अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शिकार हुईं विनेश फोगाट? कांग्रेस का प्रधानमंत्री पर वार, कहा- सांत्वना वाला ट्वीट नहीं, न्याय चाहिए
नई दिल्ली। भारतीय पहलवान विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक 2024 से अयोग्य ठहराए जाने पर राजनीति भी तेज हो गई है। कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि विनेश फोगाट को अचानक अयोग्य घोषित किये जाने से आज 140 करोड़ भारतीय स्तब्ध हैं। उन्होंने कहा कि यह भारतीय खेलों के लिए काला दिन है। मोदी सरकार ने भारतीय खिलाडिय़ों और खेल जगत को विफल कर दिया है। मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह वही विनेश फोगाट हैं जिन्होंने 2023 में 140 दिनों तक दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था क्योंकि मोदी सरकार बगलें झांक रही थी और उन्हें न्याय नहीं मिला था।
सुरजेवाला ने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह वही विनेश फोगाट हैं जिन्हें भाजपा सरकार के इशारे पर दिल्ली पुलिस ने संसद के सामने उस समय घसीटा था जब इसका उद्घाटन हो रहा था। उन्होंने कहा कि वह निश्चिन्त और दृढ़निश्चयी थी। उनकी वीरता और उनकी क्षमता में कभी कमी नहीं आने दी गई और आखिरकार, उन्होंने एक ही दिन में एक विश्व चैंपियन और दो अन्य को हराकर यह सुनिश्चित किया कि पेरिस ओलंपिक में तिरंगा ऊंचा लहराया जाए। यदि उनका वजन ठीक था जब उसने तीन मुकाबले लड़े और तीनों एक ही दिन में जीते, तो यह 100 ग्राम कैसे बढ़ गया? ये साजिश नहीं तो क्या है?
कांग्रेस सांसद ने कहा कि हम प्रधानमंत्री से सांत्वना वाला ट्वीट नहीं चाहते, हम उनसे न्याय चाहते हैं। उन्होंने विनेश फोगाट को न्याय सुनिश्चित करने के लिए आईओए का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया… भारत को स्वर्ण पदक न दिलाने के पीछे एक भयावह साजिश है। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर की राजनीति है। विनेश फोगाट देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने के बेहद करीब थीं। जिस मंशा से उन्हें हटाया गया है वह खेल राजनीति है। जिस तरह से उन्हें हटाया गया है वह देश के लिए दुखद है। एक ट्वीट से ज्यादा बड़े स्तर पर बात होनी चाहिए और विनेश फोगाट को खेलने का मौका मिलना चाहिए।
पेरिस ओलंपिक से अयोग्य ठहराए जाने के बाद पहलवान विनेश फोगाट के लिए न्याय की मांग को लेकर इंडिया ब्लॉक के सांसदों ने संसद के मकर द्वार पर विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि पूरा देश सदमे में है। हमारी बेटी ने फाइनल तक पहुंचने के लिए बहुत मेहनत की थी। जब दुनिया भर के एथलीट कुश्ती मैट पर अभ्यास कर रहे थे, तब वह कुश्ती में भारतीय महिलाओं के लिए न्याय मांगने के लिए धरने पर बैठी थीं। वह फिर भी फाइनल में पहुंची। चीजें कहां और कैसे गलत हुईं? क्या इसके लिए प्रशासन जिम्मेदार नहीं है?… कल तीनों मुकाबलों में उनका वजन ठीक था… क्या आईओए ने इस मुद्दे को आईओसी के सामने उठाया है।