा करता है। वज्रासन के अभ्यास से पाचन शक्ति मजबूत हो जाती है। जिससे आप पेट से जुड़ी समस्याओं से बच सकते हैं। इसके लिए घुटनों को मोडक़र एडिय़ों पर बैठें। यह आसन भोजन के बाद किया जा सकता है और यह पाचन को बेहतर बनाने में सहायक होता है। वज्रासन की मदद से उन लोगों को फायदा मिलता है जिनका भोजन नहीं पचता है जिसके कारण कब्ज की समस्या बनी रहती है। ऐसे लोगों को बस 10 से 20 मिनट तक वज्रासन की स्थिति में बैठे रहना है। ऊपर बताए गए सभी योग के मुकाबले वज्रासन सबसे सरल योग है जिसके अनन्य लाभ हैं।