भाजपा को सता रहा सियासी जमीन दरकने का डर, अब गुर्जरों पर डाल रही डोरे
- किसान आंदोलन के असर को कम करने के लिए खेल रही प्रतिमा पॉलिटिक्स
- दादरी में गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण कर चला दांव
- जाट वोट की काट तलाशने में जुटी, विपक्ष बोला, महापुरुषों पर सियासत कर रही भाजपा
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। विधान सभा चुनाव की आहट के साथ ही भाजपा रोज नए दांव चल रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों और जाटों की नाराजगी से परेशान भाजपा एक बार फिर प्रतिमा पॉलिटिक्स पर उतर आयी है। खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने न केवल दादरी में गुर्जर सम्राट मिहिरभोज की प्रतिमा का अनावरण कर गुर्जरों को साधने की कोशिश की बल्कि गुर्जर बेल्ट बिजनौर से लेकर शामली तक का दौरा किया। वहीं विपक्ष ने इस मामले पर जमकर हमला बोला और कहा कि हार के डर से भाजपा अब महापुरुषों पर सियासत करने लगी है। कृषि कानूनों को लेकर किसान लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। इसका सबसे अधिक असर पश्चिमी यूपी में नजर आ रहा है। पिछले दिनों मुजफ्फरनगर महापंचायत में किसान नेताओं ने यूपी विधान सभा चुनाव में भाजपा को वोट से चोट देने का ऐलान किया था। इसके बाद से ही भाजपा का शीर्ष नेतृत्व बेहद चिंतित नजर आ रहा है। किसान आंदोलन और जाट वोट की काट की तलाश में जुटी भाजपा अब पश्चिम यूपी में गुर्जर समुदाय को साधना चाहती है। यहां जाट और गुर्जर दोनों ही चुनावी राजनीति को सीधे प्रभावित करते हैं इसीलिए गुर्जर बाहुल्य बिजनौर और शामली में कई विकास योजनाओं की शुरुआत की गई। इसके अलावा गुर्जरों को अपने पाले में लाने के लिए नोएडा के दादरी में गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का सीएम योगी ने अनावरण किया।
दो दर्जन जिलों में निर्णायक
पश्चिम यूपी में गुर्जर समुदाय के मतदाताओं की खासी संख्या है, जो किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं। गाजियाबाद, नोएडा, बिजनौर, संभल, मेरठ, सहारनपुर, कैराना जिले की करीब दो दर्जन सीटों पर गुर्जर समुदाय निर्णायक भूमिका में हैं, जहां 20 से 70 हजार के करीब इनका वोट है। एक दौर में गुर्जर समाज के सबसे बड़े और सर्वमान्य नेता भाजपा के हुकुम सिंह हुआ करते थे, जो कैराना के साथ-साथ पश्चिमी यूपी की सियासत पर खास असर रखते थे।
पश्चिमी यूपी में गुर्जर प्रभावशाली
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों के बाद जाट, गुर्जर और ठाकुर मतदाताओं की संख्या अधिक है। इस इलाके में ब्राह्मïण, त्यागी और ठाकुर भाजपा का परंपरागत वोटर माना जाता है। 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के बाद भाजपा ने इसमें जाटों को भी जोड़ा और गुर्जर समुदाय का भी विश्वास जीतने में सफल रही है। यही कारण था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा ने विपक्ष का 2014-2019 के लोक सभा और 2017 के विधान सभा चुनाव में सफाया कर दिया था। 2017 के विधान सभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर पांच गुर्जर समुदाय के विधायक जीतकर आए थे।
कौन थे सम्राट मिहिर भोज
गुर्जर सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर प्रतिहार वंश का सर्वाधिक प्रतापी एवं महान शासक माना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने 50 साल तक शासन किया। भोज प्रथम ने 836 ई. के लगभग कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया, जो आगामी 100 सालों तक प्रतिहारों की राजधानी बनी रही। मिहिर भोज के साम्राज्य का विस्तार आज के मुल्तान से पश्चिम बंगाल में गुर्जरपुर तक और कश्मीर से कर्नाटक तक था। मिहिर भोज के साम्राज्य को तत्कालीन समय में गुर्जर देश के नाम से जाना जाता था। हालांकि, इनकी जाति को लेकर विवाद है।
