लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रही है मोदी सरकार, राहुल ने खोल दी पोल !
नई दिल्ली। देश में इन दिनों लोकसभा चुनाव की तैयारियां चल रही हैं। सभी राजनीतिक दल एक्टिव मोड में नजर आ रहे हैं। दलों की अगर हम बात करें तो कांग्रेस, भाजपा समेत अन्य दल सियासी पारा बढ़ाने के लिए मैदान में उतर चुके हैं। अभी हाल ही में चुनावी चंदे को लेकर इतना बड़ा खुलासा हुआ जाने कितने घोटाले उजागर हुए लेकिन भाजपा को इससे कुछ खास फर्क नहीं पड़ा। चुनावी चंदे में इतनी बड़ी रकम भाजपा को मिली जिससे आज हाई क्लास प्रचार किया जा रहा है। होना भी चाहिए सत्ताधारी दल जो है, लेकिन वहीं विपक्षी में बैठी कांग्रेस पार्टी को एक-एक पैसे के लिए मजबूर कर दिया गया है। कांग्रेस के नाम पर चल रहे सारे खातों को सीज कर दिया गया है। अब ऐसे में एक बड़ा सवाल बनता है देश के चुनाव आयोग से, एक तरफ चुनाव आयोग है जो कि निष्पक्ष चुनाव की बात कह रहा है। तरह-तरह की गाइडलाइंस जारी कर रहा है।
लेकिन वहीं विपक्षी दल कांग्रेस के साथ भाजपा इतना बड़ा षड्यंत्र रच रही है। जिसे लेकर चुनाव आयोग चुप्पी साधे हुए बैठा है। अब आलम ये है कि जैसे-जैसे चुनावी तारीखें नजदीक आ रही हैं वैसे-वैसे ही भाजपा ने अपने प्रचार तेज कर दिए हैं। लेकिन वहीं कांग्रेस पार्टी है जो कि इन दिनों खातों के सीज होने की वजह से आर्थिक तंगी से गुजर रही है। बता दें कि इसे लेकर पहले से ही दावे किये जा रहे थे कि भाजपा अपने विपक्षी दलों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। और अब ऐसा हुआ भी। आलम ये है कि कांग्रेस पैसे न होने की वजह से प्रचार नहीं कर पा रही है। भले ही इंडिया गठबंधन को इन दिनों मजबूती मिली हो लेकिन आर्थिक रूप से भाजपा सरकारी शिकंजा बना कर कांग्रेस को परेशान करना चाह रही है।
अब ये बात इस कदर बढ़ गई है कि कांग्रेस के बड़े नेताओं को इस मामले को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ रही है और अपनी बात रखनी पड़ रही है। अब इसी मामले को लेकर कांग्रेस के बड़े नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, अजय माकन ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा। प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि देश का हर नागरिक चुनाव में भाग लेने के लिए इच्छुक है। किसी भी लोकतंत्र के लिए निष्पक्ष चुनाव अनिवार्य है। सभी राजनीतिक दलों के लिए लेवल प्लेइंग फील्ड हो। उन्होंने कहा कि चुनावी बॉन्ड के बारे में जो जानकारी या तथ्य सामने आए हैं, वो चिंताजनक और शर्मनाक है। भाजपा को 56 फीसदी चंदा मिला, जबकि कांग्रेस को केवल 11 फीसदी ही चंदा मिला है। हिंदुस्तान की 70 साल की लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसा कभी नहीं हुआ है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जांच कर रही है, तो मुझे उम्मीद है कि सच्चाई जल्द ही सामने आएगी।अब चुनाव सामने है ऐसे में तरह तरह के आरोप लग रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने चुनावी चंदे को लेकर भाजपा और पीएम मोदी को घेरा।
वहीं इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मल्लिकार्जुन खरगे के बाद कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का असर सिर्फ कांग्रेस पर ही नहीं पड़ रहा है, बल्कि इसका असर हमारे लोकतंत्र को भी मौलिक रूप से पड़ता है। प्रधानमंत्री भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं। पार्टी के खाते में जनता से इकट्ठा किया गया पैसा है। हमारे खातों से पैसे जबरदस्ती छीने जा रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस किसी भी तरह से चुनाव प्रचार में खर्च नहीं करती तो चुनाव किस बात के लिए हो रहा है। पिछले एक महीने से हम हमारे 285 करोड़ का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। अगर हम कोई काम नहीं कर सकते तो लोकतंत्र कैसे जिंदा रहेगा।
