वर्किंग पेरेंट्स बच्चों की इस तरह करें परवरिश

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
आज के दौर में बच्चों की परवरिश का तरीका काफी बदल चुका है। बदलते परिवेश की वजह से बच्चों की परवरिश मौजूदा समय में काफी मुश्किल हो गई है। बढ़ती महंगाई और बदलती लाइफस्टाइल की वजह से आजकल माता-पिता दोनों की कामकाजी हो चुके हैं। ऐसे में इन दिनों काम के बढ़ते प्रेशर की वजह से लोग अक्सर अपने परिवार और बच्चों को टाइम नहीं दे पाते हैं। अक्सर वर्किंग पेरेंट होने की वजह से अभिभावक बच्चों पर सही तरीके से ध्यान नहीं दे पाते हैं। ऐसे में बच्चे अपने पेरेंट्स से दूर होने लगते हैं और इसकी वजह से वह कई बार गलत रास्तों पर चले जाते हैं। तो एक वर्किंग पेरेंट को अपने बच्चों को सही परवरिश के लिए ये तरीके जरूर अपनाने चाहिए।

हफ्ते में एक पूरा दिन बच्चे को दें

हफ्ते या दस दिन में एक पूरा दिन बच्चे को समर्पित करें। उनके पसंद का खाना बनाएं, उन्हें मिलकर कहीं घुमाने ले कर जाएं, उनके साथ कोई अच्छी मूवी देखें या फिर बच्चे के पसंद का कोई भी काम जैसे पेंटिंग, डांसिंग, क्राफ्ट वर्क आदि साथ में बैठ कर करें। इससे बच्चा आत्मिक रूप से आपसे जुड़ेगा। अपनी पसंद-नापसंद और अपनी सभी बातें आपसे शेयर करेगा। इससे हफ्ते भर में अगर उसे किसी दिन नेगलेक्ट महसूस हुआ भी होगा तो उस दिन की भरपाई इस प्रकार से हो जाएगी।

बच्चों को जिम्मेदारी का कराएं अहसास

छोटे बच्चे मासूम होते हैं और उनके नन्हें कंधे भारी जिम्मेदारियां निभाने के लिए जल्दी तैयार नहीं होते हैं। लेकिन बचपन से ही जब हम बच्चों को उदाहरण देकर जिम्मेदारी लेना सिखाएंगे तो वे बड़े होने तक निर्भीक और आत्मविश्वास भरा जीवन जीने में सक्षम होंगे। कुछ बच्चे जिद कर के अपने पेरेंट्स की बात नहीं सुनते हैं और हर काम में लापरवाही बरतते हैं। बच्चे को इस उम्मीद और विचार से बड़ा करें कि हम जो गंदगी फैलाते हैं, उसे खुद ही साफ करना पड़ता है। बच्चे को जिम्मेदारी सिखाने की ये सबसे पहली सीढ़ी हो सकती है। बच्चे को अपने काम खुद करने की आदत डालें। शुरुआत करें ब्रश करवाने से। इसी तरह धीरे-धीरे उन्हें अपने कपड़े फोल्ड करने को बोलें, उसे अपने कपबर्ड में रखना सिखाएं। ऐसी छोटी आदतों से ही वे बड़े-बड़े काम भी उम्र के साथ सीखते जाएंगे और जिम्मेदारी से अपने सभी काम करने लगेंगे। बच्चों की तारीफ करें। जब भी वे एक छोटा-सा भी काम खुद से बिना बोले करें तो उनकी तारीफ करें। ये सोचना गलत है कि तारीफ करने से बच्चे बिगड़ जाते हैं। बल्कि तारीफ करने से बच्चे और भी जिम्मेदारी उठाने के लिए प्रेरित होते हैं और साथ ही उनमें और भी काबिल बनने की इच्छा उत्पन्न होती है। एक साथ कई काम न दें।

सुबह जल्दी उठें

माता-पिता और बच्चे सभी सुबह जल्दी उठें। सुबह जल्दी उठने से आप पाएंगे कि आपको एक दिन में अपने लिए काफी समय मिल जाता है। इस समय को आप अपने बच्चे के साथ शेयर करने के लिए चुनें। बच्चे को स्कूल जाने के टाइम से पहले उठाएं। इससे बच्चे की आदत और उनका स्वास्थ्य दोनों में ही सुधार आएगा। बच्चे के साथ बैठ कर योग करें, उन्हें सूर्योदय और आकाश दिखाएं, प्रकृति से जोड़ें। इससे बच्चे में प्रकृति से भी जुडऩे के संस्कार आते हैं और वह स्वस्थ भी होते हैं। साथ ही वह आपके साथ अधिक समय भी व्यतीत कर पाते हैं, क्योंकि इसके बाद आप ऑफिस और बच्चा स्कूल के लिए निकल लेगा। इस लिए इस समय का भरपूर इस्तेमाल करें।

दिनभर में आधा घंटा बच्चे को सुनें

बच्चे सवालों का पिटारा होते हैं। उनके मन में लाखों सवाल प्रतिदिन आते हैं और दिन भर की सभी बातें शेयर करने के लिए भी उन्हें किसी की जरूरत होती है। अक्सर वर्किंग माता-पिता यह बोल कर बच्चे को चुप करा देते हैं कि अभी नहीं बोलो बेटा, बाद में बताना, अभी मैं बिजी हूं। जायज है कि आप वास्तव में व्यस्त हो सकते हैं, लेकिन ऐसे में एक रूटीन ऐसी बनाएं, जिसमें अपने बच्चे के सभी जिज्ञासु सवाल और उसकी दिनभर की बातें आप ध्यान से सुनें, अपना फोन या टीवी किनारे कर के। बच्चे की आंखों में आंखें डाल कर उचित प्रतिक्रिया देते हुए बात करें। बच्चा आप से जुड़ा हुआ महसूस करेगा और अपनी बात शेयर करने के लिए आपके अलावा किसी और के पास कभी नहीं जाएगा।

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