कर्नाटक BJP में नहीं बन रही बात, अब ईश्वरप्पा ने प्रदेश अध्यक्ष पर बोला बड़ा हमला
बेंगलुरु। देश के अंदर होने वाले लोकसभा चुनावों की शुरूआत में अब सिर्फ 27-28 दिनों का वक्त बाकी रह गया है। 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान होना है। जाहिर है कि देश के अंदर लोकसभा चुनाव कुल सात चरणों में आयोजित कराए जाएंगे। जिनमें पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होना है। इस चरण में 21 राज्यों की 102 सीटों पर मतदान होना है। ऐसे में पहले चरण के लिए अब ज्यादा वक्त बाकी नहीं रह गया है। लेकिन अभी भी कुछ राज्यों में राजनीतिक दलों के सामने परेशानी आ रही है। और यहां तक की भाजपा व कांग्रेस अभी तक अपने सारे प्रत्याशियों की भी घोषणा नहीं कर पाए हैं। भाजपा के लिए ये चुनाव काफी अहम है। क्योंकि बीजेपी लगातार तीसरी बार देश की सत्ता हासिल करना चाहती है। इसके लिए भाजपा की ओर से अबकी बार 400 पार का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
अपने इस लक्ष्य को पाने के लिए भाजपा दक्षिण भारत में काफी मेहनत कर रही है। क्योंकि पार्टी जानती है कि अगर उसे अपने इस लक्ष्य के करीब भी पहुंचना है तो साउथ में अपने प्रदर्शन में सुधार करना होगा। क्योंकि दक्षिण भारत में भाजपा की जड़ें काफी कमजोर हैं। यहां अभी भाजपा को ढंग से खड़ा होना तक बाकी है। यही वजह है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दक्षिण के राज्यों पर इस बार ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसकी वजह सिर्फ ये ही है कि भाजपा किसी भी तरह से बस इस बार फिर से सत्ता हासिल करना चाहती है और अपने 400 पार के लक्ष्य को पाना चाहती है। हालांकि, ये बात भाजपा भी जानती है कि इस लक्ष्य को हासिल कर पाना काफी मुश्किल है। क्योंकि इस बार न तो 2014 और 19 वाला मोदी मैजिक नजर आ रहा है। और न ही कोई लहर बनती दिखाई दे रही है। बल्कि इस बार विपक्ष काफी हद तक इंडिया गठबंधन के बैनर तले एकजुट होकर भाजपा का मुकाबला करने को तैयार दिख रहा है। ऐसे में 400 पार का लक्ष्य बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर है। लेकिन इस टेढ़ी खीर वाले लक्ष्य के आसपास भी पहुंचने के लिए भाजपा को दक्षिण भारत में उम्मीदों से ऊपर का प्रदर्शन करना पड़ेगा। भाजपा व पीएम मोदी इसके लिए मेहनत भी काफी कर रहे हैं। लेकिन मौजूदा हालातों को देखते हुए मोदी व बीजेपी की मेहनत कम नजर आ रही है। और इसका कोई खास असर होते दिख नहीं रहा है।
क्योंकि दक्षिण भारत में भाजपा को सबसे अधिक उम्मीदें कर्नाटक से हैं। क्योंकि कर्नाटक कहीं न कहीं भाजपा के लिए दक्षिण भारत का प्रवेश द्वार रहा है। लेकिन विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद से भाजपा के लिए कर्नाटक में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। अब जबसे पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है और उसमें अपने कई सांसदों के टिकट काट दिए हैं। तब से प्रदेश में भाजपा के अंदर बगावती सुर काफी तेज हो गए हैं। और पार्टी के अंदर नेताओं की नाराजगी बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा करती जा रही है। यही वजह है कि इन मौजूदा हालातों व पार्टी के अंदर मची कलह व बगावत को देखकर ये लगता है कि भाजपा के लिए इस बार कर्नाटक में कई मुश्किलें आने वाली हैं और पार्टी को अपने साउथ के एंट्री गेट वाले राज्य में ही बड़ा झटका लगने वाला है। क्योंकि आए दिन उसके अपने नेता ही बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र से पार्टी नेताओं की नाराजगी साफ देखी जा रही है।
इस बीच पार्टी से खुली बगावत कर चुके और भाजपा के खिलाफ ही लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री केएस ईश्वरप्पा ने एक बार फिर भाजपा कर्नाटक अध्यक्ष व बीएस येदियुरप्पा के बेटे बी वाई विजयेंद्र पर जमकर निशाना साधा है और हमला बोला है। पूर्व उप मुख्यमंत्री के एस ईश्वरप्पा ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद कर्नाटक की भाजपा इकाई के अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र अपना पद छोड़ देंगे। बता दें कि ईश्वरप्पा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा की है। इस बीच उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की जिद के आगे झुक गया और उनके बेटे विजयेंद्र को भाजपा का राज्य प्रमुख बना दिया। जाहिर है कि राज्य भाजपा के पूर्व प्रमुख ईश्वरप्पा ने ये ऐलान किया है कि वह शिवमोगा से येदियुरप्पा के बेटे और मौजूदा सांसद बी वाई राघवेंद्र के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि येदियुरप्पा ने उनके बेटे के ई कांतेश को पड़ोसी हावेरी क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिलाने का वादा किया था, लेकिन उन्हें धोखा दिया।
