यूपी और असम के बाद अब उत्तराखंड में जनसंख्या नियंत्रण कानून की तैयारी

देहरादून। उत्तराखंड सरकार एक कमेटी बनाने जा रही है, जो यह संभावना देखेगी कि जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू किया जा सकता है या नहीं और हां तो किस तरह। उत्तराखंड सरकार उत्तर प्रदेश और असम जैसे भाजपा सरकारों वाले राज्यों की तर्ज पर यह कदम उठाने जा रही है। सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है लेकिन कहा गया है कि राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनसंख्या नियंत्रण और भूमि कानून के बारे में समितियां बनाने का मन बना लिया है। भूमि कानून को लेकर राज्य का रुख यही है कि उत्तराखंड में जमीनों के मालिकाना हक को लेकर बाहरी लोगों के दखल को कैसे सीमित किया जाए। हाल में, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनसंख्या नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण अध्यादेश का मसौदा तैयार किए जाने का ज़िक्र किया, तो असम की हिमंता सरकार ने भी दो से ज्यादा बच्चों के अभिभावकों को सरकारी फायदों से दूर रखने संबंधी कानून पर विचार करने की बात कही। अब इसी तर्ज पर उत्तराखंड सरकार आगे बढ़ रही है। बताया जाता है कि पिछले दिनों भाजपा के राष्टï्रीय महासचिव बीएल संतोष और आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों की मौजूदगी में देहरादून में एक अहम बैठक हुई थी, जिसमें जनसंख्या नियंत्रण के संबंध में चर्चा हुई थी। इस बैठक के दौरान जनसंख्या को काबू करने संबंधी एक कानून को लेकर संभावनाएं तलाशने के लिए धामी सरकार से पुरजोर ढंग से कहा गया।

भूमि कानून को लेकर भी कवायद

भूमि कानून को लेकर भी उत्तराखंड सरकार प्रतिबद्ध दिख रही है। यह मामला अस्ल में यह है कि 2003 में एनडी तिवारी सरकार ने 1950 के एक एक्ट में संशोधन करते हुए बाहरी लोगों को 500 वर्गमीटर से ज़्यादा कृषि भूमि उत्तराखंड में खरीदने पर प्रतिबंधित किया था। इसके बाद 2007 में बीसी खंंडूरी सरकार ने इस कानून में भूमि के आकार को 250 वर्गमीटर किया लेकिन 2018 में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस कानून को एक तरह से निष्प्रभावी करते हुए बाहरी लोगों के लिए मनमर्ज़ी की जमीन खरीदने का रास्ता खोल दिया था।

Related Articles

Back to top button