भाजपा ने कोई काम नहीं किया है। अपने संकल्प पत्र के वादों को पूरा नहीं किया है। महापुरुषों का सम्मान होना चाहिए लेकिन भाजपा की टाइमिंग गलत है। महापुरुषों पर सियासत नहीं करनी चाहिए।
अब्दुल हफीज गांधी, प्रवक्ता, सपा
सभी जातियों धर्मो के लोगों को समान रूप से लूट कर मूर्ख बना चुकी मुद्दाविहीन भाजपा, चुनाव आने पर नए रंगरोगन के साथ नए-नए इवेंट मैनेजमेंट में लग गयी है। न ही इनके पास किसी भी वर्ग के लोगों के लिए शिक्षा का प्लान है, न दवा इलाज का, न ही रोजगार का, तो भला सब कुछ छीन कर मूर्तियां लगाने वाले इवेंट से किस जाति का कैसे भला होगा। भाजपा की विदाई ही इस प्रदेश में खुशियां लाएगी।
वैभव माहेश्वरी, प्रवक्ता, आप
भाजपा किसानों को बांटने का काम करती रही है। गुर्जर और जाट समाज शुरू से कांग्रेस के साथ हैं। वे भाजपा के सारे दांव-पेंच समझ रहे हैं। दोनों ही समाज भाजपा को अगले विधान सभा चुनाव में सबक सिखाएंगे।
अंशु अवस्थी, प्रवक्ता, कांग्रेस
प्रतिमा लगाने से भाजपा को लाभ नहीं मिलेगा। भाजपा चाहे जितनी कोशिश कर ले मगर उसे कोई फायदा नहीं मिलने वाला है। सभी वर्ग भाजपा से दुखी हैं।
रोहित अग्रवाल, प्रवक्ता, आरएलडी
उलझती जा रही महंत नरेंद्र गिरि के मौत की गुत्थी, नया वीडियो आने से हड़कंप
- जिस पंखे से फंदा लगाकर लटके थे महंत वह चलता नजर आया
- आत्महत्या और हत्या के बीच उलझी पुलिस, सुसाइड नोट भी सवालों के घेरे में
4पीएम न्यूज नेटवर्क. प्रयागराज। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के मौत की गुत्थी उलझती ही जा रही है। प्रदेश सरकार ने इसको सुलझाने के लिए सीबीआई जांच की सिफारिश की है। वहीं नरेंद्र गिरि का सुसाइड करने के बाद का पहला वीडियो सामने आया है। इस वीडियो से एक बार फिर हड़कंप मच गया है। दूसरी ओर उनकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी भी शक के दायरे में आ गए हैं। महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत और सुसाइड नोट को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं। नरेंद्र गिरि का सुसाइड करने के बाद का पहला वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्हें फांसी के फंदे से नीचे उतार कर फर्श पर लिटाया गया है। वीडियो में दिख रहा है कि सबसे पहले आईजी रेंज प्रयागराज केपी सिंह मौके पर पहुंचे हैं और वह बॉडी को उतारने वाले लड़कों से पूछताछ कर रहे हैं। मठ के कर्मचारी सर्वेश द्विवेदी ने बताया है कि उन्होंने ही फांसी का फंदा काटा था। यही नहीं जिस फंखे से लटककर उनके फांसी लगाने की बात हो रही है, वह भी चलता दिख रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह कि वीडियो किसने बनाया? शव को बगैर पुलिस के आये क्यों नीचे उतारा गया? वहीं महंत नरेंद्र गिरी की सुरक्षा में तैनात 11 सुरक्षाकर्मी भी शक के दायरे में हैं।
आनंद गिरि से 27 घंटे पूछताछ
महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालत में हुई मौत मामले में जेल भेजे जाने से पहले आनंद गिरि से करीब 27 घंटे तक पूछताछ चलती रही। इस दौरान उसके चेहरे पर किसी तरह के पश्चाताप के भाव नहीं दिखे। पुलिस के ज्यादातर सवालों पर वह सिर्फ एक ही जवाब देता रहा कि वह निर्दोष है। इस दौरान उसके चेहरे पर ग्लानि या गुरु की मौत पर किसी तरह के दुख के भाव भी नहीं दिखे। वह शून्य भाव से जवाब देता रहा। आनंद गिरि को सोमवार रात ही हरिद्वार से गिरफ्तार कर लिया गया था।