अखिलेश और राजभर ने मऊ में एक साथ किया चुनावी शंखनाद, उमड़ा जनसैलाब
- मऊ का हलधरपुर मैदान भाजपा के लिए साबित होगा सियासी कुरुक्षेत्र : अखिलेश
- वंचित, पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक भागीदारी महापंचायत में सपा प्रमुख की शिरकत
- सुभासपा के स्थापना दिवस पर ओपी राजभर भी बीजेपी पर बरसे
लखनऊ। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 19वें स्थापना दिवस पर आज मऊ का हलधरपुर मैदान उस समय ऐतिहासिक गवान बना समाजवादी पार्टी के राष्टï्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और सुभासपा के अध्यक्ष ओपी राजभर ने एक साथ चुनावी शंखनाद किया। गठबंधन की इस वंचित, पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक भागीदारी महापंचायत में दोनों ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। इस मौके पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि मऊ का हलधरपुर मैदान भाजपा के लिए सियासी कुरुक्षेत्र साबित होगा और आगामी चुनाव में उसका सफाया तय है। मऊ पहुंचने से पहले अखिलेश यादव ने ट्वीट किया कि गरीबों, शोषितों, वंचितों, दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, मज़दूरों, किसानों, महिलाओं, युवाओं, शिक्षकों, कारोबारियों, नौकरीपेशा व पेशेवरों के अधिकारों की रक्षा के लिए झूठी व फरेबी भाजपा-सत्ता के खिलाफ ‘मऊ का हलधरपुर मैदान एक राजनीतिक महायुद्ध का कुरुक्षेत्र साबित होगा। वहीं मंच पर ओमप्रकाश राजभर भी भाजपा पर खूब बरसे, कहा कि 2022 में भाजपा की विदाई तय है। यही जनता अखिलेश को सत्ता पर दोबारा बैठाएगी। इससे पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव और सुभासपा प्रमुख राजभर एक साथ आयोजन स्थल पर पहुंचे तो भीड़ ने नेताद्वय का जोरदार नारों से स्वागत किया।
सरकार बनी तो इलाहाबाद विवि में बहाल होगा छात्रसंघ : प्रमोद तिवारी
प्रयागराज। अखिल भारतीय कांग्रेस राज्य कार्यसमिति सदस्य व वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने प्रयागराज में बड़ा ऐलान किया है। आज उन्होंने ऐलान किया कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव तत्काल बहाल कराया जाएगा। प्रमोद तिवारी सिविल लाइंस स्थित एक होटल में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि विवि में 29 जून 2019 को तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर रतन लाल हांगलू ने छात्रसंघ चुनाव पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके विरोध में छात्रनेता अजय यादव सम्राट लगातार अनशनरत हैं। प्रमोद तिवारी ने बताया कि वह वाराणसी से कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेताओं के साथ प्रतिज्ञा यात्रा लेकर निकले हैं। उन्होंने कहा कि यह यात्रा देश को दूसरी आजादी दिलाने के लिए निकाली गई है। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि आज संविधान को समाप्त किया जा रहा है। स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी के लिए जेल में तमाम यातनाएं सही थी। यहां तो हालात यह हैं कि अब कोई आवाज उठाता है तो उसके आवाज का दमन करने के लिए केंद्रीय एजेंसियां जुट जाती हैं। अब सरकारीकरण और राजनीतिकरण हावी हो रहा है।