CM Nitish Kumar फिर मारेंगे पलटी? RJD के दावे से घबराई BJP!
बिहार की सियासत इन दिनों एक बार फिर से गर्म है....NDA की नई सरकार के गठन को अभी मुश्किल से एक महीना भी नहीं हुआ है...लेकिन सत्ता समीकरण को लेकर बयानबाजी अपने चरम पर पहुंच गई है..

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बिहार की सियासत इन दिनों एक बार फिर से गर्म है….NDA की नई सरकार के गठन को अभी मुश्किल से एक महीना भी नहीं हुआ है…लेकिन सत्ता समीकरण को लेकर बयानबाजी अपने चरम पर पहुंच गई है..
.एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बार-बार कह रहे हैं कि वो अब कभी RJD के साथ नहीं जाएंगे…वहीं दूसरी तरफ RJD के नेता लगातार दावा कर रहे हैं कि राजनीति की परिस्थितियां ऐसी बनेंगी कि सीएम नीतीश कुमार फिर से पलटी मारकर उनके साथ लौट सकते हैं…ये टकराव सिर्फ बयानबाजी नहीं है…ये बिहार की राजनीति के आने वाले बड़े फेरबदल का संकेत भी है…
दरअसल, बिहार में NDA सरकार बनने के बाद से ही एक अजीब-सी असहजता लगातार महसूस की जा रही है…गृह विभाग, स्पीकर पद और दोनों डिप्टी सीएम की कुर्सी बीजेपी के पास है…जेडीयू के कई नेताओं को लगता है कि ये सीएम नीतीश कुमार का अपना स्पेस सिकुड़ने जैसा है…RJD के विधायक और प्रधान महासचिव रणवीजय साहू तो साफ कह रहे हैं कि सीएम नीतीश कुमार डरे हुए हैं और बीजेपी उन्हें किनारे करने की रणनीति पर काम कर रही है… रणवीजय साहू का सीधा आरोप है कि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की तरह बिहार में भी मुख्यमंत्री बदला जा सकता है…इसी संदर्भ में उन्होंने दावा किया कि सीएम नीतीश कुमार आखिरकार RJD की ओर वापस लौट सकते हैं…
वहीं दूसरी तरफ सीएम नीतीश कुमार ने भी सरकार बनने के 1 महीने भी नहीं हुए कि सीएम नीतीश कुमार फिर से सफाई देने लगे कि…उन्होंने पहले भी RJD को बीच-बीच में साथ रखा था…लेकिन गड़बड़ियां शुरू होने के चलते गठबंधन तोड़ना पड़ा…..सीएम नीतीश ने ये भी कहा कि…मैं अब कभी RJD के साथ नहीं जाऊंगा…..और इसी बयान से कायासों के बाजार गर्म हो गए कि क्या सीएम नीतीश कुमार फिर से पलटी मारने वाले हैं…क्योंकि, ये बयान जब भी नीतीश कुमार देते हैं…तभी बिहार की राजनीति में हलचल बढ़ जाती है…क्योंकि इतिहास गवाह है कि जब-जब उन्होंने RJD के साथ कभी नहीं जाना होगा कहा….तब-तब ही स्थितियां ऐसी बनती हैं कि वो वापस आरजेडी के पास आ जाते हैं…
बिहार के लोग अभी भी याद करते हैं कि 2013 में सीएम नीतीश ने कहा था कि बीजेपी से संबंध कभी नहीं रखेंगे….लेकिन, फिर 2017 में अचानक उन्होंने पलटी मारकर बीजेपी का हाथ पकड़ लिया…2015 के चुनावों में उन्होंने गठबंधन के मंच पर कहा था कि…लालू जी के साथ हमारा अटूट रिश्ता है…लेकिन 2022 में उन्होंने उसी RJD को छोड़कर फिर से NDA के साथ सरकार बना ली……..यानी सीएम नीतीश कुमार का इतिहास बार-बार ये बताता है कि नीतीश जो सबसे ज्यादा मना करते हैं….वही कुछ महीनों बाद कर भी देते हैं…यही वजह है कि RJD के नेता…सीएम नीतीश के आज के बयान को फिर एक संभावित पलटी की वजह मान रहे हैं…
जरा याद करिए 2015–2017 की सरकार को…तब नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव एक साथ चुनाव जीतकर भारी बहुमत से सत्ता में आए थे…दोनों मंचों पर एक-दूसरे की तारीफ करते थे…लेकिन जब CBI की जांच बढ़ी…जब RJD पर दबाव बढ़ा…तब नीतीश कुमार ने ये कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि मैं भ्रष्टाचार के साथ नहीं चल सकता…हर कोई समझ रहा था कि शायद चुनाव हो जाएंगे….लेकिन सिर्फ 24 घंटे बाद उन्होंने उसी बीजेपी के साथ सरकार बना ली…जिसके खिलाफ वो प्रचार कर रहे थे…और ये बिहार की राजनीति में सीएम नीतीश कुमार की सबसे बड़ी पलटियों में से एक मानी जाती है…
फिर 2022 आया…सीएम नीतीश कुमार ने अचानक बीजेपी से रिश्ता तोड़ दिया….जेडीयू के नेताओं ने आरोप लगाया कि बीजेपी उन्हें कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रही थी…नीतीश ने कहा था कि….मैंने बीजेपी के साथ जो गलती की थी…उसे ठीक कर रहा हूँ…इसके बाद वो फिर RJD के साथ चले गए और महागठबंधन की सरकार बन गई…लेकिन महज एक साल में ही एक बार फिर उन्होंने RJD से रिश्ता खत्म कर दिया और NDA में लौट आए…यही वजह है कि RJD के नेता आज भी कहते हैं कि सीएम नीतीश कुमार की राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता है…
तभी तो आज NDA में रहते हुए भी जेडीयू के भीतर असंतोष की कई आवाजें उठ रही हैं…किसी को ये समझ नहीं आता कि आखिर क्यों दोनों डिप्टी सीएम, स्पीकर और गृह मंत्रालय बीजेपी के पास हैं…जबकि मुख्यमंत्री सीट जेडीयू के पास है…. RJD विधायक रणवीजय साहू ने इसी बात को नीतीश की असहजता का कारण बताया है……वहीं कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी अब बिहार में शिवसेना मॉडल या एमपी मॉडल को दोहराने की कोशिश कर सकती है….जहां पहले सहयोगी दल को कमजोर किया जाता है और फिर सत्ता परिवर्तन होता है…
RJD के नेता ये भी तर्क दे रहे हैं कि जब नीतीश कुमार खुद कहते हैं कि मैं कभी वापस नहीं जाऊंगा….वही उनकी वापसी का संकेत होता है…उनका कहना है कि नीतीश तभी ऐसे बयान देते हैं जब वो राजनीतिक दबाव में होते हैं और जब दबाव बढ़ता है….तो नीतीश अचानक रास्ता बदल लेते हैं…………..इतिहास में 2013, 2017 और 2022 इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं…RJD का मानना है कि इस बार भी परिस्थितियां वैसे ही बन रही हैं….जहां नीतीश कुमार की कुर्सी कमजोर है और बीजेपी का दबाव मजबूत…..
