हिट फिल्मों को क्यों कहते हैं ब्लॉकबस्टर
आखिर कैसे बना ये शब्द? शायद ही किसी को पता होगा जवाब
‘शोले’ से लेकर ‘पठान’ तक, ‘आराधना’ से लेकर ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ तक, भारत में कई ऐसी फिल्में बनी हैं जो इतनी बड़ी हिट हुईं कि उन्हें ब्लॉकबस्टर फिल्मों की श्रेणी में रखा जाता है। इन फिल्मों ने ऑडियंस का खूब मनोरंजन किया, इनकी वजह से समाज में एक ट्रेंड शुरू हो गया और इन्होंने पैसे भी खूब कमाए। पर फिल्मों से इतर, क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर फिल्मों को ‘ब्लॉकबस्टर’ क्यों कहते हैं, ये शब्द आखिर बना कैसे? हमारा दावा है कि शायद ही किसी को इसका जवाब पता होगा। अगर आपको मालूम है, तब तो आप पक्का फिल्मों के बहुत शौकीन हैं, लेकिन अगर नहीं, तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार आज के वक्त में ‘ब्लॉकबस्टर’शब्द भले ही फिल्मों से जुड़ा हो, पर पुराने जमाने में, ये शब्द जंग से जुड़ा था। इस शब्द के तार 1940 के दौर से जुड़े हैं, जब दूसरा विश्वयुद्ध जारी था। टाइम मैग्जीन के 29 नवंबर 1942 के एक आर्टिकल में ये शब्द सबसे पहले लोगों के सामने आया था। ये लेख अलाइड फोर्स द्वारा इटली के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों पर किए गए हमलों के बारे में था।
इस मिशन के लिए जिस बम का प्रयोग किया जा रहा था, उसे ‘ब्लॉकबस्टर’ कहा जाने लगा। ऐसा इसलिए क्योंकि ये बम इतने ज्यादा शक्तिशाली थे एक शहर के ब्लॉक, यानी हिस्से को उड़ा देने के काबिल थे। ब्रिटिश द्वारा बमों को बराबर गिराया जाने लगा और बमों का ये निक-नेम प्रचलित होता चला गया। बस तभी से ये नाम अमेरिका में फैल गया और इसे किसी भी तरह के शॉकिंग और धमाकेदार चीज या घटना के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा। टाइम पत्रिका में भी ये बदलाव दिखने लगा था, क्योंकि मैग्जीन, शॉकिंग खबरों को ब्लॉकबस्टर की तरह ही संबोधित करती थी। टाइम मैग्जीन ने सबसे पहले 9 मई 1943 को ब्लॉकबस्टर शब्द किसी बम के लिए नहीं, बल्कि फिल्म के लिए किया। ये शब्द, उस फिल्म की कमाई, या बॉक्स-ऑफिस के रिव्यू पर नहीं, बल्कि फिल्म की कहानी को लेकर इस्तेमाल किया गया था। ये फिल्म थी ‘मिशन टू मॉस्को’, जो जोसफ डेविस नाम के एक व्यक्ति की किताब पर आधारित थी, जो 1936 से 1938 तक सोवियत संघ में अमेरिका के उच्चायुक्त के तौर पर तैनात थे। कुछ ही वक्त में अलग-अलग पत्र-पत्रिकाओं ने इस शब्द को अपने लेखों में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था।