बाराबंकी हादसा: बीस लोगों की मौत से माहौल गमगीन, राष्टï्रपति-प्रधानमंत्री ने जताया शोक
- लखनऊ-अयोध्या हाईवे पर भीषण बस हादसे में अब तक 20 यात्रियों की मौत, 10 अब भी गंभीर
- रामसनेही घाट में कल्याणी नदी के पुल पर हादसा
- हरियाणा से बिहार जा रही बस में 100 से ज्यादा मुसाफिर सवार थे
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। लखनऊ-अयोध्या हाईवे पर देर रात बड़ा हादसा हो गया। बाराबंकी में रामसनेहीघाट के कल्याणी नदी के पुल पर खराब खड़ी डबल डेकर बस में लखनऊ की ओर से आ रहे ट्रक ने जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी तेज थी कि हादसे में 20 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 10 से ज्यादा यात्री गंभीर है। घायलों को राम सनेहीघाट सीएचसी ले जाया गया। गंभीर मरीज जिला अस्पताल में भर्ती है। पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से शवों को हाईवे से हटाया और जाम खुलवाया। बस में 100 से ज्यादा मुसाफिर सवार थे। इधर यूपी सरकार ने ऐलान किया है कि बाराबंकी हादसे में शिकार लोगों को हरसंभव सहायता दी जाएगी। साथ ही घायलों को पूरी मदद मिलेगी। मुआवजा भी मिलेगा। अस्पताल में भर्ती गंभीर मरीज चौबीस घंटे निगरानी में रहेंगे, हर एक की जान बचाना प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है। बता दें कि हरियाणा से बिहार जा रही निजी ट्रेवेल्स की डबल डेकर बस मंगलवार देर रात 12 बजे हाईवे पर कल्याणी नदी के पास खराब हो गई थी। इसके बाद यात्री उतरकर बस के नीचे और उसके आगे व आसपास लेट गए। इसी बीच लखनऊ की ओर से आए ट्रक संख्या एनएल 01 क्यू 8280 ने बस में टक्कर मार दी। इससे ये भीषण हादसा हुआ। बस संख्या यूपी 22 टी 7918 ऋ षभ ट्रेवेल्स की है। ट्रक चालक मौके से फरार हो गया। राष्टï्रपति व प्रधानमंत्री ने भी हादसे पर शोक जताया है। मुआवजे का भी ऐलान किया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी, मायावती ने भी मृतक परिवारों के प्रति अपनी शोक संवेदना व्यक्त की है।
एनएचआई और डायल 100 की भी जिम्मेदारी है सड़क पर गश्त करना
बाराबंकी हादसे को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क पर हादसों पर लगाम लगाने के लिए एनएचआई को भी ध्यान देना चाहिए। सड़क मार्ग ऐसे हो, जिससे हादसों पर विराम लग सके। इसके अलावा डायल 100 गश्त करती रहे। लापरवाही न बरते तो हादसों में कमी आएगी।
अस्पताल पहुंचे गोप, घायलों का हाल जाना
इस दर्दनाक हादसे को संज्ञान में लेते हुए समाजवादी पार्टी के नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं पूर्व प्रदेश महासचिव अरविंद कुमार सिंह गोप ने भी घटनास्थल का जायजा लिया। इसके बाद सदर अस्पताल पहुंच कर घायलों का हाल जाना और तत्काल डाक्टरों से बेहतर इलाज करने के लिए कहा। उसके बाद सीएचसी रामसनेही घाट भी पहुंचे और घायलों के बेहतर इलाज के लिए प्रशासन से मदद की भी मांग की। उन्होंने सपा कार्यकर्ताओं से अनुरोध किया कि जहां भी हो इस दुख की घड़ी में घायलों की हर सम्भव मदद करें। अरविंद सिंह गोप के साथ पूर्व विधायक राम गोपाल रावत, पूर्व अध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह, नसीम कीर्ति, हशमत अली आदि लोग मौजूद थे।
घायल मजदूर ने बताई पूरी आप बीती
हादसे में घायल एक मजदूर ने बताया कि वे और उनके सभी साथी हरियाणा से धान रोपाई कर अपने-अपने घर लौट रहे थे। बस में करीब 100 से ज्यादा यात्री सवार थे, क्योंकि अंबाला में दूसरी बस खराब होने की वजह से उसकी सवारी को भी इसी बस में चढ़ा दिया गया था। उन्होंने बताया कि बस का बेलन टूट गया, जिसके बाद ड्राइवर ने बस सड़क किनारे खड़ी कर दी। रात होने की वजह से कुछ वहीं सो गए और कुछ जगे रहे। तभी ट्रक ने बस को पीछे से टक्कर मार दी। देखते ही देखते बड़ा हादसा हो गया। कई लोगों की जानें चली गईं।
तेज बारिश के बीच बचाव कार्य
