यात्रा-रैली-बयानबाजी चुनावी तैयारी की आहट

  • भाजपा-कांग्रेस व अन्य दलों की नजर 2024 के चुनाव पर
  • उत्तर से लेकर दक्षिण तक नेता हो गए एक्टिव

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। लोक सभा चुनाव 2024 होने में एक साल से ज्यादा का समय बचा हुआ है। पर उत्तर से लेकर दक्षिण तक सभी राजनैतिक दल अभी से चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत में लग गए हैं। जहां देश की सबसे बड़ी पार्टी राम के नाम के बाद मंदिर के सहारे दिल्ली की सत्ता फिर से अपने पास रखने को बेकरार है तो वहीं सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा के दम पर पूरे देश में मोदी सरकार की गलत नीतियों की पोल खोलने में लगी है और सरकार बनाने की मंशा रखती है। उधर क्षेत्रीय पार्टियां अपने-अपने राज्यों में कहीं जिला स्तरीय आम लोगों को जोडऩे वाले सम्मेलन तो कहीं रैलियों ,यात्राओं के द्वारा अपनी ताकत बढ़ाने में जुटीं है।
कर्नाटक में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की यात्रा, बिहार नीतीश कुमार की समाधान मायावती का भाईचारा सम्मेलन हो या राजनीतिक रणनीतिकार से कार्यकर्ता बने प्रशांत किशोर की पद यात्रा ये बानगी हैं कि अब 2023 में राजनैतिक दल आगामी लोक सभा चुनाव के लिए अपने-अपने कील कांटे दुरुस्त करने में लग गए हैं। बहुत से ऐसे नेता भी हैं जो जुटे तो पर अभी चुनाव लड़ेंगे या नहीं भविष्य के अधर में है। जैसे वर्तमान में प्रशांत किशोर बिहार में पदयात्रा पर हैं, अभी तक इस बारे में एक निश्चित दावा करने से कतराते रहे हैं कि वह या उनका संगठन चुनाव लड़ेगा या नहीं। हालांकि, उनके समर्थकों के बीच एक जनमत सर्वेक्षण के परिणाम, जिनमें से 95 प्रतिशत से अधिक ने एक जिले में 2024 के लोकसभा चुनावों में भागीदारी का समर्थन किया, ने इस विचार को मजबूत किया है कि किशोर राजनीतिक कदम उठा सकते हैं जैसा कि उन्होंने अक्सर कहा है अभियान के प्रतिभागियों का इस मुद्दे पर अंतिम कहना होगा। आयोजकों ने कहा कि जन सुराज पदयात्रा के अनुयायियों के बीच रविवार को पहला मतदान आयोजित किया गया कि क्या संगठन को संसदीय चुनाव लडऩा चाहिए। इस मतदान के प्रतिभागी वे लोग थे, जो पूर्वी चंपारण जिले में अभ्यास में शामिल हुए थे। पिछले नवंबर में पश्चिम चंपारण जिले में अनुयायियों के बीच एक सर्वेक्षण कराया गया था कि क्या अभियान को एक राजनीतिक दल का रूप लेना चाहिए। मतदान में 2,887 व्यक्तियों ने हिस्सा लिया, जिसमें से 2,808 (97 प्रतिशत से अधिक) ने इसका समर्थन किया था। राजनीतिक दल के गठन का 98 प्रतिशत लोगों ने किया समर्थन आयोजकों ने कहा कि पूर्वी चंपारण में 98 प्रतिशत से अधिक अनुयायियों ने राजनीतिक दल के गठन का समर्थन किया, जबकि 95 प्रतिशत से अधिक 3691 व्यक्तियों में से 3,515 चाहते थे कि यह अगला लोकसभा चुनाव लड़े। किशोर ने कहा है कि यह अभियान से जुड़े लोगों को तय करना है कि चल रही कवायद को राजनीतिक मोड़ लेना चाहिए और चुनाव लडऩा चाहिए या नहीं। वे बेतिया से महात्मा गांधी की जयंती दो अक्टूबर से शुरू हुई यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार की आलोचना करते नजर आ रहे हैं।

ओवैसी की उत्तर भारत पर निगाह

हैदराबाद के दिग्गज नेता ओवेसी दक्षिणी राज्यों में तो अपनी ताकत में बढ़ाने में तो लगे हुए पर वहीं उत्तर भारत की सियासत में अपनी मजबूत मौजदगी करवाने की कोशिश में लग गए हैं। इसी क्रम उन्होंने कहा है कि नुपूर शर्मा अगर आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ती हैं तो यह आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए। बता दें कि जून 2022 में एक समाचार चैनल पर एक बहस के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर उनकी टिप्पणी के लिए भाजपा ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था। बता दें कि नूपुर शर्मा के विवादित बयान की आलोचना कई इस्लामिक देशों ने की थी। नुपूर शर्मा के बयान की वजह से देश में कई जगहों पर हिंसक घटनाएं भी घटी। इन हिंसक घटनाओं को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उदयपुर में सिर कलम करने जैसी घटनाओं की निंदा की जानी चाहिए। मैं सर तन से जुदा जैसे नारों के खिलाफ हूं। मैं इसकी खुले तौर पर निंदा करता हूं। इस तरह के बयान से हिंसा भडक़ती है। मैं हिंसा के खिलाफ हूं। एआईएमआईएम नेता ने हालांकि सवाल किया कि शर्मा के बयानों पर प्रतिक्रिया देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को कितने दिन लगे थे।

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