जब छिड़ी जंग तो याद आए दलित और पिछड़े
- डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की उपेक्षा और सरकार में पर्याप्त भागीदारी नहीं मिलने से नाराज हैं पिछड़े
- विधान सभा चुनाव से पहले योगी सरकार ने धड़ाधड़ की नियुक्तियां
- रामबाबू हरित अनुसूचित जाति और जनजाति और जसवंत सैनी पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष बने
- दलित और पिछड़ों की नाराजगी दूर करने की कवायद, भाजपा में सियासी घमासान थमने के बाद लिया गया निर्णय
- विपक्ष बोला, अब भाजपा के झांसे में नहीं आएंगे पिछड़े और दलित
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। विधान सभा चुनाव से पहले सरकार और संगठन में मचे घमासान के बाद प्रदेश सरकार को दलित और पिछड़ों की याद आयी। सरकार ने महीनों से खाली अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग और पिछड़ा वर्ग आयोग के तमाम पदों पर धड़ाधड़ नियुक्तियंा कर दी हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि इसके जरिए सरकार प्रदेश में दलितों और पिछड़ों में पैदा हुई नाराजगी को दूर करना चाहती है। हालांकि विपक्ष ने निशाना साधते हुए कहा है कि दलित और पिछड़े भाजपा का असली चरित्र जान चुके हैं और अब वे इसके झांसे में नहीं आने वाले। भाजपा को इस कवायद का कोई फायदा नहीं मिलने वाला है। विधान सभा चुनाव से पहले प्रदेश की योगी सरकार ने नाराज पिछड़ों और दलितों को लुभाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। पिछड़े और दलित सरकार में पर्याप्त भागीदारी नहीं मिलने से नाराज चल रहे थे। यही नहीं प्रदेश के पिछड़े वर्ग के लोग उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की उपेक्षा से भी खासे नाराज चल रहे हैं। वे सरकार के इशारे पर केशव प्रसाद मौर्य के विभाग की जांच कराए जाने और तरह-तरह से परेशान करने से भी क्षुब्ध हैं। सियासी गलियारे में यह चर्चा गर्म रही कि सीएम और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इस मामले को लेकर पिछले दिनों दिल्ली से लेकर लखनऊ तक भाजपा के शीर्ष नेताओं और संघ के पदाधिकारियों की बैठकें हुई। यही नहीं खुद सीएम योगी आदित्यनाथ को दिल्ली तलब किया गया और प्रदेश में चल रही सियासी उठापटक पर नाराजगी जताई गई। सूत्रों का कहना है कि बैठकों के बाद सीएम से कहा गया कि वे सभी को साथ लेकर चले। शीर्ष नेताओं को यह भी रिपोर्ट मिली कि यदि पिछड़े और दलितों की नाराजगी दूर नहीं की गई तो चुनाव में भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़़ सकता है। यही वजह है कि चुनाव से छह माह पहले योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग व पिछड़ा वर्ग आयोग में धड़ाधड़ नियुक्तियां कर दी हैं। डॉक्टर रामबाबू हरित को एससी-एसटी आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं मिथिलेश कुमार को आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया। राम नरेश पासवान भी उपाध्यक्ष बने। इसके साथ ही 12 सदस्यों की भी नियुक्तिहुई है। ओपी नायक, रमेश तूफानी, राम सिंह वाल्मीकि, कमलेश पासी, तीजाराम सदस्य शेषनाथ आचार्य, अनीता सिद्धार्थ, राम आसरे सदस्य श्याम अहेरिया, मनोज सोनकर, श्रवण गोंड, अमरेश चंद्र, किशनलाल, केके राज सदस्य बनाए गए हैं। वहीं आज योगी सरकार ने प्रदेश के पिछड़ा वर्ग आयोग में नियुक्तियां की। जसवंत सैनी को पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाया गया जबकि हीरा ठाकुर और प्रभुनाथ चौहान को उपाध्यक्ष बनाया गया है। वहीं आयोग में 25 सदस्यों की भी नियुक्ति हुई।
गीता प्रधान का बढ़ा कार्यकाल
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग की सदस्य साध्वी गीता प्रधान का कार्यकाल बढ़ा दिया है। उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो चुका था। कार्यकाल बढ़ाए जाने पर साध्वी ने प्रदेश की राज्यपाल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का धन्यवाद दिया है।
साढ़े चार सालों में दलित-पिछड़ों के लिए भाजपा सरकार ने कुछ नहीं किया। अब जब चुनाव नजदीक है तो वोट बैंक की खातिर ये नाटक कर रहे हैं। भाजपा ने लगातार एससी-एसटी वर्ग का शोषण किया है। अपमानित किया है। दलित-पिछड़े अब भाजपा के झांसे में नहीं आएंगे।
सुनील सिंह साजन, एमएलसी, सपा
उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग की नियुक्तियों के आदेश जारी कर योगी सरकार दलितों व पिछड़ों के वोट हथियाना चाहती है मगर दलित-पिछड़े अब भाजपा के झांसे में नहीं आएंगे। चुनाव में भाजपा को मुंह की खानी पड़ेगी।
आराधना मिश्रा, विधायक, कांग्रेस
भाजपा सरकार दलित समाज के लिए दमन, अत्याचार और भेदभाव से अधिक कुछ नहीं साबित हुई। सरकारी तंत्र ने खुलकर दलित समाज का दमन किया है। अब चुनाव सिर पर हैं तो कुछ आयोगों में कुछ लोगों को पदासीन करवाकर दलित और पिछड़े समाज की आंखों में धूल झोंक रही है।
वैभव माहेश्वरी, प्रवक्ता आप
सरकार व भाजपा का दलित-पिछड़ों व गरीबों से कोई मतलब नहीं है। केशव प्रसाद मौर्य को इसी वजह से सीएम पद नहीं दिया गया। नियुक्तियों की मांग लगातार हमारी पार्टी करती आई है। अब जब चुनाव सामने है तो सरकार दलितों और पिछड़ों को लुभाना चाहती है।
अनिल दुबे, राष्टï्रीय सचिव, आरएलडी