राजस्थान के नए जिलों पर संग्राम, टीकाराम जूली की सरकार को चेतावनी

राजस्थान की पिछली अशोक गहलोत सरकार में बनाये गए कुछ नए जिलों को खत्म करने की सुगबुगाहट तेज हो गई है.... जिसको लेकर कांग्रेस अब प्रदेश की बीजेपी सरकार पर हमलावर है.... देखिए रिपोर्ट...

4पीएम न्यूजः राजस्थान की पिछली अशोक गहलोत सरकार में बनाये गए कुछ नए जिलों को खत्म करने की सुगबुगाहट तेज हो गई है…. जिसको लेकर कांग्रेस अब प्रदेश की बीजेपी सरकार पर हमलावर है…. इसी कड़ी में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि जैसे-जैसे जनसंख्या का विस्तार हो रहा है… ये सरकार की जिम्मेदारी है कि जनसंख्या के अनुरूप नागरिकों को निकटतम स्थान पर राजकीय सुविधाएं उपलब्ध कराये… राजस्थान में पिछले गहलोत सरकार के कार्यकाल में बनाए गए नए 17 जिलों को लेकर सियासत में काफी समय से हलचल हो रही है… इस बीच भजन लाल सरकार के एक आदेश ने फिर से नए जिलों के मुद्दे को लेकर खलबली पैदा कर दी है… यह आदेश नए जिलों के लिए टेंशन पैदा करने वाले है…. इन आदेशों के बाद नए जिलों को लेकर सरकार के मंशा लगभग साफ होने लगी है…. हालांकि, पहले से ही नए जिलों के लिए संकट माना जा रहा था… लेकिन अब सरकार के इस नए आदेश से इस बात की पुष्टि होने के संकेत प्रतीत हो रहे हैं…. बता दें कि भजनलाल सरकार ने नए 17 जिलों के सभी राजस्व संबंधी कामकाज को लेकर पुराने कलेक्टर्स के पावर को अगले साल तक बढ़ा दिया है…..

आपको बता दें कि टीकाराम जूली ने कहा राजस्थान के रेगिस्तानी जिलों जैसे जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, पाली, बीकानेर, चूरू आदि में जिला मुख्यालयों से कई इलाकों की दूरी 300 किलोमीटर तक है… ऐसे में जिला मुख्यालय पर किसी काम से आने के लिए आमजन को परेशानी होती थी… वर्तमान सरकार केवल अपनी राजनीति चमकाने के उद्देश्य से जनता के हितों की परवाह नहीं कर रही है…. राजस्थान की जनता की आवश्यकता के अनुरूप नए जिले बनाए गए हैं… वहीं अगर किसी भी जिले को खत्म कर वहां की जनता के साथ अन्याय किया गया तो जनता अपने हक के लिए आवाज मजबूत करेगी….

बता दें कि नेता प्रतिपक्ष जूली ने कहा कि मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य बन गया…. परन्तु प्रशासनिक इकाइयों का पुनर्गठन उस अनुपात से नहीं हुआ… राजस्थान से छोटा होने के बाद भी मध्य प्रदेश (आबादी-7 करोड़ 27 लाख) में 53 जिले हैं… छत्तीसगढ़ (आबादी-2 करोड़ 56 लाख) में 33 जिले हैं. राजस्थान की आबादी लगभग 7 करोड़ है…. और उन्होंने कहा नए जिलों के गठन से पूर्व राजस्थान में हर जिले की औसत आबादी 35.42 लाख व क्षेत्रफल 12,147 वर्ग किलोमीटर था…. (जबकि त्रिपुरा का क्षेत्रफल 10,492 वर्ग किलोमीटर, गोवा का क्षेत्रफल 3,702 वर्ग किलोमीटर, दिल्ली का क्षेत्रफल 1,484 वर्ग किलोमीटर है…. वहीं अब नए जिले बनने के बाद जिलों की औसत आबादी 15.35 लाख व क्षेत्रफल 5268 वर्ग किलोमीटर हो गया है….

