तमिलनाडु बसपा प्रमुख की हत्या के बाद बवाल

नई दिल्ली। तमिलनाडु बसपा के अध्यक्ष के. आर्मस्ट्रॉन्ग की शुक्रवार को उनके घर के बाहर बेरहमी से हत्या कर दी गई। पुलिस के अनुसार, आर्मस्ट्रॉन्ग पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ अपने घर के सामने ही थे, इसी दौरान दो बाइक पर सवार छह लोग आए और आर्मस्ट्रॉन्ग पर धारदार हथियारों से हमला कर दिया। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस घटना पर नाराजगी जाहिर की है और तमिलनाडु सरकार से दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की है।
के.आर्मस्ट्रॉन्ग ने तिरुपति की वेंकटेश्वरा यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ली थी और वह चेन्नई कोर्ट में वकालत करते थे। आर्मस्ट्रॉन्ग ने साल 2006 में निगम पार्षद का चुनाव लडक़र जीता और उसी साल उन्हें तमिलनाडु बसपा का प्रमुख बनाया गया। साल 2011 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में आर्मस्ट्रॉन्ग ने कोलाथुर सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उनके परिवार में पत्नी और एक बेटी है। आर्मस्ट्रॉन्ग दलितों और वंचितों के अधिकारों के समर्थक थे और इसे लेकर काफी मुखर थे। चेन्नई में बसपा का जनाधार खास नहीं है, लेकिन के आर्मस्ट्रॉन्ग दलित वर्ग की राजनीति का एक जाना पहचाना नाम थे।
शुक्रवार शाम करीब 7 बजे आर्मस्ट्रॉन्ग चेन्नई में वेणुगोपाल स्ट्रीट स्थित अपने घर के बाहर खड़े हुए थे। इस दौरान उनके साथ पार्टी के कई कार्यकर्ता भी उनके साथ थे। तभी दो बाइकों पर सवार होकर आए छह हमलावरों ने धारदार हथियारों से आर्मस्ट्रॉन्ग पर हमला कर दिया। हमले के बाद हमलावर फरार हो गए। इसके बाद वहां मौजूद कार्यकर्ता उन्हें लेकर अस्पताल पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने आर्मस्ट्रॉन्गक को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद बसपा कार्यकर्ताओं ने हंगामा कर दिया और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। हंगामा कर रहे बसपा कार्यकर्ताओं को नियंत्रित करने में पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी।
पुलिस ने हमलावरों की तलाश के लिए दस टीमें बनाई हैं और रात ही आठ लोगों को हिरासत में लिया गया है। बसपा प्रदेश अध्यक्ष की हत्या पर राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई ने कहा, ‘आर्मस्ट्रॉन्ग की हत्या से गहरा सदमा लगा। हिंसा और क्रूरता का हमारे समाज में कोई स्थान नहीं है, लेकिन पिछले 3 वर्षों में डीएमके शासन में यह एक सामान्य बात बन गई है। राज्य की कानून-व्यवस्था को तहस-नहस करके रख देने के बाद, स्टालिन को खुद से पूछना चाहिए कि क्या राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में बने रहना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button