मानसून सत्र के बाद विपक्ष को सडक़ पर घेरेगी भाजपा

नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र इस बार हंगामेदार चल रहा है। विपक्ष ने जासूसी कांड समेत अन्य मुद्दों पर संसद को चलने नहीं दिया। मानसून सत्र के बाद भारतीय जनता पार्टी विपक्ष को सडक़ पर घेर लेगी। बीजेपी मानसून सत्र में विपक्ष के हंगामे को बड़ा मुद्दा बनाएगी। पार्टी ने सभी सांसदों के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारियों को निर्देश दिया है कि सत्र के बाद सभी सांसद अपने-अपने क्षेत्र में जाकर प्रेस वार्ता करें और विपक्ष को कटघरे में खड़ा करते हुए जनता से संवाद करें।
भाजपा ने यह भी संदेश दिया है कि विपक्ष के हंगामे के कारण आम लोगों से जुड़े विधायी कार्य नहीं हो सके। सभी जिला मुख्यालयों पर प्रेस कांफ्रेंस भी की जाएगी और मंत्री भी इस काम में लगे रहेंग॥ सभी मंत्री अलग-अलग राज्यों का भी दौरा करेंगे। देश का कितना पैसा बर्बाद हुआ और कितने विधायी कार्य विरोध के कारण नहीं हुए, इसकी जानकारी भी आम जनता को उपलब्ध कराई जाएगी।
भाजपा विपक्ष के खिलाफ खासकर चुनावी राज्यों में जैसे उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड जैसे राज्यों में प्रचार करेगी और वहां यह बताने की कोशिश करेगी कि सदन को बाधित कर आम लोगों के हितों को कैसे नुकसान पहुंचाया गया है। संसद का सत्र समाप्त होते ही यह अभियान शुरू हो जाएगा।
आपको बता दें कि सोमवार को लोकसभा में संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया गया। इसे केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने सदन में पेश किया। विधेयक को सदस्यों की सहमति के बाद सर्वसम्मति से पारित किया गया। विपक्षी दलों ने भी इस बिल का समर्थन किया है। इस अधिकार का प्रयोग करके महाराष्ट्र में मराठा समुदाय, गुजरात में पटेल समुदाय, हरियाणा में जाट समुदाय और कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को ओबीसी श्रेणी में शामिल होने का अवसर मिल सकता है। यह विधेयक भारत के सभी राज्यों में राज्य सरकारों को ओबीसी सूची तैयार करने का अधिकार देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में इसे मंजूरी दी थी। संविधान में इस संशोधन की मांग कई नेताओं और क्षेत्रीय दलों के साथ-साथ सत्ताधारी दल के ओबीसी नेताओं ने भी की है। अब इस बिल को सदन में सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया है।
इस विधेयक के पारित होने से अब राज्य सरकार के पास यह अधिकार होगा कि राज्य इसके अनुसार जातियों को अधिसूचित कर सकता है। राज्यों को यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 342-ए और 366(26)सी में संशोधन की संसद में मंजूरी मिलने के बाद मिला है। इस अधिकार का प्रयोग करके महाराष्ट्र में मराठा समुदाय, गुजरात में पटेल समुदाय, हरियाणा में जाट समुदाय और कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को ओबीसी श्रेणी में शामिल होने का अवसर मिल सकता है। मालूम हो कि ये सभी जातियां लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रही हैं, हालांकि सुप्रीम कोर्ट उनकी मांगों पर रोक लगाता रहा है। इस बिल के पास होने के बाद अब इन जातियों की मांगों को पूरा किया जा सकता है।

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