यूपी कॉन्स्टेबल भर्ती पेपर लीक: अखिलेश का हमला, बोले- BJP की यही पहचान

उत्तर-प्रदेश पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती पेपर लीक का मामला कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इस पेपर लीक कांड मामले में बड़ा एक्शन लिया गया है।

4PM न्यूज़ नेटवर्क: उत्तर-प्रदेश पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती पेपर लीक का मामला कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इस पेपर लीक कांड मामले में बड़ा एक्शन लिया गया है। यूपी की स्पेशल टॉस्क फोर्स STF की रिपोर्ट के बाद कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा कराने वाली कंपनी एजुटेस्ट को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक यह कंपनी गुजरात की बताई जा रही है। इस कार्रवाई के अब यह कंपनी प्रदेश में आयोजित होने वाली किसी भी परीक्षा को नहीं करा पाएगी। वहीं दूसरी ओर इस ब्लैक लिस्टेड कंपनी का मालिक विनीत आर्य के विदेश यानी अमेरिका भागने की सूचना सामने आ रही है।

दरअसल इस साल 18 और 19 फरवरी को यूपी पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया था। इस परीक्षा में लाखों की संख्या में अभ्यर्थियों में हिस्सा लिया था। 60,244 पदों पर भर्ती होनी थी। पेपर लीक होने के आरोपों के चलते परीक्षा को रद्द कर दिया गया था।

अखिलेश यादव ने भाजपा पर बोला हमला

इस मामले में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भाजपा की राज्य सरकार पर बड़ा हमला बोला है।अखिलेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से एक्स पर लिखा कि ‘भाजपाइयों’ की है यही पहचान  झूठों को काम, झूठों को सलाम ये आरोप बेहद गंभीर है कि पुलिस भर्ती परीक्षा का पेपर आयोजित करवाने वाली गुजरात की कंपनी का ही, पेपर लीक करवाने में हाथ है और उसका मालिक जब सफलतापूर्वक विदेश भाग गया, उसके बाद ही उप्र सरकार ने उसके बारे में जनता को बताया और जनता के ग़ुस्से से बचने के लिए दिखाने भर के लिए उस कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया।

अखिलेश ने आगे कहा कि उप्र सरकार उस कंपनी और उसके मालिक के ख़िलाफ़ FIR की कॉपी सार्वजनिक करे। गुजरात भेजकर उसकी संपत्ति से ख़ामियाज़ा वसूलने की हिम्मत दिखाए। ऐसे आपराधिक लोग उप्र के 60 लाख युवाओं के भविष्य को बर्बाद करने के दोषी हैं। इसके साथ ही यूपी की भाजपा सरकार साबित करे कि वह इन अपराधियों के साथ है या प्रदेश की जनता के साथ।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • इस परीक्षा के आयोजन से संबंधित कंपनी ही नहीं बल्कि हर एक संलिप्त मंत्री या अधिकारी की भी जांच हो
  • ऐसे में जब तक जांच पूरी न हो जाए, तब तक उसे उसके काम से मुक्त रखा जाए
  • संलिप्तता सिद्ध होने पर बर्खास्त करके कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए।

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