इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- यूपी में चिकित्सा व्यवस्था रामभरोसे
- कोरोना काल में यूपी की चिकित्सा व्यवस्था पर हाईकोर्ट ने सरकार को दिखाया आईना, विपक्ष हमलावर
- नदियों में बह रहीं लाशें, गांवों में इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे लोग
- जमीन पर नहीं दिख रहा गांवों में घर-घर जाकर कोरोना टेस्ट करने का दावा
- सपा, कांग्रेस और आप बोली, मौतों और संक्रमितों का आंकड़ा छिपा रही सरकार
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के कोरोना संक्रमण से बचाव और मरीजों के इलाज के तमाम दावों की पोल खोल दी। हाईकोर्ट ने सरकार को आईना दिखाते हुए कहा कि प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे चल रही है। छोटे शहरों और गांवों में हालात बदतर हैं और सरकार इस मामले में पूरी लापरवाही बरत रही है। हाईकोर्ट की टिप्पणी को लेकर विपक्ष ने प्रदेश की योगी सरकार पर जमकर हमला बोला है। विपक्ष का कहना है कि सरकार कोरोना संक्रमितों और मौतों का आंकड़ों का छिपाने का खेल खेल रही है। मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश सरकार पूरी तरह फेल हो चुकी है। कोरोना की दूसरी लहर के सामने प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था घुटनों के बल आ गई है। कोरोना गांवों तक फैल चुका है। गांवों में लोग बुखार से मर रहे हैं और उनकी लाशों को नदियों में बहाया जा रहा है। कुछ जगहों पर लकड़ी नहीं मिलने के कारण शवों को गंगा की रेत में दफनाया जा रहा है। गांवों में टेस्टिंग नहीं हो रही है न इलाज की कोई व्यवस्था है। इन अव्यवस्था के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को न केवल जमीनी स्तर पर काम करने की नसीहत दी है बल्कि चिकित्सा व्यवस्था को रामभरोसे बताते हुए सख्त टिप्पणी की है।
एक दिन में रिकॉर्ड 4329 कोरोना मरीजों की मौत
कोरोना महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप जारी है। देश में कोरोना महामारी से पहली बार एक दिन में 4329 मरीजों की मौत हुई है। इससे पहले 7 मई को 4233 लोगों की मौत हुई थी। इसके साथ ही कोविड से मरने वालों की संख्या 2,78,719 पहुंच गई। वहीं बीते 24 घंटे 2,63,533 नए कोरोना मरीज मिले हैं। देश में लगातार दूसरे दिन तीन लाख से कम कोरोना मरीज मिले हैं।
भाजपा सरकार में उप्र के गांवों व कस्बों में चिकित्सा सेवाओं की दुर्व्यवस्था पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की अति कठोर टिप्पणी के बाद तो राज्य के नेतृत्व को जागना चाहिए। दिखावटी दौरों से कुछ नहीं होने वाला, मरते हुए लोगों के प्रति सच्ची संवेदना और सक्रियता दिखाइए। माननीय मानवीय बनिए।
अखिलेश यादव, सपा प्रमुख
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार की पोल खोल दी। प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था भगवान भरोसे है। सरकार वेंटीलेटर पर है। सीएचसी व पीएचसी पर डॉक्टर नहीं हैं। गांवों के लोगों को इलाज नहीं मिल रहा है। ऑक्सीजन की कालाबाजारी की जा रही है। सीएम योगी केवल यह बता दें कि वे सही बोल रहे हैं या माननीय हाईकोर्ट।
अजय कुमार लल्लू, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को आईना दिखा दिया है। गांवों में चिकित्सा सुविधाओं की भारी कमी है। जिस तरह गांवों में कोरोना फैल रहा है उससे तीसरी लहर की आशंका बढ़ गई है। गांवों में टेस्टिंग नहीं हो रही है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं तक नहीं हैं। सरकार झूठे आंकड़ें पेश कर रही है।
सतीश श्रीवास्तव, प्रदेश महासचिव पूर्वांचल विंग, आप
क्या कहा था हाईकोर्ट ने
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के छोटे शहरों, कस्बों व ग्रामीण इलाकों में संक्रमण तेजी से बढ़ने तथा मरीजों के इलाज में हो रही लापरवाही पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे चल रही है। इसमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में चिकित्सा सुविधा बेहद कमजोर है। यह आम दिनों में भी जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। प्रदेश के 20 बेड वाले सभी नर्सिंग होम मेें कम से कम 40 प्रतिशत बेड आईसीयू हों और इसमें 25 प्रतिशत वेंटिलेटर हों। बाकी 25 प्रतिशत हाईफ्लो नसल बाइपाइप का इंतजाम होना चाहिए। 30 बेड वाले नर्सिंग होम में अनिवार्य रूप से ऑक्सीजन प्लांट होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि गांवों और कस्बों में सभी प्रकार की पैथालॉजी सुविधा और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में लेवल टू स्तर की चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। बी और सी ग्रेड के शहरों को कम से कम 20 आईसीयू सुविधा वाली एंबुलेंस दी जाए। हर गांव में दो एंबुलेंस होनी चाहिए ताकि गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जा सके। कोर्ट ने यह सुविधा एक माह में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा हालात से दो चीजें स्पष्ट होती हैं, एक यह कि हमें देश में हर व्यक्ति को वैक्सीन लगानी है और दूसरा बेहतरीन स्वास्थ्य ढांचा खड़ा करना है।
यूपी में टायर और पेट्रोल से फूंकी जा रहीं लाशें
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। कोरोना काल में उत्तर प्रदेश से रोज डरावनी तस्वीरें सामने आ रही हैं। बलिया में पुलिस की मौजूदगी में शवों को टायर और पेट्रोल डालकर जलाया जा रहा है। इसका वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस प्रशासन के होश उड़ गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंगा किनारे बहकर आ रहे शवों को जलाने का आदेश दिया है लेकिन ये तस्वीर पुलिस की संवेदनहीनता को उजागर कर रही हैं। मामला बलिया जिले के नरही थाना क्षेत्र के गंगा किनारे का है। यहां के प्रभारी योगेन्द्र बहादुर सिंह है। यहां एक शव का टायर के जरिए दाह संस्कार किया जा रहा है। टायर के जरिये अंत्येष्टि का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो मालदे घाट का है जहां नदी में बह कर आने वाले शवों का दाह संस्कार हो रहा है लेकिन नदी में बह कर आने वाले लावारिस शवों के अंतिम संस्कार की तस्वीर बेहद शर्मनाक है। वीडियो में पुलिस वालों की मौजूदगी में एक लावारिस शवों का दाह संस्कार किया जा रहा है लेकिन शवों के दाह संस्कार के दौरान टायर का सहारा लिया जा रहा है। मामला संज्ञान में आने के बाद एसपी विपिन टाडा ने दोषी पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है। विपिन टाडा ने बताया कि जांच के आदेश दिए गए है। आरोपी पुलिसकर्मी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।