मिला विलय का मुआवजा, मिली दस प्रतिशत की हिस्सेदारी

नई दिल्ली। बिहार में जदयू ने दो दिन पहले अपनी नई प्रदेश कमेटी की घोषणा की थी। जिसमें महिलाओं को पहली बार एक तिहाई से अधिक हिस्सा यानी 33 प्रतिशत दिया गया है। इसके साथ ही करीब तीन महीने पहले विलय करने वाले उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी के नेताओं को भी इस टीम में जगह मिली है। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा द्वारा घोषित नई प्रदेश कमेटी में आरएलएसपी को मात्र 10 प्रतिशत भागीदारी मिली है।
उमेश कुशवाहा ने 211 नेताओं को शामिल करते हुए बड़ी राज्य कमेटी की घोषणा की। हालांकि अगर हम नई टीम को देखें तो पता चला कि आरएलएसपी के साथ विलय के बाद जदयू में शामिल हुए सिर्फ 20 नेताओं को जगह दी गई है। एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि नवनियुक्त 29 प्रदेश उपाध्यक्षों में से केवल चार तत्कालीन आरएलएसपी के हैं। इसी तरह 60 प्रदेश महासचिवों में से सिर्फ चार कुशवाहा समर्थक हैं।
कुशवाहा खेमे से 114 प्रदेश सचिवों में से सिर्फ 12 को जगह मिली हैं। एक वरिष्ठ नेता ने शुक्रवार को बताया कि जदयू द्वारा जारी 7 प्रदेश प्रवक्ताओं की सूची में आरएलएसपी के किसी भी नेता को यह जिम्मेदारी नहीं दी गई है। आरएलएसपी के पूर्व प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष संतोष कुशवाहा ने मीडिया को बताया कि अगर आरएलएसपी पृष्ठभूमि के नेताओं को नई कमेटी में ज्यादा भागीदारी दी जाती तो बेहतर होता कि जदयू को और मजबूत किया जाता।
संतोष कुशवाहा शरद यादव के नेतृत्व वाले लोकंत्रिक जनता दल और बाद में आरएलएसपी में शामिल होने से पहले युवा जदयू के प्रदेश अध्यक्ष थे। अब उन्हें जदयू की नई प्रदेश कमेटी में 114 प्रदेश सचिवों में से एक की जिम्मेदारी दी गई है। तीन महीने पहले जब आरएलएसपी का जदयू में विलय हुआ था, तब संतोष आरएलएसपी के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष थे। संतोष के अलावा रेखा गुप्ता (सीतामढ़ी) आरएलएसपी की प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष भी रहीं। नई टीम में रेखा गुप्ता को उपाध्यक्ष बनाया गया है।

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