देश के एयरपोर्ट्स पर हंगामा, राहुल गांधी एक्शन में; शाह ने घुटने टेके, पलटा फैसला
देश के एयरपोर्ट का बुरा हाल है, ज्यादातर एयर पोर्ट पर लंबी कतारे हैं, हंगामे हो रहे हैं। यात्रियों के लैगेज फंसे हुए हैं। हर यात्री हैरान परेशाना है। वो भी सिर्फ और सिर्फ इसलिए कि अचानक बिना यात्री सुविधाओं को ख्याल किए हुए इंडियो ने आज अपनी 900 से ज्यादा उड़ाने रद कर दी है जिससे हंगामा मचा हुआ है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: देश के एयरपोर्ट का बुरा हाल है, ज्यादातर एयर पोर्ट पर लंबी कतारे हैं, हंगामे हो रहे हैं। यात्रियों के लैगेज फंसे हुए हैं। हर यात्री हैरान परेशाना है। वो भी सिर्फ और सिर्फ इसलिए कि अचानक बिना यात्री सुविधाओं को ख्याल किए हुए इंडियो ने आज अपनी 900 से ज्यादा उड़ाने रद कर दी है जिससे हंगामा मचा हुआ है।
ये देश शर्मसार करने वाली बात है बल्कि पूरे मामले को लेकर अचानक राहुल गांधी एक्शन में आ गया है। कांग्रेस ने शीतकालीन सत्र में यह मांग उठाई है कि ऐसा क्यों हो रहा है और राहुल गांधी ने इसको सीधे सीधे एक कंपनी की मैनोपोली बता दी है। जिसके बाद से हड़कंप मच गया है। ऐसे में ओर जहां सरकार घुटनों पर आई है और नए नियमों को लेकर आदेश वापस लेना है तो दूसरी ओर यह सवाल खड़ा हुआ कि आखिर इतनी बड़ी समस्या अचानक कैसे खड़ी हो गई और क्यंू बढ़ते हंगामे के बीच सरकार अचानक घुटनों पर आई है। पूरे मामले पर हम आपके साथ आगे इस रिपोर्ट में चर्चा करेंगे।
देश में तीन दिनों से लगातार इंडिगो की फ्लाइट्स कैंसिल हो रही है और एअरपोर्ट पर हंगामा मचा हुआ है लेकिन मजाल है कि पीएम साहब और सरकार में किसी को यात्रियों की दिक्कतें दिखाई दी । हर बार ही तरह बस वो भीड़तंत्र को नियमों से हाकने में लगे हैं लेकिन आक्रोश तीसरे दिन यात्रियों का आक्रोश बढ़ गया। देश के ज्यादातर एयरपोर्ट पर भयंकर हंगाम हुआ है। यहां तक कि इंडिगो के खिलाफ भी जमकर नारे बाजी की है। लेकिन सवाल बड़ा ये है कि आखिर क्यों अचानक इंडिगों की फ्लाइटें रद होने लगी और कैसे अचानक परेशनी बढ़ गई।
इसके पीछे दो बड़ी वजहें निकल कर सामने आई हैं। पहली ये कि देश में इंडिगो की मोनोपोली है। देश में हवाई उड़ानों में 60 प्रतिशत से ज्यादा इंडिगों की सेवा है, और अचानक इंडिगो के प्राब्लम में आते ही पूरे देश की हवाई यात्राओं पर संकट आ गया है। अगर इसमें कई कंपनियों की उड़ान सेवाएं होतीं तो यह बात बिल्कुल तय थी कि इस तरह का संकट नहीं है। दूसरा इतनी बड़ी संख्या में इंडिगों की फ्लाइट्स कैसे कैंसिल हुई इसके पीछे बना एक नया नियम है।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय की ओर से पायलटों और क्रू सदस्यों की थकान कम करने के लिए नए नियम लागू किए गए हैं, जिसके तहत ड्यूटी के घंटे और आराम के घंटे तय किए गए हैं। दावा किया जा रहा है कि इन नियमों के कारण इंडिगो के पास पर्याप्त क्रू उपलब्ध नहीं है, जिससे 900 से ज्यादा उड़ानें रद्द करनी पड़ रही हैं। वैसे इंडिगो का ऑपरेशन बहुत बड़ा है। रोजाना 2200$ उड़ानें और इतने बड़े पैमाने पर नए नियमों को तुरंत लागू करना मुश्किल हो रहा है। रात में लैंडिंग की सीमा तय होने से इंडिगो के रात के नेटवर्क पर असर पड़ा है, क्योंकि यह एयरलाइन पारंपरिक रूप से हाई-फ्रिक्वेंसी ओवरनाइट ऑपरेशंस पर निर्भर रही है।
नए नियमों के अनुसार पायलट और क्रू के लिए साप्ताहिक आराम वीकली रेस्ट बढ़ाकर 48 घंटे किया गया है। नाइट आवर्स बढ़े और रात में अधिकतम लैंडिंग की सीमा तय की गई है। पहले 6 के मुकाबले अब 2 हो गए हैं। क्रू सदस्य दो लगातार नाइट ड्यूटी के बाद फिर से नाइट शिफ्ट नहीं कर सकते। हालांकि जैसे ही पूरे देश में भयंकर बवाल हुआ है इंडिगो ने स्वीकार किया है कि उसने नए नियमों के परिचालन प्रभाव को गलत तरीके से आंका है.