जिसको लेकर कांग्रेस नेता टीकाराम जूली ने कहा जिले की आबादी और क्षेत्र कम होने से शासन-प्रशासन की पहुंच बेहतर होती है…. साथ ही सुविधाओं व योजनाओं की बेहतर डिलीवरी सुनिश्चित हो पाती है…. छोटी प्रशासनिक इकाई होने पर जनता की प्रतिवेदनाओं का निस्तारण भी शीघ्रता से होता है… और उन्होंने कहा हमारे पड़ोसी राज्यों के जिले जैसे डांग (2 लाख 29 हजार), पोरबंदर (5 लाख 85 हजार) एवं नर्बदा (5 लाख 91 हजार), गुजरात, पंचकुला (5 लाख 59 हजार) एवं चरखी दादरी (लगभग 5 लाख 1 हजार), हरियाणा, मलेरकोटला (लगभग 4 लाख 30 हजार), बरनाला (5 लाख 96 हजार) एवं फतेहगढ़ साहिब (6 लाख), पंजाब जैसे कम आबादी वाले जिले हैं…. देशभर में लगभग 95 जिले 5 लाख से कम आबादी के है….

आपको बता दें कि भजनलाल सरकार ने बीते दिनों नए जिलों के लेकर रिव्यू कमेटी का गठन किया… इसके बाद से लगातार यह मुद्दा गरम है… माना जा रहा है कि इस कमेटी की रिपोर्ट के बाद कुछ नए जिलों को खत्म किया जा सकता है…. इधर, हाल ही में भजनलाल सरकार के आदेश ने फिर से सियासत का पारा चढ़ा दिया है… इसके तहत नए जिलों में विभागीय सोसाइटियों से संबंधित रिवेन्यू कलेक्शन, वर्क सैंक्शन और काम के बदले भुगतान के अधिकार फिलहाल पुराने कलेक्टर्स को ही दिए गए हैं… पिछली सरकार ने यह अधिकार 31 मार्च 2024 तक पुराने कलेक्टर्स को दिए थे…. जिन्हें अब भजनलाल सरकार ने बढा़कर वर्तमान वित्तीय वर्ष के अंत 31 मार्च 2022 तक कर दिया है….

वहीं सरकार ने नए जिलों के रिव्यू फैसले के बीच यह बड़ा आदेश जारी कर नए जिलों के पावर्स को पुराने कलेक्टर्स को सौपे है…. इसे वर्तमान वित्तीय वर्ष के अंत 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दिया है…. इनमें अनूपगढ़ का बीकानेर- श्रीगंगानगर को, गंगापुर सिटी का सवाई माधोपुर को, कोटपूतली-बहरोड का जयपुर-अलवर को, बालोतरा का बाड़मेर को, जयपुर ग्रामीण का जयपुर को, खैरथल का अलवर को, ब्यावर का अजमेर को, पाली- नीमकाथाना का सीकर-झुंझुनू को, डीग का भरतपुर, जोधपुर ग्रामीण का जोधपुर को, फलोदी का जोधपुर को, डीडवाना का नागौर को, सलूंबर का उदयपुर को, दूदू का जयपुर को, केकड़ी का अजमेर- टोंक को, सांचैर का जालौर और शाहपुरा का भीलवाड़ा जिले के कलेक्टर्स को पावर सौंपा गया है…

आपको बता दें कि गहलोत सरकार के कार्यकाल के दौरान बनाए गए 17 नए जिलों को लेकर भाजपा ने चुनाव से पहले ही अपने घोषणा पत्र में उल्लेख किया था कि सरकार बनते ही इन जिलों की वापस समीक्षा की जाएगी…. इधर, सियासी चर्चा है कि राजस्व विभाग की रिपोर्ट के अनुसार करीब एक दर्जन जिले काफी छोटे हैं…. साथ ही नए जिले सीमांकन और आबादी को लेकर जिला बनाने के फॉर्मेट में फिट नहीं बैठ रहे हैं…. ऐसे में चर्चा है कि इन जिलों को वापस अपने पुराने जिलों में मर्ज किया जा सकता है… इस दौरान नए जिलों का पावर पुराने कलेक्टर को सौंपना इसी से जोड़कर देखा जा रहा है…. वहीं माना जा रहा है कि इस वर्ष के अंत तक नए जिलों पर भजनलाल सरकार बड़ा फैसला ले सकती है….

 

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