यूपी विधानसभा में अतीक-अशरफ समेत 12 पूर्व विधायकों को दी गई श्रद्धांजलि
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा का आज से मानसून सत्र शुरू हो गया है। सत्र के पहले दिन दिवंगत विधायकों को श्रद्धांजलि दी गई। अतीक अहमद और अशरफ अहमद को भी विधानसभा के सदस्यों ने याद किया। विधानसभा सदस्यों ने 12 दिवंगत विधायकों को श्रद्धांजलि दी। इससे पहले लोकसभा में भी सांसदों ने अतीक अहमद को याद किया था। दोनों भाइयों का अपना राजनीतिक इतिहास है। वे अलग-अलग दलों से कई बार विधायक रहे हैं।
विधानसभा सत्र के पहले दिन नेता सदन योगी आदित्यनाथ, नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव, नेता विधान मण्डल दल कांग्रेस आराधना मिश्रा, नेता विधान मण्डल दल जन सत्ता दल रघुराज प्रताप सिंह, बसपा नेता उमा शंकर सिंह और सुभासपा नेता ओम प्रकाश राजभर समेत सभी दलों के नेता सदन में मौजूद रहे। दिवंगत विधायकों में सत्तार अहमद अंसारी, अमर सिंह, प्रेम प्रकाश सिंह, रणधीर सिंह, सुजान सिंह बुन्देला, शारदा प्रताप शुक्ला, हरिशंकर तिवारी, अवनीश कुमार सिंह, हरद्वार दुबे, अबरार अहमद, खालिद अजीम उर्फ अशरफ और अतीक अहमद शामिल थे।
अतीक अहमद बीएसपी विधायक राजू पाल मर्डर का इकलौता चश्मदीद उमेश पाल की हत्या के मुख्य आरोपियों में एक था। अतीक ब्रदर्स की प्रयागराज में पुलिस की घेरेबंदी में तीन लडक़ों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद विपक्ष ने कानून व्यवस्था को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार को घेरा था। सीएम योगी ने भी पलटवार किया था और कहा था कि सरकार माफिया राज खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। सीएम योगी ने इसी साल फरवरी में विधानसभा में धमकी दी थी कि वह माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे।
अतीक अहमद ने 1989 में निर्दलीय के रूप में इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट जीतकर यूपी की राजनीति में कदम रखा था। इसके बाद लगातार दो बार इसी सीट से जीते। 1993, 1996 में अतीक ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर इसी सीट से चुनाव लड़ा। समाजवादी पार्टी ने बाद में अतीक अहमद को पार्टी से निकाल दिया। इसके बाद उन्होंने 2002 में अपना दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2003 में सपा में वापसी की और 2004 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर संसदीय सीट से जीत हासिल की। इसी तरह उनके भाई अशरफ भी यूपी विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। 2005 में राजू पाल की हत्या के बाद हुए चुनाव में उन्होंने इलाहाबाद पश्चिम सीट से जीत हासिल की।अशरफ राजू पाल की हत्या के आरोपियों में से एक था। प्रयागराज लाए जाने से पहले वह बरेली जेल में बंद था।