हालांकि, इन सब चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी हम अपने चुनाव अभियान को जोर-शोर से आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। एक तरफ चुनावी बॉन्ड का मुद्दा है, जिसे सुप्रीम कोर्ट असंवैधानिक करार दे चुका है। चुनावी बॉन्ड से भाजपा को भारी लाभ हुआ। दूसरी ओर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की वित्तीय स्थिति को कमजोर करने की साजिश रची जा रही है। हम सभी का मानना है कि यह अलोकतांत्रिक है।
इसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी भाजपा पर हमला बोला उन्होंने कहा कि हमारे सभी बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं। हम अपना प्रचार नहीं कर सकते। हमारे नेता देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक यात्रा नहीं कर सकते। हम अपने विज्ञापन देने में असमर्थ हैं। ऐसा चुनाव प्रचार से दो महीने पहले किया जा रहा है। यह कांग्रेस पार्टी के खिलाफ पीएम और गृह मंत्री द्वारा की गई आपराधिक कार्रवाई है। चुनाव से पहले हमें पंगु बनाने के लिए यह साजिश रची जा रही है। देश में ऐसी संस्थाएं हैं जिनसे लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा करने की अपेक्षा की जाती है। अब इसी मामला पर बात करते हुए कांग्रेस कोषाध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि यह सिर्फ नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से कांग्रेस पार्टी के खातों पर हमला नहीं है, बल्कि भारत में लोकतंत्र पर भी हमला है। हर राजनीतिक दल को आयकर से छूट दी गई है तो फिर कांग्रेस पर जुर्माना क्यों लगाया जा रहा है और वह भी चुनाव से ठीक पहले?
इस पूरे मामले की अगर हम बात करें तो ये 2018-2019 के इनकम टैक्स रिटर्न से जुड़ा है। आयकर विभाग ने कांग्रेस से पैनल्टी के तौर पर 210 करोड़ की रिकवरी मांगी है। माकन के मुताबिक, इस एक्शन के दो कारण हैं। पहला- हम लोगों को 31 दिसंबर 2019 तक अपने अकाउंट से संबंधित जानकारी आयकर विभाग को देनी थी। उस समय 40-45 दिन लेट रिटर्न सब्मिट किया था। आमतौर पर भी लोग 10-15 दिन लेट हो जाते हैं। दूसरा कारण यह है कि 2018-19 चुनावी वर्ष था। उस चुनावी वर्ष में कांग्रेस के 199 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। उसमें से 14 लाख 40 हजार रुपए कांग्रेस के सांसद और विधायकों ने अपने वेतन का हिस्सा जमा करवाया था। ये पैसा कैश में जमा किया गया था। कैश में पैसा आने की वजह से आयकर विभाग ने कांग्रेस पर 210 करोड़ रुपए की पैनल्टी लगा दी है।
अब इस तरह से किसी राजनीतिक दल को मजबूर कर देना ये कहां का न्याय है ये कोई भाजपा से ही पूछे लेकिन भाजपा के पास इसका जवाब नहीं होगा। क्योंकि भाजपा अपने नियम कानून खुद से ही बनाने लगी है और चुनाव को जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है अब भले ही देश में लोकतंत्र है लेकिन जिस हिसाब से भाजपा नीतियां ला रही है ऐसे में एक बात तो तय है कि यह सरकार महज खुद के फायदे के लिए काम कर रही है वहीं इस बार के चुनाव की अगर हम बात करें तो ये चुनाव काफी अहम माना जा रहा है। क्योंकि अभी हाल ही में कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का समापन हुआ है और अभी कांग्रेस तथा इंडिया गठबंधन को तगड़ी हाइप मिली हुई है। जिससे कहीं न कहीं घबराकर भाजपा ऐसे कदम उठा रही है। लेकिन अब देखना ये होगा कि इस बार के चुनाव में जनता किसपर अपना विश्वास जताती है और सत्ता पर कौनसा दल काबिज होगा। पर अभी भाजपा ने जिस हिसाब से माहौल बना दिया है इससे कहीं न कहीं लोकतंत्र को खतरा महसूस हो रहा है।