कोरोना, सरकारी तंत्र और जनता
sanjay sharma
सवाल यह है कि लगातार बढ़ रहे केसों के लिए कौन जिम्मेदार है? क्या कोरोना से बचाव के लिए जारी की गई गाइडलाइन का पालन नहीं करने के कारण हालात बेकाबू होते जा रहे हैं? क्या मृत्यु दर में कमी के कारण लोग इस महामारी को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं? क्या जनता के सहयोग के बिना सरकार इस संकट से निपट सकेगी?
देश में कोरोना वायरस के सामुदायिक संक्रमण की दस्तक सुनाई देने लगी है। हालांकि सरकार ने अभी इसकी पुष्टिï नहीं की है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि कई क्षेत्रों में संक्रमण सामुदायिक स्तर तक पहुंच गया है और यही वजह है कि केसों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। सवाल यह है कि लगातार बढ़ रहे केसों के लिए कौन जिम्मेदार है? क्या कोरोना से बचाव के लिए जारी की गई गाइडलाइन का पालन नहीं करने के कारण हालात बेकाबू होते जा रहे हैं? क्या मृत्यु दर में कमी के कारण लोग इस महामारी को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं? क्या जनता के सहयोग के बिना सरकार इस संकट से निपट सकेगी? आखिर लोग अपने नागरिक कर्तव्यों का पालन करने से क्यों कतरा रहे हैं? क्या सामुदायिक संक्रमण के मुहाने पर खड़े भारत को कोरोना की भयावहता से बचाया जा सकता है? क्या राज्य सरकारों की हीलाहवाली के कारण हालात यहां तक पहुंचे हैं? क्या सामुदायिक विस्फोट बची-खुची अर्थव्यवस्था को भी बेपटरी नहीं कर देगी? क्या बाढ़ और मौसमी बीमारियों के इस दौर में कोरोना से निपटना चुनौती भरा नहीं होगा?
देश के अनलॉक होते ही कोरोना संक्रमण बेहद तेजी से फैला है। संक्रमित मरीजों के मिलने का आंकड़ा रोज नए रिकॉर्ड बना रहा है। उन राज्यों में भी स्थितियां विस्फोटक होती जा रही है जहां हालात ठीक थे। पूरे देश में 11 लाख से अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं जबकि 28 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। राहत की बात यह है कि देश में कोरोना संक्रमितों की मृत्युदर बेहद कम है। यह तीन फीसदी से भी कम है। बढ़ते संक्रमण के लिए लोगों द्वारा लगातार बरती जा रही लापरवाही जिम्मेदार है। अनलॉक के साथ लोगों ने सामान्य तरीके से काम करना शुरू कर दिया। कोरोना से बचाव के लिए जारी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि लोग बाजारों और सार्वजनिक स्थलों पर भी मास्क लगाने से कतरा रहे हैं। जुर्माना लगाने के बावजूद भी लोग लापरवाही कर रहे हैं। वहीं पुलिस प्रशासन भी कड़ाई करती नहीं दिख रही है। लिहाजा स्थितियां विस्फोटक होती जा रही हैं। चिकित्सकों का कहना है कि जिस तरह से केसों की संख्या बढ़ी है वह इस बात का उदाहरण है कि देश के कई राज्यों में सामुदायिक विस्फोट हो चुका है। साफ है यदि जल्द ही स्थितियों पर नियंत्रण नहीं लगाया गया तो देश की बची-खुची अर्थव्यवस्था भी बेपटरी हो जाएगी। वहीं चिकित्सा सेवाओं पर बोझ बढ़ जाएगा और लाखों लोगों का इलाज करना मुश्किल हो जाएगा। यह स्थिति निश्चित रूप से बेहद भयावह होगी।