4पीएम की खबर पर हंगामा : कूड़े के 16 में से 15 टेंडर निरस्त, सबसे गड़बड़ी वाले अलीगढ़ के टेंडर को छोड़ा गया; इकोस्टेन पर भ्रष्ट अफसरों की मेहरबानी

- फर्जी बैंक गारंटी लगाने वाली इकोस्टेन पर मेहरबान हैं यूपी के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात
- अलीगढ़ में 4 लाख मीट्रिक टन कूड़े केढ़ेर को दिखा दिया पौने 6 लाख मीट्रिक टन
- ड्रोन सर्वे मेें खूल गई अफसरों की पोल
- योगी सरकार ने अलीगढ़ में कूड़े के नाम पर किया करोड़ों का खेल
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। आप सपने भी कल्पना नहीं कर सकते की योगी सरकार में कूड़े में भ्रष्टाचार का कितना बड़ा खेल कर दिया गया। जिस इकोस्टेन कंपनी ने बैंक गारंटी तक फर्जी लगाई उसको कई जिलों में काम दे दिया गया। जब 4पीएम ने इस मामले का भंडाफोड़ किया तो पता चला कि अफसरों ने कूड़े में करोड़ों की कमाई कर डाली। बताया जाता है कि नगर विकास केप्रमुख सचिव अमृत अभिजात इकोस्टेन कंपनी पर खासे मेहरबान हैं।
इस मामले में जब हंगामा मचा तो फिर 29 अप्रैल को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की तकनीकी बैठक बुलाई गयी जिसमें 16 में से 15 जगह के टेंडर कैंसिल कर दिये गये। मगर अलीगढ़ का सबसे बड़ा टेंडर जो लगभग 20 करोड़ का था उसे यह कहकर छोड़ दिया गया कि इस बैठक में नगर आयुक्त वीडियो कांफ्रेंसिंग ने नहीं जुड़े है इसलिए इसका फैसला अगली मीटिंग तक केलिए टाल दिया गया। दरअसल इसकेपीछे खेल यह था कि कंपनी अलीगढ़ का काम जल्दी शुरू कर दे क्योंकि अलीगढ़ में 5 लाख 70 हजार मीट्रिक टन की जगह मौके पर सिर्फ4 लाख टन मीट्रिक टन ही कूड़ा है। 4पीएम केपास ड्रोन से कूडूे की मैपिंग की रिपोर्ट भी है। जाहिर है कि लगभग दो गुना कूड़ा दिखा कर करोंड़ों की ेहेराफेरी कर दी गयी। अब अगर यह टेंडर भी निरस्त होता तो पता चल जाता कि इस टेंडर में करोंड़ों का खेल किया गया है। आजाद अधिकार सेना केअध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने लोकायुक्त में इस भ्रष्टाचार की शिकायत भी कर रखी है।

फर्जी बैंक गारंटी भी पकड़ी जा चुकी है इस कंपनी की
नगर पालिका परिषद पीथमपुर में आईसीआईसीआई बैंक गे्रटर नोएडा को खत लिख कर पूछा था कि क्या इकोस्टेन द्वारा लगाई गयी बैंक गारंटी सही है इसकेजवाब में बैंक ने लिखा कि उन्होंने ने इस तरह की कोई बैंक गारंटी जारी नहीं की है। होना यह चाहिए था कि इसकेबाद इस कंपनी केखिलाफ एफआईआर होनी चाहिए थी जो नहीं कराई गई।
बिना टेंडर के दिए गए काम
इस कंपनी पर नगर विकास के प्रमुुख सचिव अमृृत अभिजात की नजरे इनायत हमेशा बनी रहती हैं। उनकी मेहरबानी की वजह से उसे बिना टेंडर के के ही 45 करोड़ से अधिक का काम सौंप दिया गया। तुर्रा ये की काम भी नहीं हुआ और भुगतान भी कर दिया गया। कूड़े के इस कारोबार में कितनी मलाई है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है इसके भ्रष्टïाचार की शिकायत शासन, हरित ट्रिब्यूनल, लोकायुक्त से लेकर उच्च न्यायालय तक की गई। शिकायतें बढ़ती गईं पर कूड़े से झोलियां भरने वाले कम नहीं हुए। क्या लखनऊ, क्या प्रयागराज, क्या अलीगढ़, क्या पडरौना मतलब यूपी के पूर्व से पश्चिम तक कूड़ा आज सोने के कारोबार की तरह हो गया है।



