सोशल मीडिया पोस्ट के खिलाफ मुकदमों पर सुप्रीम कोर्ट हैरान
- केंद्र से मांगा जवाब, कानून रद्द होने के बाद भी लोगों को भेजा जा रहा जेल
4पीएम न्यूज नेटवर्क. नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने वालों के खिलाफ होने वाली कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि हालात हैरान करने वाले हैं। इस मुद्दे पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से दो हफ्तों में जवाब मांगा है। एक गैर सरकारी संस्था पीयूसीएल ने याचिका दाखिल कर कहा है कि जो लोग सोशल मीडिया पर टिप्पणी करके अपनी बात कह रहे हैं उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई हो रही है। खास तौर पर उत्तर प्रदेश में कई मुकदमे दर्ज किए गए हैं और लोगों को जेल भेजा जा रहा है जबकि साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट के सेक्शन 66 ए को रद्द कर दिया था। इस फैसले का मतलब है कि हर व्यक्ति को अपनी बात सोशल मीडिया पर कहने का अधिकार है। टिप्पणी करने को अपराध नहीं कहा जा सकता। वकील संजय पारिख ने कोर्ट को बताया कि कानून रद्द करने के फैसले के बावजूद पुलिस सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर रही है और लोगों को जेल भेजा जा रहा है। इस पर जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि हमें मालूम है। हालात हैरान और चौंकाने वाले है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को दो हफ्तों में लिखित जवाब देने को कहा कि वह बताए कि देशभर में ऐसे कितने मामले दर्ज हुए और उनका स्टेटस क्या है. तीन हफ्तों के बाद इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में हुई लोकतंत्र की हत्या
- गलत हथकंडे अपनाकर चुनाव कराने से लोकतंत्र को शर्मिंदा होना पड़ा
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। यूपी के जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा ने सत्ता के बल पर परचम लहराया है। यह हर सरकार में होता है, जिसकी सरकार, उसी के अध्यक्ष। पर इस चुनाव में जो हथकंडे अपनाए गए वो लोकतंत्र की हत्या करने जैसा है। कांगे्रस का खाता न खुलना आने वाले चुनाव में बड़ी चुनौती है। बसपा की भी मुश्किलें बढ़ेगी। ये बात निकलकर सामने आई वरिष्ठï पत्रकार अजय शुक्ला, अरविंद सिंह, शरत प्रधान, अनिल रायल व 4पीएम के संपादक संजय शर्मा के साथ एक लंबी परिचर्चा में।
परिचर्चा में अजय शुक्ला ने कहा, सत्ता जहां होती है उसी दिशा में सब चल पड़ते हैं। उन्होंने कहा आज मीडिया भोपू बन गया है। सत्ता के साथ चलता है। संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत कई शर्तें हैं मगर आज कल डीएम और एसपी सत्ता के आधीन हैं। यह हर सरकार में होता है। मगर इस सरकार में जो हो रहा है, वह थोड़ा ज्यादा है एक तरीके से नंगा नाच हुआ है, जो कि ठीक नहीं है। शरत प्रधान ने कहा, इससे बड़ा मजाक लोकतंत्र के नाम पर नहीं हो सकता है। यूपी के पंचायत चुनाव का यह नतीजा लोकतंत्र के मुंह पर तमाचा है। विकास के नाम पर कोई बात नहीं कर रहा है अगर पंचायत चुनाव में पब्लिक वोट डाले तो ही भ्रष्टïाचार कम होगा। अरविंद सिंह ने कहा, जिस तरह मनरेगा में हुआ, उसी तरह पंचायत चुनाव में एक्सरसाइज हुई। प्रचंड सीटें जीत लेना भाजपा की सोची समझी रणनीति है। अब के चुनावों में बाहुबली लोग धन व बल के नाम पर चुनाव जीत लेते हैं जो कि लोकतंत्र के लिए बहुत ही शर्मनाक है। अनिल रायल बोले कि पश्चिमी यूपी व पूर्वांचल में शिकायत पर कार्रवाई में डंडा मिलता है। इस सरकार में इस चुनाव में डीएम और एसपी ने भी भाजपा कार्यकर्ताओं का साथ दिया। इसी का नतीजा है कि परिणाम ने भाजपा की तस्वीर बदल दी जबकि सच्चाई ये है कि योगीजी और पार्टी के अंदर बगावत चल रही है। भाजपा को इसका नुकसान उठाना ही पड़ेगा।
रायबरेली में पुलिस अफसरों को घूस देने की शिकायत डीजीपी से
- नूतन ठाकुर ने कहा- ट्रैफिक दारोगा की कथित डायरी की हो जांच
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर तथा डॉ नूतन ठाकुर ने रायबरेली के एक ट्रैफिक दारोगा की कथित डायरी में विभिन्न अफसरों को घूस देने के विवरण की शिकायत की है। डीजीपी यूपी सहित अन्य अफसरों को भेजे पत्र में उन्होंने कहा उन्हें विश्वस्त्र सूत्रों से एक हस्तलिखित पृष्ठ प्राप्त हुआ है, जिसमें कतिपय पदाधिकारियों के पद तथा उनके सामने कुछ धनराशि अंकित है। कुछ के सामने पेड अर्थात दिया गया अंकित है। यह धनराशि एसपी को 50,000, एएसपी को 15,000, सीओ को 10,000, सीओ पेशी को 1000, सीओ गनर को 500, एसपी गनर को 2000, एएसपी गनर को 500, स्टेनो को 1000 तथा निदेशालय को 500 लिखा है। अमिताभ तथा नूतन ने कहा कि उन्हें दी गयी एसपी जानकारी के अनुसार यह रायबरेली के एक ट्रैफिक दरोगा की कथित डायरी के अंश हैं, जिसमें उसके द्वारा विभिन्न अफसरों को दिए गए धनराशि का उल्लेख है। उन्होंने इसे प्रथमद्रष्टया गंभीर मामला बताते हुए इसका संज्ञान लेते हुए अविलंब उच्चस्तरीय जांच कराते हुए नियमानुसार कार्यवाही किए जाने की मांग की है।