छोटे इमामबाड़े के ऐतिहासिक गेट संरक्षित स्मारक का भाग नहीं : हैदर

लखनऊ। हैरिटेज एक्टिविस्ट और अधिवक्ता मोहम्मद हैदर ने कहा छोटे इमामबाड़े के ऐतिहासिक गेट संरक्षित स्मारक का भाग नहीं है। उन्होंने बताया कि छोटे इमामबाड़े के जर्जर हो रहे गेटों के संबंध में मेरे द्वारा की गयी शिकायत के संबंध में भारतीय पुरातत्व सर्वे के द्वारा भ्रामक निस्तारण करते हुए ये कहा है कि केंद्रीय संरक्षित स्मारक टॉम्ब आफ मोहम्मद अली शाह (छोटा इमामबाड़ा), लखनऊ के बाहर पूर्वी व पश्चिमी गेट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन संरक्षित स्मारक घोषित नहीं हैं। छोटा इमामबाड़ा लखनऊ के पूर्वी गेट से सटी हुयी संहचियां जिनमें सतखण्डा पुलिस चौकी स्थित है भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन संरक्षित स्मारक घोषित नहीं है। जबकि उक्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का आदेश कहता है कि Mausoleum of King Mohammad Ali Shah beyond the Residency। ऐसे में इस प्रकार का दृष्टिकोण सांस्कृतिक विरासत के लिए एक अभूतपूर्व क्षति है।

इतिहासकारों से पूछे ये सात सवाल

अधिवक्ता मोहम्मद हैदर रिजवी ने इतिहासकारों से सात सवाल पूछे है। ये सवाल इस प्रकार है कि क्या छोटे इमामबाड़े के बाहरी गेट उसका हिस्सा नहीं हैं? क्या छोटे इमामबाड़ों के दोनों बाहरी गेटों पर अवैध अतिक्रमण सही है? क्या छोटे इमामबाड़े के सामने का नौबतखाना छोटे इमामबाड़े का भाग नहीं है? क्या 1920 का आसरे कदीमा का प्रोटेक्शन आर्डर जिसमें मोहम्मद अली शाह का मकबरा, रेजीडेंसी के आगे को महफूज किया जाना लिखा है, में छोटे इमामबाड़े के गेट नहीं आते? क्या पुलिस विभाग, जो विरासती इमारतों पर हुए अतिक्रमण को हटाने की जिम्मेदार है के द्वारा छोटे इमामबाड़े के गेट पर कब्जा कर के पुलिस चौकी बना कर नया निर्माण कर गेट को क्षति पहुंचाने और विरूपित करने का अधिकार है? क्या आसारे कदीमा जिसकी जिम्मेदारी अपने अधीन स्मारकों को बचाने की है, वो इन स्मारकों से इतनी आसानी से हाथ धो सकता है? क्या कदीमा का ये गैर जिम्मेदाराना बयान कि छोटे इमामबाड़े का गेट उनकी जेरे निगरानी नहीं है। कोर्ट के हुक्म की तौहीन नहीं है?

आज का दिन मेरी जिंदगी का बहुत अहम दिन

अधिवक्ता मो. हैदर ने कहा नवम्बर 2019 में गाइडों का एक प्रतिनिधिमंडल मुझसे घर पर आकर मिला था और बताया कि उनको मात्र 5-6 हजार प्रतिमाह वेतन मिलता है और कोई भी सिक्योरिटी नहीं मिलती। इनकी समस्याओं के दृष्टिगत पूरा रिसर्च कर मैंने पीएम, सीएम और जिला प्रशासन के समक्ष विधिक प्रत्यावेदन भेजे थे, जिस पर कार्यवाही करते हुए अब जिला इंतेजामिया, जो हुसैनाबाद ट्रस्ट के देखरेख करता है, ने हुसैनाबाद के सभी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन के साथ रात महंगाई भत्ता, ग्रेचुटी और पीएफ दिए जाने की व्यवस्था की है। हैदर ने कहा इसका सीधा प्रभाव ट्रस्ट में नियुक्त 300 कर्मचारियों और उनके परिवारों पर पड़ेगा, जिनके परिवारों में आज खुशी है। हैदर ने जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक प्रकाश, एडीम ट्रांसगोमती विश्व भूषण और एसीएम लखनऊ किंशुक श्रीवास्तव को इसके लिए धन्यवाद दिया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button