कोरोना के डर से जो लाशें नहीं दफना रहे थे उनको दफनाने का काम किया इन बहादुरों ने
- 4 पीएम ने खोज निकाला कोरोना संक्रमित शवों को दफनाने के वायरल वीडियो का सच
- दिल को छूने की मिसाल पेश की इन नौजवानों ने, दफनायी लाशें
- लखनऊ के ऐशबाग में बनी मलकाजहां कर्बला का था वीडियो
- 4पीएम के माध्यम से मानवता की नई मिसाल आई सामने
सत्य प्रकाश
लखनऊ । कोरोना वायरस से होने वाली मौतों का सिलसिला जारी है। वहीं इसके बीच अफवाहें भी खूब फैल रही हैं। कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर कुछ लोगों द्वारा कब्रिस्तान में कोरोना से हुई मौत के बाद किसी के शव को दफनाते हुए एक वीडियो वायरल किया गया। इस वीडियो को लेकर अधिक मौतों की बात बताकर शव को गुपचुप तरीके से दफनाने की बात भी सामने आई। 4पीएम ने वीडियो की पड़ताल शुरू की तो पता चला की वीडियो लखनऊ के ऐशबाग स्थित मलकाजहां कर्बला का है। 4पीएम ने इस वीडियो की सच्चाई उजागर की तो मानवता की नई मिसाल सामने आई। शव को दफना रहे लोग अमीनाबाद के गोलागंज के रहने वाले इमदाद और उनके साथी हैं। कोरोना वायरस की चपेट में आने से हुई मौत के बाद जब कोई परिजन शव को दफनाने के लिए नहीं आते हैं तो ये नौजवान अपनी जान जोखिम में डालकर इन शवों को दफनाने का काम करते हैं। वे ऐसे शवों को कब्रिस्तान तक पहुंचा कर पूरी रीति-रिवाज के साथ उसे दफनाते हैं ।
दो हजार वर्ग फिट की जगह है कोरोना से मृत लोगों के लिए
ऐशबाग स्थित कर्बला मलकाजहां के मुतवल्ली सैय्यद फैजी ने बताया कि शव को दफनाने के लिए दो हजार स्क्वायर फिट की जगह दी गई है। केवल इस जगह पर कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद उसके शव को दफनाने की अनुमति है। यहां पर किसी के भी आने-जाने की मनाही है।
२० लोगों का ग्रुप बनाया गया रीति-रिवाज के साथ शव को दफनाने के लिए
शव दफनाने के बाद होता है कर्बला का सेनेटाइजेशन
कोरोना संक्रमित का शव दफनाने के बाद पूरे कर्बला का सेनेटाइजेशन किया जाता है। इसके लिए कर्बला में सेनेटाइजेशन के सभी उपकरण मंगवाए गए हैं । इसके अलावा प्रयोग में लाई गई पीपीई किट को भी जला कर नष्ट कर दिया जाता है।
कभी आधी रात तो कभी दिन में निकल पड़ते हैं नौजवान
कोरोना से मौत की सूचना मिलने पर आने वाले शव को जब कोई दफनाने नहीं आता तब यह ग्रुप कभी रात के अंधेरे में तो कभी दिन के उजाले में शव को दफनाने कब्रिस्तान पहुंच जाता है । टीम में मौलाना भी मौजूद हैं जो रीति-रिवाज के साथ शव को कब्र में दफनाते हैं। सभी ने मिलकर 20 लोगों का ग्रुप बनाया है।
व्हाट्सएप के माध्यम से करते हैं संपर्क
कोरोना के कारण हुई मौत के समय लावारिस की तरह छोड़ी गई लाश की सूचना उन्हें व्हाट्सएप के माध्यम से मिलती है । उनके पास जैसे ही इस तरह का मैसेज आता है तो ये लोग पीपीई किट, सेनेटाइजर के साथ तैयार हो जाते हैं। एंबुलेंस से शव को कब्रिस्तान तक पहुंचाया जाता है। जिसके बाद आगे का काम होता है । ये नौजवान अपनी सुरक्षा के साथ परिवार की सुरक्षा को देखते हुए शव को कब्रिस्तान में दफनाते हैं ।
शवों को दफनाने के लिए दो हजार वर्ग फिट का एरिया बनाया गया है। पीछे की तरफ शव आने से पहले दस फिट की कब्र खोदी जाती है। सेनेटाइजेशन मशीन लगी हुई है। शव दफनाने के बाद पूरी कर्बला को सेनेटाइज किया जाता है। शव दफनाने के लिए बीस लोगों की एक टीम बनी है जो काम कर रही है।
सैय्यद फैजी, मुतवल्ली मलकाजहां कब्रिस्तान
हमें कोरोना से डरना नहीं है बल्कि लडऩा है। मेरी लोगों से अपील है कि वह खुद सामने आये और अपने परिवार के सदस्य को सम्मान के साथ रुखसत करें। हम लोगों ने बीस लोगों की एक टीम बनाई गई है। जब कोई नहीं आता तो सूचना पर हम दिन हो या रात कर्बला आकर पूरे रीति-रिवाज के साथ शव को दफनाते हैं ।
मो. इमदाद