बड़े हादसों को न्यौता दे रहे जर्जर भवन जोखिम में हजारों की जान
Lucknow
नगर निगम ने जारी की सूची, राजधानी में 300 से अधिक भवन जर्जर
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। बारिश के मौसम में जर्जर भवन बड़े हादसों को न्योता दे रहे हैं। नोटिस जारी करने के बाद भी लोग यहां अपनी जान जोखिम में डालकर रह रहे हैं। नगर निगम एक बार फिर जर्जर हो चुकी इमारतों के मालिकों को नोटिस जारी कर रहा है। हालांकि कई मकान ऐसे भी हैं जिन्हें कई बार नोटिस जारी किया गया लेकिन वे मरम्मत के लिए मकान खाली करने को तैयार नहीं है।
नगर निगम ने बारिश के मौसम के बीच जर्जर इमारतों की सूची जारी कर दी है। सालभर में इस सूची में 173 जर्जर भवन और जुड़ गए हैं। अब इनकी संख्या तीन सौ से अधिक हो गई है। हालांकि पिछले साल 121 जर्जर भवनों में से सिर्फ कुछ मकानों को ही दुरुस्त करवाया जा सका है। हकीकत यह है कि पिछले साल जारी सूची में से 90 फीसदी में कोई काम नहीं कराया गया। सिर्फ नोटिस जारी कर खानापूरी कर ली गई है। निगम द्वारा चिह्निïत जर्जर भवनों में 1200 से ज्यादा लोग रह रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा लोग नजरबाग, लालकुआं, मौलवीगंज, यदुनाथ सान्याल और यहियागंज वॉर्ड स्थित जर्जर भवनों में रहते हैं। वहीं पीजीआई इलाके के हैवत मऊ मवइया में बरसात से कई लोगों के पुराने मकान गिर गए। हालांकि जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ। ये लोग बचे हुए हिस्से में किसी तरह गुजर बसर कर रहे हैं। यहां के रहने वाले प्रेमकुमार, रोशन लाल व मंगल प्रसाद ने बताया कि कच्ची मिट्टी के मकानों में जानवर बांधे जा रहे थे। कुछ को कमरों में रखा जा रहा था। बरसात में जलभराव से नींव की मिट्टी गीली हो गई और मकान गिर गए। पक्के मकानों की हालत भी ठीक नहीं है। छत टपक रही है। छत पर घास उग आई है। प्लास्टिक शीट के सहारे जीवन कट रहा है। इब्राहिमपुर वार्ड के पार्षद रमेश रावत उर्फ काकू ने कहा कि कुछ मकान गिरे हैं। इसकी सूचना संबंधित विभाग को दे दी गई है।
मवैया में कई परिवारों पर मंडरा रहा खतरा
मवैया तिराहे पर करीब सात दशक पहले बने दो मंजिला भवन की दशा बेहद खराब हो चुकी है। वह कभी भी गिर सकता है। करोड़ों रुपए की इस जमीन पर कब्जा करने की कई बार कोशिश भी हो चुकी है। इस मकान को किरायेदार और मकान मालिक किसी कीमत पर छोडऩा नहीं चाह रहे हैं। रेलवे में नौकरी कर चुके रामतीर्थ ने इस मकान को बनवाया था। वह परिवार के साथ इसी में रहते थे। मकान का कुछ हिस्सा किराये पर दे रखा था। उनकी मौत के बाद परिजनों की आय का मुख्य स्रोत मकान का किराया ही रहा। कमजोर हो चुके मकान पर किरायेदारों ने किराया देना बंद किया। मकान के निचले हिस्से में मेडिकल स्टोर, होटल, जनरल स्टोर खुल चुका है। पहली मंजिल पर कई लोगों का परिवार रह रहा है। दूसरी मंजिल पर रामतीर्थ के परिवार ने कमरे में ताला बंद कर दिया है। किराएदार अब मकान छोड़ नहीं रहे हैं। रामतीर्थ की पत्नी ने नगर निगम में प्रार्थना पत्र देकर मकान को जर्जर घोषित करा रखा है। वहीं किराएदारों ने मकान का कुछ हिस्सा एक संस्था को बेच दिया है। कब्जा नहीं मिलने पर संस्था ने इसे आलमबाग के एक व्यवसायी को बेच दिया है लेकिन किरायेदार मकान छोडऩे को तैयार नहीं है। जोन-दो के कर अधीक्षक कुलदीप ने किरायेदारों को नोटिस देकर सुरक्षित स्थान पर जाने को कहा है लेकिन उन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है।
यह है प्रक्रिया
नगर निगम सर्वे कर जर्जर भवनों की सूची तैयार करता है और उन्हें नोटिस जारी कर मकान खाली करने का समय देता है। यह सूची जिला प्रशासन को सौंपी जाती है। जिला प्रशासन इन भवनों में रहने वालों को मरम्मत का मौका देता है। जिनमें मरम्मत की संभावना नहीं होती है, उन पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होती है।
नक्खास में छत ढहने के बाद भी रह रहे लोग
नक्खास रोड पाटा नाला चौकी के पास एक तीन मंजिला जर्जर मकान है। जिसके तीसरे मंजिल की छत ढह चुकी है। तीसरे मंजिल में अब केवल दीवारें खड़ी हैं। दूसरे मंजिल का छज्जा आधा टूटकर लटका हुआ है। मकान कभी भी भरभरा कर गिर सकता है। इसके बाद भी मकान में एक परिवार किराए पर रह रहा है। आस-पास के लोगों का कहना है कि मकान के आगे का हिस्सा गिरवाने के लिए कई बार शिकायत दर्ज कराई गई लेकिन किराए पर रह रहा परिवार मकान खाली करने को तैयार ही नहीं है, जिसके चलते कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। मुख्य मार्ग पर मकान होने के चलते अक्सर मकान के सामने से लोग गुजरते हैं।
पिछले साल की सूची जिला प्रशासन को दी गई थी, कार्रवाई उन्हें ही करनी है। इस वर्ष की सूची भी उन्हें सौंप दी जाएगी।
अमित कुमार, अपर नगर आयुक्त