लापरवाही: खुले में रखे कोरोना सैंपल, कोड नंबर मिलने में देरी से प्रभावित हो रही जांच

12 से 24 घंटे खुले में पड़े रहते हैं अस्पतालों में सैैंपल
कोड नंबर नहीं मिलने से जांच होती है प्रभावित
लापरवाही के चलते मरीजों को समय पर नहीं मिलती रिपोर्ट

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। कोरोना संक्रमण को लेकर लखनऊ मेडिकल कॉलेज और सिविल अस्पताल में लापरवाही बरती जा रही है। मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 के मरीजों के सैंपल खुले में अस्पताल के होल्डिंग परिसर में रखे रहते हैं। इससे आम लोग भी इस संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं।
इसका बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि कोरोना मरीजों का सैंपल लेने के बाद इस पर कोड नंबर लगता है, जो सीएमओ की ओर से उपलब्ध कराई जाती है। उस कोड नंबर के मिलने के बाद ही सैंपल को जांच के लिए भेजा जाता है। मगर मेडिकल कॉलेज में वहां के कर्मचारियों का आरोप है कि इन दिनों सीएमओ कार्यालय से कोरोना सैंपल पर खास कोड नंबर (कनसाइंटेमेंट नंबर) देरी से मिल रहे हैं। इस कारण 12 से 24 घंटे सैैंपल खुले में पड़े रहते हैं। कोड नंबर घंटों नहीं मिलने से जांच भी प्रभावित होती है। इस लापरवाही के चलते मरीजों को समय पर रिपोर्ट नहीं मिल पाती है और वे अस्पताल के चक्कर काटते रहते हैं। दूसरी वजह यह भी बताई जा रही है कि शहर में संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में सैंपल भी टेस्ट के लिए ज्यादा लिए जा रहे हैं। इस कारण कोड नंबर मिलने में देरी होती है। वहीं सिविल सहित अन्य अस्पतालों में एकत्र किए गए सैंपल पर सीएमओ कार्यालय से खास कोड नम्बर (कनसाइंटेमेंट)मिलने के बाद ही सैंपल केजीएमयू में जांच के लिए भेजे जाते हैं, जिस कारण 12 से 24 घंटे तक सैंपल जांच के लिए पड़े रहते हैं। लोगों ने मेडिकल कॉलेज की तरह सिविल अस्पताल पर भी यही आरोप लगाया है।

केजीएमयू में जांच के लिए भेजे जाते हैं सैंपल

लखनऊ में लोहिया, पीजीआई और केजीएमयू में सैंपलों की जांच हो रही है। लखनऊ के नमूने केजीएमयू में जांच के लिए भेजे जाते हैं। अस्पतालों में आरटी-पीसीआर के नमूने लिए जाते हैं। इन नमूनों की जांच के लिए सीएमओ कार्यालय से नम्बर दिया जाता है। इसके बाद नमूने केजीएमयू में जांच के लिए भेजे जाते हैं। इस खास कोड नम्बर को देने में सीएमओ कार्यालय नाकाम साबित हो रहा है। अस्पताल सूत्रों का कहना है कि कोड नम्बर के बिना नमूने नहीं भेजे नहीं जा सकते हैं।

अस्पतालों में अव्यवस्था का आलम

केजीएमयू के गेट 15 में होल्डिंग एरिया में कोरोना संक्रमितों के सैंपल लिए जाते हैं। इसके बाद इन सैंपल को एकत्र करके बॉक्स में रखा जाता है, जिससे जांच के लिए भेजा जा सके। होल्डिंग एरिया के बाहर रखे कोरोना सैंपल से उस समय हडक़ंप मच गया जब पीपीई किट पहने एक शक्स ने बताया कि इसमें कोरोना सैंपल हैं। इसके बाद वहां मौजूद लोग काफी दूरी पर जा खड़े हुए। खुले में कोरोना सैंपल से लोगों में डर बैठ गया और कई लोग बिना इलाज के वापस चले गए। लोगों का कहना था कि सरकार जनता के लिए गाइडलाइन जारी कर देती है लेकिन अस्पतालों में बरती जा रही लापरवाही का कौन जिम्मेदार होगा। लोग यहां इलाज कराने आते हैं बीमार होने नहीं।

सैंपल के जांच की प्रक्रिया

कोरोना संक्रमितों के टेस्ट पांच तरीकों से किए जाते हैं। इसमें ए स्वाब टेस्ट, ए नसल एस्पिरेट, ए ट्रेचिएल एस्पिरेट, म्युकस या बलगम टेस्ट, ब्लड टेस्ट शामिल हैं। सैंपल लेने के बाद इन सैंपल को लैब में भेज दिया जाता है। इसमें सैम्पल कलेक्शन और जांच रिपोर्ट का समय अलग-अलग होता है। लैब की ओर से किसी सैम्पल की जांच की प्रकिया में पहले 6 घंटे का समय लग जाता था, लेकिन रोजाना हो रहे बदलावों के चलते इस वक्त ये टेस्ट 4 घंटे में ही पूरा हो जाता है। अब इन नमूनों की जांच रियल टाइम पीसीआर विधि से होती है रिपोर्ट मिलने के समय में कमी आई है।

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