आरसीपी सिंह पहुंचे मोदी कैबिनेट में, कौन बनेगा JDU का अध्यक्ष
नई दिल्ली। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के केंद्र में मंत्री बनने के बाद चर्चा शुरू हो गई है कि पार्टी का अगला अध्यक्ष कौन होगा। नीतीश कुमार अब पार्टी की जिम्मेदारी किसे सौंपेंगे? इसकी वजह यह है कि एक व्यक्ति, एक पद का हवाला देकर पार्टी में नए अध्यक्ष की तलाश भी शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि जल्द ही आरसीपी सिंह जल्द ही अध्यक्ष का पद छोड़ देंगे। सूत्रों के मुताबिक अगले एक महीने के भीतर पार्टी को नया अध्यक्ष मिल सकता है। हालांकि नीतीश कुमार के जदयू में नंबर दो पर कौन कब्जा करेगा, इसे लेकर चर्चाओं का दौर तेज है। अभी तीन नाम इस सूची में सबसे ज्यादा सुर्खियों में हैं। आइए जानते हैं जेडीयू अध्यक्ष पद की दौड़ में कौन-कौन शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक अध्यक्ष पद की दौड़ में उपेंद्र कुशवाहा का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है। इसकी वजह यह है कि आरसीपी सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद से कुशवाहा एक्शन मोड में दिखाई दे रहे है। उन्होंने नीतीश कुमार की तर्ज पर पश्चिम चंपारण के वाल्मीकि नगर से बिहार का सफर शुरू किया है। उनके नाम पर चर्चा तब तेज हो गई जब जदयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के बीच बैठक हुई। कुशवाहा के इस दावे की मुख्य वजह यह है कि आरएलएसपी का जदयू में विलय के बाद नीतीश कुमार ने उन्हें संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया था। एमएलसी बनाकर यह भी संकेत दिया कि कुशवाहा उनके कितने करीबी हैं।
सत्तारूढ़ जदयू में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शुरू से ही दो करीबी माने जाते हैं, इनमें से एक का नाम रामचंद्र प्रसाद सिंह यानी आरसीपी सिंह और दूसरा राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह है। अब आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या इस बार मुंगेर से पार्टी के सांसद ललन सिंह के बारे में कुछ बड़ा सोचा गया है। क्या ललन सिंह को पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है? जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के मंत्री बनने के बाद दिए गए बयान में इसका संकेत सामने आया। जब आरसीपी सिंह से पूछा गया कि ललन सिंह मंत्री क्यों नहीं बने तो उन्होंने कहा था कि हम और ललन सिंह अलग नहीं हैं। क्या मेरे और ललन बाबू में कोई अंतर है? हम साथ हैं। उनके इस बयान के बाद से अटकलें लगाई जा रही हैं कि नीतीश आने वाले समय में ललन सिंह को अहम जिम्मेदारी सौंप सकते हैं।
जदयू अध्यक्ष पद की दौड़ में अशोक चौधरी का नाम भी चर्चा में चल रहा है। बिहार सरकार में भवन निर्माण मंत्री रहे अशोक चौधरी भी नीतीश के बेहद करीबी माने जाते हैं। उनके कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार ने अशोक चौधरी को बिहार जदयू का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया था। जदयू में शामिल होने से पहले अशोक चौधरी चार साल तक बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश फिलहाल उन पर भरोसा करेंगे या नहीं?
वैसे भी नीतीश कुमार अपने फैसलों से सबको हमेशा हैरान करते रहे हैं। यही कारण है कि जब उन्होंने पिछले साल 27 दिसंबर को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था तो काफी करीबी माने जाने वाले आरसीपी सिंह को इस पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अब आरसीपी सिंह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री बन गए हैं, तो देखना होगा कि क्या नीतीश कुमार फिर से कोई चौंकाने वाला फैसला लेंगे? यह बात आने वाले दिनों में ही स्पष्ट हो पाएगी।