वहीं जेडीयू इस पूरी बहस को बेकार की अटकलें बता रही है…उनका कहना है कि नीतीश कुमार ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार स्थिर है और NDA पूरा कार्यकाल चलाएगा… JDU विधायक मंजीत सिंह ने कहा कि…राजद को जनता ने नकार दिया है…इसलिए पार्टी घबराहट में ऐसे बयान दे रही है…उन्होंने साफ कहा कि जदयू और भाजपा गठबंधन पूरी तरह मजबूत है और इसमें किसी तरह की टूटफूट की संभावना नहीं है……..जबकि, राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो नीतीश कुमार की हर चाल मुख्यमंत्री की कुर्सी से जुड़ी है…वो हमेशा इसके लिए अपने समीकरण बदलते रहे हैं…ऐसे में ये दावा कि अब नीतीश कोई पलटी नहीं मारेंगे….खुद एक बड़ा राजनीतिक सवाल है…क्योंकि इतिहास में उन्होंने कभी भी किसी गठबंधन को पूरा कार्यकाल नहीं चलने दिया….फिर चाहे वो NDA हो या महागठबंधन…
वहीं बीजेपी नेताओं के हालिया बयानों में भी कहीं न कहीं एक संकेत मिलता है कि वो जेडीयू पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहते…लंबी रणनीति के तहत वो बिहार में संगठन मजबूत कर रहे हैं और अपने नेतृत्व को आगे बढ़ा रहे हैं…अगर उन्हें लगे कि स्थिति उनके अनुकूल है…तो मुख्यमंत्री बदलने का विकल्प खुला रखा जाएगा….जैसा 2020 के बाद कई राज्यों में देखा गया…इसी संभावना के चलते RJD को लगता है कि नीतीश कुमार फिर से सुरक्षा की तलाश में पुराने सहयोगियों के पास लौट सकते हैं…
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि नीतीश कुमार की सबसे बड़ी ताकत उनकी उपयोगिता की राजनीति है…वो जिस गठबंधन में जाते हैं…उस गठबंधन की साख बढ़ती है…बीजेपी और RJD दोनों जानते हैं कि नीतीश कुमार का जनाधार भले कम हुआ है…लेकिन उनकी सॉफ्ट इमेज और शासन पर पकड़…..बिहार की राजनीति में उन्हें एक अहम खिलाड़ी बनाए रखती है और यही वजह है कि दोनों पार्टियों की राजनीति हमेशा उनकी तरफ नजर रखती है………..
जबकि, बिहार की राजनीति को समझने वाले कहते हैं कि यहां हर बयान भविष्य की योजना का हिस्सा होता है…नीतीश कुमार का कभी नहीं जाएंगे वाला बयान भी उसी रणनीति का हिस्सा है…RJD की तरफ से दिए जा रहे वापसी वाले बयान भी आने वाले संघर्ष की भूमिका हैं…बिहार में सरकार चलेगी या गिरेगी….ये तो फिलहाल कोई नहीं कह सकता…लेकिन इतना तो तय है कि बिहार में कई राजनीतिक उलटफेर देखने को मिल सकते हैं…
इस पूरे घटनाक्रम का सबसे बड़ा संदेश यही है कि बिहार की राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं है….यहां सिर्फ समीकरण बदलते हैं….चेहरे नहीं…सीएम नीतीश कुमार ने पिछले 20 सालों में बार-बार दिखाया है कि वो किसी भी गठबंधन में बंधे रहने वाले नेता नहीं हैं….बल्कि एक ऐसे खिलाड़ी हैं जो हमेशा अपने लिए सबसे उचित राजनीतिक जमीन खोज लेते हैं और यही वजह है कि आज जब RJD कहती है कि नीतीश फिर लौट सकते हैं और नीतीश कहते हैं मैं कभी नहीं जाऊंगा…तो दोनों ही बातें एक साथ सच जैसी लगती हैं……
.क्योंकि, बिहार की राजनीति का इतिहास बताता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ना कई बार हां का संकेत बन चुकी है…इसलिए आने वाले महीनों में बिहार क्या करवट लेगा….ये सिर्फ वक्त ही बताएगा…लेकिन राजनीति के अखाड़े में मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है..