हादसे के कुछ देर बाद ही तेज बारिश शुरू हो गई। एसडीएम जितेंद्र कटियार व सीओ पंकज सिंह के नेतृत्व में बारिश के बीच पुलिस टीम ने स्थानीय लोगों की मदद से शवों को निकालने और घायलों को अस्पताल भेजवाने का कार्य किया। एसपी यमुना प्रसाद ने करीब ढाई बजे घटनास्थल व सीएचसी का जायजा लिया। घटना के बाद हाईवे पर वाहनों की लंबी कतार लग गयी। इससे करीब तीन किलोमीटर तक लंबा जाम लग गया। हादसे का शिकार लोग बिहार के सीतामढ़ी, सुपौल सहित कई जिलों के रहने वाले हैं।
कमिश्नर और जिलाधिकारी कर्मचारी संगठनों की मांगों का करें निराकरण
- मुख्य सचिव का निर्देश, हर महीने बैठक कर करें समाधान
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। चुनावी साल में कर्मचारियों को संतुष्ट करने की कोशिश में जुटी यूपी सरकार ने विभागाध्यक्षों और मंडल व जिला स्तर पर कर्मचारी संगठनों की मांगों के निराकरण के लिए समुचित कार्यवाही न किये जाने को गंभीरता से लिया है। मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, विभागाध्यक्षों व कार्यालयाध्यक्षोंं के अलावा मंडलायुक्तों तथा जिलाधिकारियों को शासनादेश जारी कर निर्देश दिया है कि वे मान्यताप्राप्त कर्मचारी संगठनों के साथ हर महीने में कम से कम एक बार बैठक कर उनकी मांगों और समस्याओं का नियमित तौर पर निस्तारण करें। इसके अलावा सभी अधिकारियों, कर्मचारियों की सेवा संबंधी व्यक्तिगत समस्याओं का भी प्रत्येक सप्ताह में एक बार अपराह्न में समय निर्धारित कर निस्तारण करने को कहा है। मुख्य सचिव ने कहा 24 मई, 2019 को जारी किये गए शासनादेश में कर्मचारी संगठनों की मांगों/समस्याओं के बारे में नियमित रूप से बैठक कर उनका निराकरण करने का निर्देश दिया गया था। इसके बावजूद शासन को जानकारी मिल रही है कि कुछ विभागों और उनके विभागाध्यक्षों द्वारा मंडल व जिला स्तर पर कर्मचारी संगठनों की मांगों को लेकर समुचित कार्यवाही नहीं की जा रही है। लिहाजा कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव कार्मिक से समस्याओं के समाधान के लिए संपर्कर् करते हैं। ऐसे मामले, जिनका समाधान विभागाध्यक्ष या प्रशासनिक विभाग के स्तर पर किया जा सकता है, उनके बारे में भी मुख्य सचिव या अपर मुख्य सचिव कार्मिक के स्तर पर बैठकें करनी पड़ रही हैं, जो उचित नहीं है।
केरल सरकार को सुप्रीम झटका, विधायकों पर चलेगा मुकदमा
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सदन में संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं
4पीएम न्यूज नेटवर्क. नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केरल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 2015 में केरल विधानसभा में हुड़दंग के लिए अपने नेताओं के खिलाफ मुकदमे को वापस लेने की अनुमति मांगी थी। प्रकरण के समय माकपा विपक्ष में थी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने फैसला सुनाया है कि आरोपी विधायकों का कृत्य संवैधानिक सीमाओं को पार कर गया है। पीठ ने कहा कि संविधान द्वारा कानून निर्माताओं को सदन के पटल पर मिली छूट को आपराधिक अभियोजन तक के लिए बढाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा सदन में संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है। इन परिस्थितियों में मामलों को वापस लेने की अनुमति देना न्याय के सामान्य प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना होगा। सुप्रीम कोर्ट में अपने फैसले में कहा है कि सांसदों और विधायकों को दी गई प्रतिरक्षा उन्हें बिना किसी डर या पक्षपात के अपने कार्यों का निर्वहन करने में मदद करने के लिए है, लेकिन यह स्थिति उन्हें अन्य नागरिकों की तुलना में उच्च स्तर पर खड़ा नहीं करता है।यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार की याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। राज्य सरकार ने केरल हाईकोर्ट के 12 मार्च, 2021 के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। पहले तिरुवनंतपुरम में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और बाद में हाईकोर्ट से मौजूदा मंत्रियों सहित आरोपियों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन वहां से राहत नहीं मिल पाई थी।