कंपनी शेड्यूल को स्थिर करने और समस्याओं को कम करने के लिए काम कर रही है और प्रभावित यात्रियों को रिफंड या वैकल्पिक व्यवस्था दे रही है। लेकिन हजारों यात्रियों को परेशानी, उड़ानें रद्द या 7-8 घंटे लेट हो रही हैं। इंडिगो की ऑन-टाइम परफॉरमेंस में भारी गिरावट आई है। सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्राल) स्थिति की निगरानी कर रही है और एयरलाइन से रोडमैप मांग रही है।
जैसे ही तमाम वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने शुरु हुए है राहुल गांधी एक्शन में आए हैं और इस पूरे मामले का एक कंपनी की मैनोपोली होना सबसे खास वजह बताया है। ये सब मोनोपोली का नतीजा है और सिर्फ इसी वजह से अचानक एक बहुत बड़़ी दिक्कत आ गई है और यात्रियों को परेशान होना पड़ा है और सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इस मामले को कांग्रेस ने सदन में उठाया है। कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने इस मामले को सदन में आम नागरिकों की समस्या के तहत उठाया है।
जब सदन से लेकर एयरपोर्ट तक भंयकर हंगामा मचा है तो मोदी सरकार अचानक मीटिंग करके घुटनों पर आ गई है। और तुरंत ही नए क्रू नियमों को वापस ले लिया है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के जिस नए नियम के कारण इंडिगो में पायलटों और अन्य स्टाफ की कमी हुई थी, वह फैसला केंद्र ने वापस ले लिया है। नागरिक उड्डयन निदेशालय ने आदेश वापस लेने के फैसले पर कहा- नए नियमों के कारण एयरलाइंस के लिए क्रू का शेड्यूल मैनेज करना मुश्किल हो रहा है। बिना रुकावट फ्लाइट ऑपरेशन चलाने के लिए नियमों से राहत देना जरूरी है।
ऐसे में साफ कि सरकार अपना फैसला वापस ले चुकी है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि देश में जिस इंडिगो को बहुत बढ़ाने के लिए सरकार आमादा है वो सही तरीके से काम नहीं कर पा रही है। क्योंकि नियम तो एक नंबवर से बदले हैं और क्या इन नियमों की जानकारी इंडिगो प्रशासन को नहीं थी। क्योंकि अचानक चार दिन में ही संकट बढ़ गया है। और सबसे बड़ी बात यह है कैसे इंडिगो बिना इमरजेंसी के इतनी बड़ी संख्या में अचानक फ्लाइट रद करने लगी है।
क्या उसने इस मामले की जानकारी केंद्र सरकार को दी थी और अगर दी थी तो सरकार ने विपक्ष के सवाला उठाने और एयर पोर्ट्स पर भयंकर हंगामें के बाद इस पर विचार क्यों किया। अगर इंडिगों ने पहले से इस संकट की सूचना सरकार को नहीं दी थी तो क्या इंडिगो पर केंद्र सरकार कार्रवाई करेगा। आपको ये सवाल सोशल मीडिया पर उठाए जा रहे हैं और सरकार और इंडिगो प्रशासन दोनों आम लोगों के निशाने पर है।



