कई बार हमारा ही फोन नहीं उठाते थानेदार और पुलिस अधिकारी : डीजीपी
- साइबर क्राइम से निपटने के लिए हर थाने में बनेगी हेल्प डेस्क
लखनऊ। थानेदार और पुलिस अधिकारियों के फोन ना उठाने से डीजीपी मुकुल गोयल खुद परेशान हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि कई बार अपने महकमे में ही थानेदार व पुलिस अधिकारी उनका भी फोन नहीं उठाते हैं। इससे जनता को समस्या होती है। हालांकि, पुलिस अधिकारियों के पास फोन भी ज्यादा आते हैं, लेकिन व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि सभी का फोन रिसीव हो। डीजीपी ने कहा कि साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहा है। जनता में जागरूकता की कमी का साइबर अपराधी फायदा उठा रहे हैं। हालांकि यूपी पुलिस जागरूकता अभियान चला रही है। उन्होंने कहा कि जितना ज्यादा लोग जागरूक होंगे, साइबर क्राइम से उतना ही ज्यादा खुद को बचा सकेंगे। डीजीपी ने कहा कि प्रदेश में अभी 18 साइबर थाने हैं। ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि प्रत्येक जिले में कम से कम एक साइबर थाना हो, जहां साइबर अपराध से संबंधित सूचनाएं और शिकायतें दर्ज कराई जा सके। उन्होंने कहा कि हर थाने में साइबर हेल्प डेस्क बनाने की भी व्यवस्था की जा रही है। इससे दो दिन पहले डीजीपी मुकुल गोयल अचानक हजरतगंज कोतवाली का निरीक्षण करने पहुंचे तो उन्हें तमाम अव्यवस्था मिली। कोतवाली में चारों तरफ गंदगी फैली थी। वाहन बेतरतीब खड़े थे। कार्यालय का रखरखाव भी ठीक नहीं था। चारों तरफ कागज बिखरे हुए थे। डीजीपी ने रिकॉर्ड चेक किए तो उसमें भी काफी खामियां मिली। अव्यवस्था और लापरवाही से नाराज डीजीपी ने पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर से इंस्पेक्टर को हटाकर जांच कराने के आदेश दिए।
महिला डेस्क में महिलाओं से संबंधित शिकायतें ही दर्ज हों
डीजीपी ने कहा थानों में महिला डेस्क में महिलाओं से संबंधित शिकायतें ही दर्ज हों जबकि वहां रजिस्टर पर मोबाइल खोने की सूचनाएं दर्ज की जा रही हैं। डीजीपी ने महिला थाना की पुलिसकर्मियों को उनके काम की जानकारी ना होने की बात कही। उन्होंने कहा कि बीट पर कैसे काम किया जाता है, ये महिला पुलिसकर्मियों को नहीं पता। उन्होंने अधिकारियों से इस बारे में महिलाओं को जानकारी देने के निर्देश दिए।
फ्री बिजली की घोषणा कर फंसे उत्तराखंड के ऊर्जा मंत्री
देहरादून। उत्तराखंड में फ्र्री बिजली की घोषणा करना अब उर्जा मंत्री हरक सिंह रावत के लिए गले की हड्डी बनने लगा है। ऊर्जा मंत्री का कार्यभार संभालते ही मंत्री हरक सिंह रावत ने सौ यूनिट तक बिजली फ्र्री देने और दो सौ यूनिट तक पचास फीसदी शुल्क माफ करने की घोषणा की थी। इसके बाद सियासत गर्म हो गई। अब घोषणा को दो महीने होने को हैं, लेकिन फ्र्री बिजली तो छोड़िए, ऐसे किसी प्रस्ताव का ही अता-पता नहीं है। फिलहाल विपक्ष अब सरकार पर हमलावर है। गौरतलब है कि आठ जुलाई को ऊर्जा मंत्री का कार्यभार संभालते ही मंत्री हरक सिंह रावत ने सौ यूनिट तक बिजली फ्री देने और दो सौ यूनिट तक पचास फीसदी शुल्क माफ करने की घोषणा कर सियासत का रूख ही मोड़ दिया था। इसके बाद हर कैबिनेट पर लोग टकटकी लगाए बैठे होते हैं कि क्या पता इस कैबिनेट में फ्र्री बिजली का प्रस्ताव आ जाए। इस इंतजार में दो महीने बीत गए। फ्री बिजली तो नहीं आई उर्जा मंत्री जरूर सुस्त पड़ गए हैं। उर्जा मंत्री विधानसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कह चुके हैं कि फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है तो दूसरी ओर मंत्री कह रहे हैं कि फ्री बिजली देने पर होने वाला व्यय भार की प्रतिपूर्ति कहां से होगी इसको अभी देखा जा रहा है।
कांग्रेस और आप का सरकार पर हमला
फ्री बिजली के इस मुददे पर अब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सरकार पर हमलावर हो गए हैं। कांग्रेस नेता मथुरा दत्त जोशी और आप प्रवक्ता रविंद्र आनंद ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ये सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए बीजेपी का मात्र एक जुमला था। कुल मिलाकर घोषणा जरूर की गई हो, लेकिन फिल्हाल फ्री बिजली की कोई उम्मीद नहीं नजर आती।
सचिवालय गोलीकांड : आरोपित पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करो
- परिवार बोला- विधिक सलाह लेने के बाद ही दर्ज कराएंगे एफआईआर
लखनऊ। अपर मुख्य सचिव नगरीय विकास डॉ. रजनीश दुबे के निजी सचिव विशंभर दयाल की आत्महत्या के मामले में पीड़ित परिवार ने सीबीआई जांच की मांग की है। विशंभर दयाल के भाई ओमप्रकाश ने कहा सीबीआई जांच से पूरा मामला उजागर होगा और आरोपित पुलिसकर्मियों की संलिप्तता सामने आएगी। उन्होंने उन्नाव में दर्ज मुकदमे में भी एससीएसटी एक्ट बढ़ाने की मांग की है। विशंभर दयाल के परिवार ने भी लखनऊ पुलिस को तहरीर नहीं दी। ओमप्रकाश का कहना है कि वह इस मामले में विधिक सलाह ले रहे हैं, जिसके बाद वह एफआईआर दर्ज कराएंगे। फिलहाल पुलिस तहरीर मिलने का इंतजार कर रही है। गौरतलब है कि 30 अगस्त को बापू भवन के आठवें तल पर स्थित कार्यालय में विशंभर दयाल ने खुद को गोली मार ली थी। लोहिया अस्पताल में इलाज के दौरान शुक्रवार को उनकी मौत हो गई। विशंभर दयाल ने उन्नाव पुलिस पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन ने आईजी लखनऊ को जांच सौंपी थी, जिसके बाद औरास थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर व विवेचक को निलंबित कर दिया गया था। ओमप्रकाश ने आरोपित पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करने की मांग की है। आरोप है कि पुलिस की वजह से उनके भाई की जान गई है। ओमप्रकाश ने लापरवाह पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।