ईश्वरप्पा ने कहा कि मुझे विश्वास है कि एक बार जब मैं चुनाव जीत जाऊंगा। तो विजयेंद्र भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देंगे। इस दौरान ईश्वरप्पा ने दावा किया कि विजयेंद्र को भाजपा राज्य प्रमुख नियुक्त करने में छह महीने की देरी हुई। उन्होंने कहा कि देरी क्यों हुई? केंद्रीय नेता इसके लिए तैयार नहीं थे। येदियुरप्पा की जिद के कारण उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। यही नहीं ईश्वरप्पा ने आश्चर्य जताया कि विजयपुरा के भाजपा विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष क्यों नहीं बनाया गया। जबकि वह भी येदियुरप्पा की तरह लिंगायत समुदाय से हैं। जो कर्नाटक का एक प्रमुख समुदाय है। ईश्वरप्पा ने कहा कि सी टी रवि ने गोवा, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के लिए भाजपा प्रभारी के रूप में काम करने के वास्ते मंत्री पद छोड़ दिया। लेकिन उनके नाम पर भी इस पद के लिए विचार नहीं किया गया। प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि येदियुरप्पा किसी को भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नहीं चाहते। चाहे वह लिंगायत हो, वोक्कालिगा हो या पिछड़ी जाति का कोई भी व्यक्ति हो। वह बस यही चाहते थे कि उनका बेटा यह पद संभाले। मैं उस प्रणाली के खिलाफ लड़ रहा हूं।
वहीं दूसरी ओर पूर्व उपमुख्यमंत्री ईश्वरप्पा के आरोपों को खारिज करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि यह सभी जानते हैं कि विजयेंद्र के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद राज्य में पार्टी कैसे बढ़ी। ईश्वरप्पा केवल इसलिए आरोप लगा रहे हैं क्योंकि उनके बेटे को टिकट नहीं मिला, जो सही नहीं है। येदियुरप्पा ने कहा कि उम्मीदवारों के चयन पर निर्णय भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति द्वारा सर्वसम्मति से लिया जाता है। साथ ही तमाम तरह के आरोपों पर पूर्व सीएम ने कहा कि वह इस तरह के ‘गैरजिम्मेदाराना’ बयानों पर प्रतिक्रिया नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि इसका जवाब केवल लोग ही देंगे। येदियुरप्पा ने कहा कि ईश्वरप्पा अनावश्यक रूप से आरोप लगा रहे हैं कि मैंने उनके बेटे को टिकट नहीं दिया। मेरा मानना है कि दो या तीन दिनों में उन्हें एहसास हो जाएगा और वह ठीक हो जाएंगे। निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने के ईश्वरप्पा के कदम पर येदियुरप्पा ने कहा कि उन्होंने और पार्टी के नेताओं ने उनसे ऐसा निर्णय न लेने की अपील की है।
जाहिर है कि ईश्वरप्पा और येदियुरप्पा के बीच जुबानी जंग लगातार जारी है। हालांकि, इस जंग में ईश्वरप्पा जहां हमले पर हमला बोल रहे हैं तो वहीं येदियुरप्पा आरोपों को खारिज करके कोई कड़ी प्रतिक्रिया देने से बच रहे हैं। शायद चुनाव सर पर होने की वजह से ऐसा हो।
एक ओर जहां ईश्वरप्पा बेटे के टिकट कटने से नाराज होने के चलते बगावत पर उतरे हैं और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व येदियुरप्पा पर निशाना साध रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर टिकट कटने से नाराज प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के दिग्गज नेता सदानंद गौड़ा ने अब चुनावी राजनीति से संन्यास लेने का ही ऐलान कर दिया है। निर्दलीय चुनाव लड़ने और कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों के बीच पूर्व सीएम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राजनीति छोड़ने के अपने फैसले का ऐलान किया। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि वो बीजेपी के लिए काम करते रहेंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बेंगलुरु उत्तर से फिर से चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं दिए जाने पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि यह कहने के लिए कुछ भी नहीं बचा है कि बीजेपी कर्नाटक में एक अलग पार्टी है।
सदानंद गौड़ा ने आगे कहा कि उन्होंने चुनावी राजनीति से दूर रहने का फैसला किया था, लेकिन राज्य के सभी वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कहकर वापस खींच लिया लेकिन अंतिम समय में कोई भी मेरे बचाव में नहीं आया और इससे मुझे थोड़ी शर्मिंदगी उठानी पड़ी।इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि वो कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे, जैसा कि पहले अनुमान लगाया गया था। हालांकि, इससे पहले बीजेपी नेता ने कहा था कि पार्टी के अन्य नेताओं ने उनसे संपर्क किया है। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और कर्नाटक प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल ने उन्हें बताया था कि 28 निर्वाचन क्षेत्रों में से, बेंगलुरु उत्तर एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां उनके अलावा कोई अन्य उम्मीदवार नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें दिल्ली और कर्नाटक में हुए कुछ घटनाक्रमों के बारे में जानकारी है।
जाहिर है कि टिकट बंटवारे के बाद से कर्नाटक भाजपा में नाराजगी और बगावत का दौर लगातार जारी है। जिससे भाजपा के लिए मुश्किलें आए दिन बढ़ती जा रही हैं। अब ईश्वरप्पा जैसे प्रदेश के बड़े नेता की नाराजगी और बीजेपी के ही खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। साथ ही जिस तरह से येदियुरप्पा से पार्टी के बाकी सीनियर नेताओं की नाराजगी सामने आ रही है। इससे साबित होता है कि कर्नाटक बीजेपी के अंदर कुछ भी ठीक नहीं है। फिलहाल देखना ये है कि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा इस अंदरूनी कलह को शांत कर पाती है या नहीं। क्योंकि ये तो तय है कि ये कलह व बगावत चुनाव में भाजपा को भारी नुकसान पहुंचा सकती है।