आदिपुरुष के विरोध में देश भर में बवाल
- जगह-जगह धरना प्रदर्शन, पुतले फूंके
- सियासत भी गरमाई, सपा, आप व कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा
- लोगों ने की फिल्म को बैन करने की मांग
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। आदिपुरुष के विरोध में पूरे देश में सडक़ों पर लोग आ गए हैं। जगह-जगह फिल्म से जुड़े लोगों के पुतले फूं के जा रहे हैं। इसी के साथ इस पर सियासत भी गर्म हो गई है। सपा, आप, जदयू और कांग्रेस ने इसको लेकर भाजपा सरकार को घेरा है।
आदिपुरुष फिल्म के डायलाग व किरदारों के परिधान व कई तथ्यों के साथ छेड़छाड़ को लेकर उत्तर प्रदेश, मप्र, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ में हिंदु संगठनों ने जमकर बवाल किया। यूपी के लखनऊ समेत कई शहरों में जमकर धरना प्रदर्शन किए गए। लोगों ने फिल्म पर बैन लगाने की भी मांग की है। वहीं महाराष्ट्र के पालघर में एक मल्टिप्लेक्स के अंदर जमाकर हंगामा हुआ। पालघर के नालासोपारा में स्थित एक हॉल में आदिपुरुष फिल्म की स्क्रनिंग चल रही थी। इसी बीच कुछ हिंदू संगठनों के सदस्य अंदर घुस आए और जमकर बवाल किया।
एजेंडेवाली मनमानी फिल्में बनाकर कर रहे आस्था से खिलवाड़ : अखिलेश
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि एजेंडे वाली मनमानी फिल्मों को प्रमाण पत्र कैसे दिए जा रहे हैं। सेंसर बोर्ड पर भी उन्होंने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि एजेंडेवाली मनमानी फिल्में बनाने वालों को सेंसर बोर्ड का प्रमाणपत्र देने से पहले उनके ‘राजनीतिक-चरित्र’ का प्रमाण पत्र देखना चाहिए। ट्वीट में तीखा तंज कसते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि जो राजनीतिक आकाओं के पैसे से एजेंडेवाली मनमानी फिल्में बनाकर लोगों की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं, उनकी फिल्मों को प्रमाण देने से पहले उनके राजनीति चरित्र का प्रमाण पत्र देखना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि क्या सेंसर बोर्ड धृतराष्ट्र बन गया है।
फंडिंग के लिए राम नाम को गिरवी रखा : नेहा सिंह
सोशल मीडिया पर दर्शक फिल्म के डायलॉग लिखने वाले लेखक मनोज मुंतशिर पर भड़ास निकाल रहे हैं। इसी बीच लोक गायिका नेहा सिंह राठौर ने तंज कसते हुए मनोज मुंतशिर के लिए गीत लिख दिए हैं। गाने का टाइटल है धत्त तेरी की…. रवीडियो को ट्विटर पर शेयर करते हुए मनोज मुंतशिर को टैग किया है। गाने के जरिए नेहा सिंह राठौर ने राइटर मनोज मुंतशिर पर राम के नाम पर फंडिंग पाने की और राम नाम को गिरवी रख कर पैसा कमाने की बात कही है। वहीं एक और ट्वीट में उन्होंने अपना गुस्सा जाहिर कर कहा-मुंतशिर ने जो किया सो किया, सेंसर बोर्ड ने ऐसी फिल्म को रिलीज कैसे हो जाने दिया? क्या एक दो कौड़ी का घटिया लेखक और लीचड़ आदमी इतनी बड़ी संस्था पर इसलिए भारी पड़ गया क्योंकि वो सरकार का लाडला चाटुकार है।
फिल्म में हिंदुत्व का तमाशा बनाया गया : राउत
राज्यसभा सांसद व शिवसेना उद्धवगुट के नेता संजय राउत ने भी आदिपुरुष फिल्म के विरोध का समर्थन किया है। इसपर उन्होंने कहा कि फिल्म में हिंदुत्व का तमाशा बनाया गया है।
बदले जाएंगे फिल्म के डायलॉग : मुंतशिर
बता दें कि विरोध के बाद फिल्म मेकर्स ने बड़ा फैसला लिया है। इस फिल्म के उन डायलॉग्स को बदला जाएगा जिस पर आपत्ति जताई जा रही है। मनोज मुंतशिर ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी और लिखा, मैंने और फिल्म के निर्माता-निर्देशक ने निर्णय लिया है, कि वो कुछ संवाद जो आपको आहत कर रहे हैं, हम उन्हें संशोधित करेंगे और इसी सप्ताह वो फिल्म में शामिल किए जाएंगे।
गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने पर सियासी घमासान
- फैसले पर भडक़ी कांग्रेस कहा-ये सम्मान नहीं, ये उपद्रव जैसा कदम
- गीता प्रेस को मिलेंगे 1 करोड़ रुपये
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। गोरखपुर की गीता प्रेस को केंद्र द्वारा 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि ये सम्मान नहीं, ये उपद्रव जैसा कदम है। गीता प्रेस को मिले इस पुरस्कार में 1 करोड़ रुपये का नकद इनाम, एक प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट हथकरघा वस्तु शामिल है। इससे पहले इसरो और रामकृष्ण मिशन जैसे संगठन को भी यह पुरस्कार मिल चुका है। दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक, गीता प्रेस की स्थापना 1923 में हुई थी। केंद्रीय मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, इसने 14 भाषाओं में 417 मिलियन पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनमें 162 मिलियन श्रीमद भगवद गीता शामिल हैं।
सावरकर और गोडसे को पुरस्कृत करने जैसा : जयराम रमेश
दरअसल, केंद्र ने अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान के लिए गीता प्रेस को पुरस्कार देने का फैसला किया। इसके विरोध में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया-गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार 2021 देना सावरकर और गोडसे को पुरस्कृत करने जैसा है। ये फैसला एक उपहास की तरह है। जयराम ने अक्षय मुकुल द्वारा लिखित गीता प्रेस एंड द मेकिंग ऑफ हिंदू इंडिय का कवर पेज भी साझा किया और तर्क दिया कि ये किताब बहुत अच्छी जीवनी है।
कांग्रेस में अब माओवादी मानसिकता के लोग : रविशंकर
नई दिल्ली। गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार मिलने पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया कि बाद भाजपा ने भी अब पलटवार करने में देरी नहीं लगाई। भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा,कांग्रेस से क्या उम्मीद की जा सकती है जिसने राम मंदिर निर्माण की राह में रोड़े अटकाए? जो तीन तलाक का विरोध करती है, गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार पर उनकी टिप्पणी से ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है? हम इसकी निंदा करते हैं। मैं भारी मन से कहना चाहता हूं कि देश पर शासन करने वाली पार्टी में अब माओवादी मानसिकता वाले लोग हैं, वे राहुल गांधी के भी सलाहकार हैं और इसका पूरे देश को विरोध करना चाहिए।
रमेश के बयान पर कांग्रेस असहमत
सूत्रों से जानकारी मिली है कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार के विरोध में जयराम रमेश के ट्वीट से कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता सहमत नहीं हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, गीता प्रेस को लेकर जयराम रमेश का बयान गैर जरूरी है, हिन्दू धर्म के प्रचार प्रसार में गीता प्रेस की बड़ी भूमिका रही है, जयराम रमेश को ऐसा बयान देने से पहले अंदरूनी चर्चा करनी चाहिए थी।